‘मणियों का नगर’ अर्थात मणिपुर भारतवर्ष के पूर्वोत्तर राज्यों में से एक महत्वपूर्ण राज्य है। मणिपुर का वास्तविक अर्थ है-‘एक आभूषित भूमि।’ इस प्रांत की राजधानी इम्फाल है। इसके पड़ोसी राज्य है-आसाम, मिजोरम एवं नागालैंड। जबकि पड़ोसी देश है म्यांमार (बर्मा) इस प्रांत का क्षेत्रफल 22,327 वर्ग किमी. है। मणिपुर की जनसंख्या 27,21,756 वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार है जो कि भारत की कुल जनसंख्या का 0.22 प्रतिशत है। यहां जनसंख्या घनत्व 122 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. है। मणिपुर में 987 महिलाएं प्रति हजार पुरूषों पर हैं। यहां साक्षरता 79.83 प्रतिशत है। इसप्रांत की भाषा मणिपुरी, थाओ व तंगखुल हैं। इस प्रांत को यह सौभाग्य प्राप्त है कि यह कभी किसी विदेशी शासक के अधीन नहीं रहा। 1891 में यह ब्रिटिश शासन के आधीन अवश्य हुआ परंतु इसकी मौलिक स्वतंत्रता लगभग बनी रही। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात यह प्रांत भारतीय संघ के भाग ‘ग’ के राज्य के रूप में सम्मिलित हुआ। मणिपुर को वर्ष 1963 में केन्द्र शासित प्रदेश का स्तर दिया गया। वर्ष 1972 की 21 जनवरी को इस राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371 ‘ग’ के माध्यम से राज्य के संबंध में कई विशेष उपबंध किये गये हैं। मणिपुर को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने ‘भारत का रत्न’ कहकर सम्मानित किया था। इसकी राजधानी को ‘भारत का पुरूष’ कहा जाता है। इस राज्य को ‘उत्सव की भूमि’ के नाम से जाना जाता है।
मणिपुर राज्य में एकसदनात्मक विधानमंडल है। इस राज्य की विधानसभा की कुल 60 सीटें हैं। इस राज्य से लोकसभा की 2 और राज्यसभा की एक सीट है। इस राज्य का सामरिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। क्योंकि यहन् प्रांत भारत को दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ता है। इसलिए इस प्रांत को दक्षिण पूर्व एशिया की ओर खुलने वाला एक द्वार भी कहा जाता है। जिसका भारतवर्ष के लिए विशेष महत्व है। 1935, 36 तक बर्मा भारत का ही एक अंग था, तब भारत की सीमाएं और भी आगे तक अर्थात जहां तक आज के बर्मा की सीमाएं हैं-वहां तक जाती थीं। परंतु बर्मा के अलग हो जाने के पश्चात मणिपुर भारत का सीमावर्ती राज्य हो गया। इसलिए यहां ‘सशस्त्र सेना विशेषाधिकार अधिनियम-1958’ वर्ष 1980 से लागू किया गया।
इस प्रांत में प्रमुख राजनीतिक दलों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भाजपा, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, मणिपुर पीपुल्स पार्टी, फैडरल पार्टी ऑफ मणिपुर तथा मणिपुर स्टेट, कांग्रेस पार्टी प्रमुख हैं। इस प्रांत के प्रथम राज्यपाल बीके नेहरू बने थे, जिन्होंने 21 जनवरी 1973 से 20 सितंबरन् 1973 तक इस पद के दायित्वों का निर्वाह किया था। उसके पश्चात अब तक कुल 18 राज्यपाल इस प्रांत में कार्य कर चुके हैं। वर्तमान राज्यपाल श्रीमती नजमा हेपतुल्ला हैं। यहां के प्रथम मुख्यमंत्री एनके सिंह थे। जो कि 1 जुलाई 1963 से 11 जुलाई 1967 तक यहां के मुख्यमंत्री रहे। यहां अब तक कुल 19 मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जिनमें वर्तमान मुख्यमंत्री ओकराम इबोबीसिंह का कार्यकाल (7 मार्च 2000 से कार्यरत) सबसे लंबा रहा है। श्री सिंह कांग्रेस पार्टी से हैं। जिन्होंने देश के अन्य प्रांतों से उजड़ती कांग्रेस को इस प्रदेश में सिर छुपाने योग्य स्थान उपलब्ध कराया है। अब आगामी चुनावों में देखने वाली बात यह होगी कि वे कांग्रेस का सम्मान यहां पुन: बचा पाते हैं या नहीं? यदि वह पुन: मुख्यमंत्री बन जाते हैं तो यह उनके लिए और कांग्रेस पार्टी के लिए सचमुच एक बड़ी उपलब्धि होगी।
