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भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए अपनाना होगा परिश्रम और पुरुषार्थ का मार्ग : डॉ गोविंदाचार्य


नई दिल्ली। ( अजय कुमार आर्य ) यहां स्थित विट्ठल भाई पटेल भवन में वरिष्ठ चिंतक एवं राष्ट्रवादी नेता के0एन0 गोविंदाचार्य ने ‘उगता भारत’ के साथ एक विशेष बातचीत में कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए परिश्रम और पुरुषार्थ का मार्ग अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि भारत का चिंतन शुद्ध मानवतावादी चिंतन है जो वास्तव में किसी भी व्यक्ति अथवा प्राणी का अहित नहीं चाहता। उन्होंने कहा कि श्रीराम और श्रीकृष्ण के इस पवित्र देश में बहती हुई चिंतन की पवित्र धारा से ही विश्वकल्याण संभव है।


गोविंदाचार्य ने उगता भारत को बताया कि वह स्वयं अपनी एक व्यापक योजना के अंतर्गत अपने इस मिशन को सफल करने में लगे हुए हैं। उन्होंने भारत के इतिहास के गौरवपूर्ण लेखन की आवश्यकता बताते हुए कहा कि भारत को समझने के लिए भारत के वेदों, उपनिषदों के व्यापक चिंतन और पुराणों में उल्लिखित ऐतिहासिक घटनाओं के आधार पर भारत के अतीत का भारत के इतिहास के रूप में उल्लेख करना समय की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि प्रभु श्री राम का आदर्श चरित्र हमारे आदर्श लोकतंत्र की बुनियाद हो सकता है। जिसमें शस्त्र और शास्त्र का अद्भुत समन्वय है। राष्ट्रवादी शक्तियों के उन्नयन और राष्ट्र विरोधी शक्तियों के दमन के लिए प्रभु श्री राम का आदर्श व्यक्तित्व और नेतृत्व युग युगो तक हमें प्रेरणा देता रहेगा। उनके इसी अद्भुत व्यक्तित्व और नेतृत्व को ही रामराज्य की संज्ञा दी जाती है। जिसे आज के परिप्रेक्ष्य में पूर्णरूपेण अपनाने और लागू करने की आवश्यकता है।
गोविंदाचार्य ने कहा कि भारत की वर्तमान शिक्षा नीति को पूर्णरूपेण परिवर्तित कर भारत की आत्मा और चेतना के अनुकूल बनाने की आवश्यकता है। जिससे भारत को पहचानने में हमारे युवाओं को किसी प्रकार की भ्रान्ति का शिकार ना होना पड़े। भारत और भारतीयता के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव दिखाते हुए वरिष्ठ राष्ट्रवादी नेता ने कहा कि हमें बिना किसी पूर्वाग्रह के अपनी राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक इन शब्दों के प्रति पूर्ण समर्पण व्यक्त करना चाहिए।

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