पूर्णमासी के अवसर पर पाक्षिक यज्ञ संपन्न: ईश्वर, जीव, प्रकृति की तरह आकाश, काल और दिशा भी अनादि हैं : देवेंद्र सिंह आर्य

ग्रेनो। आज पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण के पावन अवसर पर पाक्षिक यज्ञ महर्षि दयानंद वाटिका में संपन्न किया गया। इस अवसर पर सत्य सनातन संस्कृति रक्षा समिति के संरक्षक श्री देवेंद्र सिंह आर्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जिस प्रकार ईश्वर जीव और प्रकृति तीनों अनादि हैं उसी प्रकार दिशा, काल और आकाश भी अनादि हैं। उन्होंने कहा कि यज्ञ हमें सूक्ष्म की ओर ले जाता है। सूक्ष्म ही जीवन का आधार है और उसी के सहारे यह सारा संसार चल रहा है। उन्होंने कहा कि स्थूल सूक्ष्म के आधार पर टिका है। अस्थि वाले को बिना अस्थि वाला अर्थात आत्म तत्व संचालित किए हुए हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रीय संयोजक डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि आज बुद्ध पूर्णिमा है, जिस पर हमें महात्मा बुद्ध के जीवन संदेश को समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध जीवन भर वैदिक दर्शन और सिद्धांतों के लिए संघर्ष करते रहे। जिन लोगों ने यज्ञ के नाम पर पाखंड और अत्याचार फैला दिए थे उनके खिलाफ महात्मा बुद्ध ने उस समय बड़ी क्रांति की थी।

इस अवसर पर महाशय किशन लाल आर्य ने सुंदर भजन प्रस्तुत किए। जबकि समिति के अध्यक्ष महावीर सिंह आर्य ने कहा कि यज्ञ की संस्कृति ही भारत की संस्कृति है । यज्ञ हमें संसार के प्रत्येक प्राणी के प्रति परोपकार की भावना से ओतप्रोत करता है।
इस पाक्षिक यज्ञ में सत्य सनातन संस्कृति रक्षा समिति के अध्यक्ष महावीर सिंह आर्य कोषाध्यक्ष श्री संदीप गर्ग , महासचिव श्री राजेश बैरागी,सचिव श्री परमानंद कुशवाहा, संरक्षक जेष्ठ भ्राता श्री देवेंद्र सिंह आर्य, श्री सीएस पुंडीर, बेटा अमन आर्य, मेरी सहधर्मिणी श्रीमती ऋचा आर्या, बेटी श्रेया आर्या, नातिन गौरांशी आर्या, महाशय किशन लाल आर्य, रामकुमार नागर आदि उपस्थित रहे।
यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य धर्मराज रहे।

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