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पर्यावरण

प्रकृति संरक्षण: हमारे समाधान प्रकृति में हैं

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है ताकि यह पहचाना जा सके कि एक स्वस्थ पर्यावरण एक स्थिर और उत्पादक समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नींव है। प्रकृति है तो जीवन है, जीवन है तो मानव है, मानव है तो मानवता है। प्रकृति संरक्षण सबसे बड़ा पुण्य […]

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समाज

बुजुर्ग हमारे वजूद हैं न कि बोझ

(बदलते परिवेश में एकल परिवार बुजुर्गों को घर  की  दहलीज से दूर कर रहें है. बच्चों को दादी- नानी  की  कहानी की बजाय पबजी अच्छा लगने लगा है, बुजुर्ग अपने बच्चों से बातों को तरस गए है. वो  घर के किसी कोने में अकेलेपन का शिकार हो रहें है. ऐसे में इनकी मानसिक-आर्थिक-सामाजिक समस्याएं बढ़ती जा रही […]

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महत्वपूर्ण लेख

भारत को नए साल में नए सिद्धांत और क्षमता की है आवश्यकता

(चीन एक बढ़ती और आक्रामक महाशक्ति भारत के लिए बड़ा रणनीतिक खतरा है और पाकिस्तान के साथ चीन के कंटेनर भारत की रणनीति के लिए खतरा है। इसे देखते हुए, भारत के लिए दो-मोर्चे के खतरे के लिए तैयार रहना समझदारी होगी। ) वर्ष 2020 तक चल रहे कोरोनावायरस महामारी के कारण कई मोर्चों पर […]

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मुद्दा

खबरों के पीछे बेतहाशा दौड़ती पत्रकारिता

( किसी भी मीडिया संस्थान की पहली खबर से अगर लोगों के चेहरे पर मुस्कान न आये तो वह कैसी पत्रकारिता ? आज देश भर के चैनलों और अख़बारों में खबर जहां जल्दी पहुंचाने पर जोर है, वहीं समाचार में वस्‍तुनिष्‍ठता, निष्पक्षता और सटीकता बनाए रखना भी बेहद जरूरी है। फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर जैसे […]

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देश विदेश

बाइडेन, मोदी और भारत अमेरिकी संबंधों की भावी रूपरेखा

डॉ. सत्यवान सौरभ अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में केवल राष्ट्रीय हित अपरिवर्तित रहते हैं। व्यक्तिगत संबंध राष्ट्रीय हितों के लिए बाधा नहीं बनते हैं, इसलिए बिडेन श्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प के साथ संबंधों से प्रभावित नहीं होंगे। भारत वर्तमान में विश्व मंच पर एक बढ़ती हुई शक्ति है। इसलिए, भारत अमेरिका की नीतियों के लिए […]

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आज का चिंतन समाज

आखिर क्यों बदल रहे हैं मनोभाव और टूट रहे हैं परिवार ?

  भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है. कच्चे से पक्के होते घरों की ऊँची दीवारों ने आपसी वार्तालाप को लुप्त कर दिया है. पत्थर होते हर आंगन में फ़ूट-कलह का नंगा नाच हो रहा है. आपसी मतभेदों ने गहरे मन भेद कर दिए है. बड़े-बुजुर्गों […]

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