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राजनीति संपादकीय

पंजाब और विधानसभा चुनाव 2017

संस्कृत में पंच का अभिप्राय पांच से होता है और आप: का अभिप्राय पानी होता है। पंच + आप: से मिलकर पंजाब बन गया। फारसी में पंज पांच का और आब पानी का पर्यायवाची है। स्पष्ट है कि ये दोनों शब्द संस्कृत के ही अपभ्रंश हैं।
पंजाब का अर्थ है पांच नदियों का प्रदेश। यह प्रांत जम्मू कश्मीर, हिमांचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान से घिरा है, जो कि भारतीय प्रांत है। जबकि एक ओर से यह प्रांत पाकिस्तान से मिला है। इस प्रकार पंजाब भी एक सरहदी प्रांत है, जिसका क्षेत्रफल 50,372 वर्ग किमी. है। यहां की जनसंख्या 2011 के अनुसार 2,77,04,236 है जो कि भारत की कुल जनसंख्या 2.29 प्रतिशत होता है। पंजाब का जनसंख्या घनत्व 550 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. है। जबकि लिंगानुपात में 893 महिलाएं प्रति हजार पुरूषों पर हैं। पंजाब की साक्षरता दर 77.41 प्रतिशत है। यह आंकड़ा 2011 की जनसंख्या का है। यहां की प्रमुख भाषाएं पंजाबी व हिंदी है। पंजाब जिन पांच नदियों से मिलकर बना है-उनके नाम हैं :-सिंधु, झेलम, रावी, चिनाव और सतलुज। इस प्रांत का भी बहुत प्राचीन इतिहास है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जब भारत की कहानी आरंभ हुई तो उस कहानी के लेखन के लिए स्याही बनने का कार्य पंजाब ने किया। इसने मध्यकाल में मुस्लिम अत्याचारों को भी सहन किया। जिस समय पंजाब में मुस्लिम अत्याचार अपने चरम पर थे, उसी समय यहां सिख पंथ के गुरूओं ने हिन्दू शक्ति का धु्रवीकरण कर देश के धर्म की और संस्कृति की रक्षा करने के लिए अप्रतिम बलिदान देने का सराहनीय और देशभक्तिपूर्ण कार्य किया। गुरू गोविन्द सिंह ने सिखों को ‘खालसा पंथ’ प्रदान किया और 1699 ई. में अपने इस मकान कार्य के माध्यम से देश में विदेशी सत्ता के विरूद्घ एकता का भाव जगाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उस समय देश पर औरंगजेब की क्रूर सत्ता का पहरा था, जिसने गुरू गोविन्दसिंह के दो सपूतों फतहसिंह और जोरावर सिंह को जीवित ही भीत में चिनवा दिया था। जिसके प्रतिशोध के लिए वीर बंदा वैरागी का उत्थान इस भूमि पर हुआ, जिसने विदेशी सत्ता की ईंट से ईंट बजा दी थी। 18वीं शताब्दी में यहां महाराजा रणजीतसिंह के नेतृत्व में सिख शक्ति का पुन: उदय हुआ। रणजीत सिंह ने पंजाब में एक मजबूत राज्य की नींव रखी। महाराजा रणजीतसिंह की मृत्यु के पश्चात 1849 में पंजाब पर अंग्रेजों का आधिपत्य स्थापित हो गया।
अंग्रेजों के आधीन रहते हुए पंजाब के भारत का एक अलग राज्य 1937 में बनाया गया। मूल पंजाब आज के पाकिस्तान वाले पंजाब को मिलाकर तथा भारत के हरियाणा, पंजाब, हिमांचल प्रदेश और दिल्ली के क्षेत्र को मिलाकर बनता है। 1947 में देश के विभाजन के समय कुछ लोगों ने तो अपने परिजनों को ही बिछड़़ते देखा था, परंतु पंजाब ने तो अपनी भूमि को भी बिछुड़ते देखा। 1 नवंबर 1956 को पंजाब के आसपास की रियासतों को पंजाब से मिलाकर इस राज्य का विस्तार किया गया और पटियाला तथा पूर्वी पंजाब राज्य संघ (पेप्सू) उसमें सम्मिलित कर लिया गया। पाठकों की जानकारी के लिए बता दें  कि पेप्सू में आठ पूर्ववर्ती प्रांतों फरीदकोट, जींद, कपूरथला, वाल्सिया, मालेरकोटला, नालागढ़, नाभा और पटियाला का समूह सम्मिलित था। 