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योगी आदित्यनाथ के कड़े तेवरों के चलते ही है यूपी में शांति

अजय कुमार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए परम्परागत रूप से उठाये जाने वाले कदमों से अलग तौर तरीके से चल रहे हैं,जिसकी वजह से अपराधी खौफजदा हैं उनके मददगारों और पनाहगारों की संख्या कम होती जा रही है। असल में यूपी में जब कोई व्यक्ति अपराध करता है तो योगी की पुलिस उन अपराधियों को तो तुरंत धर दबोच लेती है जो पेशेवर अपराधी नहीं होते हैं और विपरीत परिस्थितियों में उनसे अपराध हो जाता है, लेकिन आदतन या पेशेवर अपराधी तत्वों को यूपी पुलिस तुरंत गिरफ्तार करने पर ज्यादा जोर नहीं देती है। यह वह अपराधी होते हैं जो पहले भी हवालात की सजा काट चुके होते हैं और उन्हें जेल जाने से डर भी नहीं लगता है। ऐसे में इन पेशेवर अपराधियों को सबक सिखाने के लिए योगी सरकार इन्हें जेल भेजने से पहले इनके दहशत के साम्राज्य को तोड़ती है। इनकी अवैध संपत्ति की कुर्की के लिए डोजियर तैयार किया जाता है। इसके बाद अपराधी की कमर तोड़ने के लिए बुलडोजर की इंट्री होती है। बुलडोजर पेशेवर अपराधी तत्वों की जुर्म की दुनिया में रहकर कमाई गई अकूत संपत्ति को नेस्तानाबूत करता है। गुंडे-माफियाओं और उनके गुर्गों द्वारा जबरन हथियाई गई जमीन को खाली कराया जाता है। यदि इनके पास किसी तरह के असलहे होते हैं तो उसका लाइसेंस रद्द किया जाता है। इसके पश्चात उन लोगों पर शिकंजा कसा जाता है जो सीधे तौर पर तो किसी अपराध से नहीं जुड़े होते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे से अपराधियों की मदद करते रहते हैं। विकास दुबे, मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद के साम्राज्य को इसी प्रकार से तोड़ा गया है।

ऐसे में कई अपराधी डर के मारे आत्मसमर्पण कर देते हैं या फिर पुलिस के साथ लुकाछिपी के खेल में एनकाउंटर के शिकार हो जाते हैं। बाहुबली विकास दुबे इसकी ताजा मिसाल है, जो पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। इससे पूर्व उसकी करोड़ों की अवैध संपत्ति भी पुलिस ने उसके कब्जे से खाली करा ली थी। इसी प्रकार मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे बाहुबलियों के भी आर्थिक साम्राज्य को तोड़ा गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा हो गया है। अब तक के छह साल के कार्यकाल में यूपी पुलिस ने माफियाओं, अपराधियों और बदमाशों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की है। बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, शराब माफिया बदन सिंह बद्दो, कुख्यात सुनील राठी, सुशील मूंछ, सुंदर भाटी, ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह और बाहुबली विजय मिश्रा समेत 64 गैंगस्टरों की 3000 करोड़ रुपए की संपत्तियां पुलिस ने या तो जब्त की हैं या फिर सरकार ने उन पर बुलडोजर चलवा दिया है। इसमें माफिया डॉन अतीक अहमद के अलावा मुख्तार अंसारी की 523 करोड़ रुपए की संपत्तियों पर कार्रवाई हुई है। इसी तरह ढाई लाख के इनामी बदन सिंह बद्दो की भी करोड़ों रुपए की संपत्तियां जब्त की जा चुकी हैं जबकि उसके और उसके सहयोगियों के तमाम अवैध अड्डों पर बुलडोजर चलाया जा चुका है। बाहुबली विजय मिश्रा की भी 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्तियां अब तक जब्त की जा चुकी हैं।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपराधियों को सजा दिलाने के मामले में भी काफी तत्परता दिखा रही है। योगी राज के दूसरे कार्यकाल के पहले ही वर्ष में यूपी के टॉप लेवल के 13 माफियाओं को कोर्ट ने सजा सुनाई है, जो पहले कभी नहीं हुआ। बाहुबली अतीक अहमद को हाल में ही उमेश पाल अपहरण कांड में उम्र कैद की सजा सुनाई है। अतीक गुजरात के साबरमती जेल में सजा काट रहा है। अतीक के खिलाफ सौ से अधिक मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन उसके खिलाफ कोई गवाही देने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। वहीं बाहुबली मुख्तार अंसारी जिसके खिलाफ कभी कोई गवाही नहीं देता था, उसको सजा दिलाने के लिए अभियोजन विभाग ने सशक्त पैरवी की। गवाहों को कोर्ट तक पहुंचाया। नतीजतन, मुख्तार अंसारी को उसके वर्षों से लंबित मुकदमों में सजा होनी शुरू हुई। मुख्तार अंसारी के खिलाफ प्रदेश के विभिन्न थानों में संगीन धाराओं के 61 मुकदमे दर्ज हैं। इसी तरह बाहुबली विजय मिश्रा जिसके खिलाफ संगीन धाराओं के 83 केस दर्ज हैं उसे भी कोर्ट ने सजा दी। अभियोजन विभाग की पैरवी से आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को सजा मिली जिससे उनकी विधायकी रद्द हुई। सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति में पुलिस और अन्य एजेंसियों के सहयोग से यह सब संभव हुआ।

