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पर्यावरण भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति मुद्दा राजनीति संपादकीय

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-5

पर्यावरण नियंत्रक सांस्कृतिक प्रकोष्ठ’ में कार्यरत व्यक्तियों के लिए आवश्यक हो कि वे संस्कृत के जानने वाले तो हों ही, साथ यज्ञ विज्ञान की गहराइयों को भी सूक्ष्मता से जानते हों। कौन सी सामग्री किस मौसम में और किस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त करने में हमें सहायता दे सकती है-इस बात को ये लोग […]

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पर्यावरण भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति मुद्दा राजनीति संपादकीय समाज

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-4

महर्षि दयानंद ने कहा था- ”यदि अब भी यज्ञों का प्रचार-प्रसार हो जाए तो राष्ट्र और विश्व पुन: समृद्घिशाली व ऐश्वर्यों से पूरित हो जाएगा।” इस बात से लगता है कि भारत सरकार से पहले इसे विश्व ने समझ लिया है।  देखिये-फ्रांसीसी वैज्ञानिक प्रो. टिलवट ने कहा है- ”जलती हुई खाण्ड के धुएं में पर्यावरण […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

महाराजा जसवंत सिंह के पुत्र को औरंगजेब ने नही माना राजा

निष्पक्ष लेखनी की आवश्यकता प्रो. गोल्डविन स्मिथ का कहना है-”प्रत्येक राष्ट्र अपना इतिहास स्वयं ही उत्तम रूप से लिख सकता है। वह अपनी भूमि, अपनी संस्थाओं अपनी घटनाओं के पारंपरिक महत्व और अपनी महान विभूतियों के संबंध में सबसे अधिक ज्ञान रखता है। प्रत्येक राष्ट्र का अपना विशिष्ट दृष्टिकोण होता है, अपनी पूर्व घटनाएं, अपना […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-62

स्वार्थभाव मिटे हमारा प्रेमपथ विस्तार हो गतांक से आगे…. आज बुद्घ ने अप्रत्याशित बात कह दी, जो बुद्घ सबको गले लगाकर चलते थे। वह आज बोले-”नहीं, उसके लिए द्वार नहीं खोलने हैं क्योंकि वह अस्पृश्य है।” सिद्घांतप्रियता व्यक्ति को प्रेम साधना की ऊंचाई तक ले जाती है। उसे पता होता है कि सिद्घांतों की रक्षा […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-3

ईश्वर के प्रति कृतज्ञता अपनायें अब विचार करें कि उसे हम क्या दे रहे हैं? कदाचित ‘कुछ भी नहीं’ उसके प्रति कोई कृतज्ञता नहंी, कोई धन्यवाद नहीं। यही तो है नास्तिकता। यदि हम ईश्वर के प्रति भी कृतज्ञ होकर धन्यवाद करना और कहना सीख लें तो हमारे और शेष संसार के संबंध मानवीय ही नहीं, […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-2

कोई पदार्थ नष्ट नहीं होता विज्ञान का यह भारतीय सिद्घांत है कि कोई भी पदार्थ यथार्थ में कभी भी समाप्त नही होता, वरन उसका रूपांतरण ही होता है। संसार के अन्य लोग इस आत्मतत्व को आज तक नही समझ सके, वे लोग आज भी (जबकि विज्ञान का युग है) शरीर के अंत को ही आत्मा […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति

‘तुम दिन को अगर रात कहो तो हम भी रात कहेंगे’ भारत की सरकारों की सोच पश्चिम के विषय में यही है। पश्चिमी देश जो कहते हैं और करते हैं-उसे भारत सरकार आंख मूंदकर ग्रहण कर लेती है। भारत की पर्यावरण नीति भी ऐसी ही है, जैसी कि पश्चिमी देशों की है। कोई नया आदर्श […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अंत में औरंगजेब ने छत्रसाल को ‘राजा’ मान ही लिया

औरंगजेब छत्रसाल को नियंत्रण में लेकर उसका अंत करने में निरंतर असफल होता जा रहा था। यह स्थिति उसके लिए चिंताजनक और अपमानजनक थी। अब तक के जितने योद्घा और सेनानायक उसने छत्रसाल को नियंत्रण में लेने के लिए भेजे थे, उन सबने छत्रसाल की वीरभूमि बुंदेलखण्ड से लौटकर आकर उसे निराश ही किया। बुंदेलखण्ड […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-61

स्वार्थभाव मिटे हमारा प्रेमपथ विस्तार हो गतांक से आगे…. प्रेम में सृजन है, और प्रेम में परमार्थभाव भी है। कैसे? अब यह प्रश्न है। इसके लिए महात्मा बुद्घ के जीवन के इन दो प्रसंगों  पर तनिक विचार कीजिए। महात्मा बुद्घ एक घर में ठहरे हुए थे। एक व्यक्ति जो उनसे घृणा करता था, उनके पास […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

औरंगजेब की हर चाल को परास्त किया छत्रसाल ने

छत्रसाल जैसे हिंदू वीरों के प्रयासों को अतार्किक, अयुक्तियुक्त, असमसामयिक और निरर्थक सिद्घ करने के लिए धर्मनिरपेक्षतावादी इतिहास लेखकों ने एड़ी-चोटी का बल लगाया है। इन लोगों ने शाहजहां को ही नही, अपितु औरंगजेब को भी धर्मनिरपेक्ष शासक सिद्घ करने का प्रयास किया है। जबकि वास्तव में ऐसा नही था। डा. वी.ए. स्मिथ ने कहा […]

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