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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-8

गतांक से आगे….आगामी धर्मसंसार में फेले हुए समस्त मतमतांतरों की आलोचना करता हुआ, एक विद्वान नामी पुस्तक में कहता है कि आगामी धर्म वैदिक धर्म ही होगा। अब संसार ईमान के दुर्ग से निकलकर बुद्घि और तर्क की ओर चल रहा है। जब तक मजहबी सिद्घांत को तत्वज्ञान पुष्ट न करे, तब तक वह स्थिर […]

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विशेष संपादकीय

थालियों और तालियों का बजना

उत्तर प्रदेश आजादी के बाद से ही देश की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाने वाला प्रांत रहा है। उत्तराखण्ड बनने तक प्रदेश के पास 85 लोकसभा सीटें होती थीं। आज भी इन सीटों में अधिक अंतर नही आया है। 82 सीटें अकेले उत्तर प्रदेश के पास आज भी हैं। इतनी सीटें किसी भी प्रांत के […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-7

गतांक से आगे….अहिंसा जहां दूसरों को सताना मारना मना करती है, वहां स्वयं दीर्घ जीवन प्राप्त करने की ओर भी प्रेरणा करती है। दीर्घ जीवन प्राप्त करने का सबसे बड़ा साधन प्राणायाम है। योरप में प्राणायाम का प्रचार बढ़ रहा है। डॉक्टर ‘मे’ कहते हैं कि जिससे हम स्वांस लेते हेँ, उसी वायु पर हमारा […]

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विशेष संपादकीय

गणतंत्र के ये अहम सवाल

भारत एक बार फिर अपना गणतंत्र दिवस मना रहा है। 1950 की 26 जनवरी से हम अपना यह पवित्र राष्ट्रीय पर्व मनाते आ रहे हैं। यह वह दिवस है जिसे प्राप्त करने के लिए भारत ने सैकड़ों वर्ष का संघर्ष किया। जब पहला विदेशी आक्रांता यहां आया, उसी दिन से उसे बाहर निकालने की लड़ाई […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-7

गतांक से आगे….नौकरों की हालत इस विज्ञापन से ज्ञात हो जाती है और पता लग जाता है कि नौकरों की कितनी खुशामद करनी पड़ती है। इस वर्णन से स्पष्ट हो रहा है कि अब नौकरों के द्वारा विलास की वृद्घि नही की जा सकती। यह तो नौकरों का हाल हुआ। अब जरा कारखानों के बारे […]

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विशेष संपादकीय

‘नीरो’ का बांसुरीवादन

अथर्ववेद (3/4/2) में आया है :-ततो न उग्रो विभजा वसूनि।यहां राजा से उसकी प्रजा कह रही है कि तू तेजस्वी होकर हमारे लिए धन का समुचित और यथोचित विभाग कर, अर्थात हमारे खान-पान, ज्ञान-विज्ञान, परिधान आदि के लिए जितना-जितना जिसके लिए आवश्यक है, उतना-उतना उसे दे।वेद का यह मंत्र स्पष्ट कर रहा है कि राष्ट्र […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-6

गतांक स आग….अनुभवी लोग कहत हैं कि कृत्रिम साधनों क उपयोग स स्त्रियों को कंसर आदि रोग हो जात हैं। स्त्रियों क कोमल स कोमल मज्जातंतुओं पर इन कृत्रिम साधनों का बहुत खराब असर होता है, जिसस अनकों रोग उत्पन्न होत हैं। बहुत स प्रतिष्ठित डॉक्टरों का कहना है कि इन कृत्रिम साधनों क कारण […]

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विशेष संपादकीय

हमारे दरवाजे पर उत्पात मचाती प्रलय

वेद-मत का प्रचार प्रसार करना महर्षि दयानंद जी महाराज का जीवनोद्देश्य था। उनके सत्प्रयासों और कठोर तपस्वी जीवन के परिणाम स्वरूप मिथ्या-पंथों-संप्रदायों एवं मत मतांतरों के मठाधीशों के हृदय की धड़कनें बढ़ गयी थीं। क्योंकि सबको अपने मिथ्यावाद की चूलें हिलती दिख रही थीं। अंग्रेजों के ईसाई पादरी भी महर्षि के शुद्घि अभियान और शास्त्रार्थ […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-5

गतांक से आगे….पाश्चात्य विद्वानों ने इतनी लंबी स्कीम देखकर और वर्तमान भौतिक अंधाधुंध से आरी आकर जो विचार प्रकट किये हैं, उन्हें हम ‘कुदरत की ओर लौटो’ नामी पुस्तक से लेकर बहुत कुछ लिख चुके हैं। अब आगे उन्हीं सिद्घांतों की पुष्टि में भिन्न भिन्न विद्वानों ने जो अन्य पुस्तकें और लेख लिखे हैं, उनके […]

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विशेष संपादकीय

हमारा कत्र्तव्यबोध और गौमाता

गाय की रीढ़ की हड्डी में सूर्यकेतु नाड़ी होती है। यह नाड़ी गाय के रक्त में स्वर्णक्षार बनाती है। यही स्वर्णक्षार पीले पीले सुनहरे रंग में हमें गाय के दूध घी आदि में स्पष्ट दीखता है। यही कारण है कि गौदुग्ध का सेवन करने वाले व्यक्ति के रंग से स्वर्णिम आभा झलकने लगती है। भारत […]

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