इस प्रदेश में 12 जनवरी 1967 को पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा था, यहां अब तक कुल दस बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है।
अब आते हैं गोवा पर। यहां भी विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इस प्रांत को प्राचीनकाल में गोमांचल, गोकपाट्टन, गोमांत, गोपकपुरी, गोवापुरी आदि नामों से जाना था। यहां की राजधानी पणजी है। इसकी लंबाई उत्तर से दक्षिण 104 किमी., तथा चौड़ाई पूर्व से पश्चिम 59 किमी. है। इस राज्य का कुल क्षेत्रफल 3702 वर्ग किलोमीटर है, जो कि भारत का सबसे छोटा राज्य है। यहां की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 14,57,723 है। जनसंख्या घनत्व 394 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर, लिंगानुपात 968 महिलाएं प्रति हजार पुरूषों पर, तथा यहां की प्रमुख भाषा कोंकणी, उर्दू, हिंदी व कन्नड़ हैं।
इस प्रांत को अरब के लोग सांदापुर या सिंदावुर के नाम से भी पुकारते रहे हैं। पुर्तगालियों ने इसे ‘वेल्हा गोवा’ के नाम से पुकारा। वर्तमान में गोवा को एक सुंदर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया गया है, जिससे इसका नाम ‘धरती का स्वर्ग’ भी पड़ गया है।
1498 में जब वास्कोडिगामा ने भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज की तो कई पुर्तगाली यात्री भारत आए। 1510 में अल्फांसो दा अलबुकर्क ने गोवा पर अधिकार कर लिया। सत्रहवीं शताब्दी तक लगभग समूचे गोवा पर पुर्तगालियों का शासन स्थापित हो गया। जब भारत 1947 में आजाद हुआ तो इस प्रांत पर पुर्तगालियों का शासन पूर्ववत जारी रहा। 19 दिसंबर 1961 को गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराया गया। इसके साथ ही दमन और दीव को मिलाकर केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया। 30 मई 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। जबकि दमन और दीव को अलग केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया। गोवा भारत का 25वां राज्य है।
गोवा राज्य का विधानमंडल भी एक सदनात्मक है। यहां विधानसभा की कुल 40 सीटें हैं। गोवा में लोकसभा की दो और राज्यसभा की एक सीट है। गोवा के प्रथम राज्यपाल मेजर जनरल केपी पाण्डेय बने थे। जिन्होंने 19 दिसंबर 1961 से 6 जून 1962 तक इस पद पर कार्य किया। जबकि वर्तमान राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा हैं। यहां के पहले मुख्यमंत्री दयानंद बंदोदकर थे। जिन्होंने 20 दिसंबर 1961 से 2 दिसंबर 1966 तक शासन किया। जबकि वर्तमान मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर हैं। यह भाजपा के मुख्यमंत्री हैं। भारत के वर्तमान रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर रक्षामंत्री बनने से पूर्व गोवा के मुख्यमंत्री रहे हैं। इस प्रांत में पहली बार 2 दिसंबर 1966 से 5 अप्रैल 1967 तक राष्ट्रपति शासन रहा है। अंतिम बार 4 मार्च 2005 से 7 जून 2005 तक राष्ट्रपति शासन रहा है। यहां पर भाजपा, कांग्रेस, यूनाइटेड, गोमांतक पार्टी, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी प्रमुख राजनीतिक दल हैं। अगला विधानसभा चुनाव भाजपा व इन अन्य राजनीतिक दलों के मध्य होने की संभावना है। मनोहर पार्रिकर की छवि यहां एक ईमानदार मुख्यमंत्री के रूप में रही है। देखते हैं कि उनकी यह छवि भाजपा के लिए आगामी चुनावों में सफलता दिलाने में कितनी सहायक सिद्घ होगी?