योगी सरकार के एक साल की बात की जाए तो योगी राज में बीते एक साल में 21 अपराधी मुठभेड़ में मारे गए, 1256 अपराधी मुठभेड़ में घायल हुए। वहीं एनकाउंटर के दौरान 182 पुलिसकर्मी भी घायल हुए। इसी बीच 25000 के 2749 इनामी अपराधी गिरफ्तार हुए और 50000 के 267 इनामी अपराधी गिरफ्तार हुए, इसके अलावा 50,000 से ज्यादा इनाम वाले 36 अपराधी गिरफ्तार हुए। गैंगस्टर एक्ट के 3903 केस रजिस्टर किए गए जबकि 12513 आरोपी गिरफ्तार करके जेल भेजे गए। 126 अपराधियों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई हुई। गैंगस्टर एक्ट के तहत कुल 70 अरब 58 करोड़ 64 लाख 33 हजार 537 रुपए की चल अचल संपत्तियां जब्त की गईं।

बीते एक साल में एसटीएफ ने 847 अपराधियों को गिरफ्तार किया। एसटीएफ ने चार अपराधियों को एनकाउंटर में मारा और 85 इनामी अपराधी गिरफ्तार किए। इसी अवधि में साइबर क्राइम करने वाले 16 अपराधी गिरफ्तार किए गए जबकि ड्रग्स की तस्करी करने वाले 210 अपराधी गिरफ्तार किए गए। 458.79 करोड़ रुपए के ड्रग्स बरामद किए गए। बीते एक साल में 35 असलहा तस्कर दबोचे गये तो 131 असलहे बरामद किए गए। हाईटेक सर्विलेंस से 69 वारदातों को रोका गया।

योगी सरकार आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने में भी पीछे नहीं रही। यूपी में आईएसआईएस, जैश-ए-मोहम्मद, अल कायदा, आईएसआई जैसे आतंकी संगठनों से संबंधित 21 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान पीएफआई, रोहिंग्या, बांग्लादेशी, नक्सल से संबंधित 13 लोगों की गिरफ्तारी की गई। लब्बोलुआब यह है कि योगी राज में अपराधियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया गया। गुंडे-माफियाओं ने दहशत के बल पर अपना जो साम्राज्य खड़ा किया था, उसे योगी की पुलिस ने ऐसे माफियाओं-बाहुबलियों के अंदर दहशत पैदा कर उसे धवस्त कर दिया। आज अपराधी हाथों में तख्ती लेकर सरेंडर कर रहे हैं। देशभर में योगी के नाम का डंका बज रहा है। आज स्थिति यह है कि यूपी में अपराध तो कम हुए ही हैं, इसके अलावा दंगाइयों और साम्प्रदायिक शक्तियों के भी हौसले पस्त पड़े हैं। यही वजह है जब रामनवमी पर कई राज्यों में हिंसा हो रही थी, तब यूपी में सब कुछ सामान्य चल रहा था। रामनवमी भी मनाई जा रही थी और रमजान भी।

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