1 नवंबर 1966 को पंजाब राज्य का पुनर्गठन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया और पंजाब को तीन इकाईयों में बांट दिया गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि श्रीमती गांधी ने यह बंटवारा भाषा के आधार पर किया। जिसमें पंजाबी भाषा प्रधान क्षेत्र को आज के पंजाब के रूप में तो हरियाणा और हिमांचल प्रदेश को हिंदी के आधार पर अलग कर दिया गया। चण्डीगढ़  पर हरियाणा और पंजाब  ने अपना-अपना अधिकार जताया तो इसे दोनों प्रांतों की संयुक्त राजधानी बना दिया गया। देश में चण्डीगढ़ एक ऐसा शहर है जो शहर भी है और एक केन्द्र शासित प्रांत भी साथ ही चण्डीगढ़ अपनी स्वयं की राजधानी होकर एक समय तीन-तीन प्रांतों की राजधानी है। स्वतंत्रता के पश्चात पंजाब के पहले राज्यपाल सी.एम. त्रिवेदी बने थे। जिन्होंने 15 अगस्त 1947 से 11 मार्च 1953 तक शासन किया। इसी प्रकार गोपीचंद भार्गव को इस प्रांत का पहला मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला। जो कि 15 अगस्त 1947 से 13 अप्रैल 1949 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वर्तमान में यहां के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल हैं। प्रकाश सिंह बादल 23 मार्च 1970 से 14 जून 1971 तक पहली बार, 20 जून 1977 से 17 फरवरी 1980 तक दूसरी बार, 12 फरवरी 1997 से 26 फरवरी 2002 तक तीसरी बार तथा 1 मार्च 2007 से अद्यतन चौथी व पांचवीं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
इस प्रांत के 17 मार्च 1972 से 30 अप्रैल 1977 तक मुख्यमंत्री रहे ज्ञानी जैलसिंह को देश का राष्ट्रपति बनने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। कुछ लोगों ने इस गुरूभूमि को आतंकवाद की भेंट चढ़ा कर विनष्ट करने या भारत से अलग करने का षडय़ंत्र भी रचा, जिसमें पाकिस्तान जैसे शत्रु राष्ट्रों का भी योगदान रहा। परंतु यहां की देशभक्त जनता की देशभक्ति की जीत हुई और पंजाब से आतंकवाद समाप्त हो गया। आज पंजाब शांतिपूर्वक अपनी समृद्घि का इतिहास लिख रहा है।
पंजाब राज्य में एकसदनीय विधानमंडल है। यहां की विधानसभा में 117 सीटें हैं, लोकसभा की 13 और राज्यसभा की 7 सीटें हैं। इस प्रदेश में शिरोमणि अकाली दल एक प्रमुख राजनीतिक दल है। इस पार्टी के अलावा भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस भी यहां पर विशेष स्थान रखते हैं। पूर्व में कांग्रेस की कई सरकारें यहां पर रही हैं। भाजपा ने अपने बल पर अभी सरकार नहीं बनाई है, वह सत्ता में भागीदार अवश्य है। इस बार यहां पर आम आदमी पार्टी भी मैदान में दिखाई देगी। अभी हाल ही में चंडीगढ़ में हुए चुनावों में वहां के लोगों ने आम आदमी पार्टी के हौंसले पस्त किये हैं। फिर भी जनादेश को लेकर कुछ भी कहना ठीक नहीं होता। फिलहाल शिरोमणि अकाली दल व भाजपा बनाम कांग्रेस में टक्कर होती दिखाई दे रही है।
इस प्रांत में प्रथम बार 20 जून 1957 को राष्ट्रपति शासन लगा था, और अंतिम बार 11 जून 1987 को लगाया गया, जो 25 फरवरी 1992 तक चला। कुल 8 बार इस प्रांत में राष्ट्रपति शासन लगा है।

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