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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

एटा जिले के एक गुमनाम क्रांतिकारी महावीर सिंह

उगता भारत ब्यूरो

(17 मई को बलिदान दिवस के अवसर पर विशेष रूप से प्रकाशित)
एटा-कासगंज जिले के एक महान क्रांतिकारी को आसपास के जिले वाले लोग भी नही जानते..
अंडमान की सेलुलर जेल में लगी ये प्रतिमा एटा के #महावीर_सिंह जी की है , ये भारत के एक महान क्रांतिकारी थे.
उनका जन्म 16 सितम्बर 1904 को उत्तर प्रदेश के एटा जिले के शाहपुर टहला नामक एक छोटे से गाँव में उस क्षेत्र के प्रसिद्ध वैद्य कुंवर देवी सिंह और उनकी धर्मपरायण पत्नी श्रीमती शारदा देवी के पुत्र के रूप में हुआ था| प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही प्राप्त करने के बाद महावीर सिंह ने हाईस्कूल की परीक्षा गवर्मेंट कालेज एटा से पास की थी…
1925 में उच्च शिक्षा के लिए महावीर सिंह जब डी. ए. वी. कालेज कानपुर गए तो चन्द्रशेखर आज़ाद के संपर्क में आने पर उनसे अत्यंत प्रभावित हुए और उनकी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोशिएसन के सक्रिय सदस्य बन गए। इसी के जरिये उनका परिचय भगतसिंह से हुआ और जल्द ही महावीर भगतसिंह के प्रिय साथी बन गए। उसी दौरान उनके पिता जी ने उनकी शादी तय करने के सम्बन्ध में उनके पास पत्र भेजा जिसे पाकर वो चिंतित हो गए| अपने आप को मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए चल रहे यज्ञ में समिधा बना देने का दृढ़ संकल्प करने के बाद उन्होंने अपने पिता जी को राष्ट्र की आजादी के लिए क्रांतिकारी संघर्ष पर चलने की सूचना देते हुए शादी-ब्याह के पारिवारिक संबंधों से मुक्ति देने का आग्रह किया|
ये वही महावीर सिंह हैं, जिन्होंने भगत सिंह को लाहौर से सकुशल निकाला था. ये भी असेम्बली में बम फोड़ने व सांडर्स की हत्या में शामिल थे .उसके बाद महावीर सिंह, भगत सिंह व उनके साथियों को सेलुलर जेल में डाल दिया गया था .
पर इन्होंने जेल में किसी से माफी नहीं मांगी. बल्कि उसी जेल में अंग्रेजों के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठ गए, कई दिनों तक हड़ताल पर रहने के बाद, अंग्रेजों ने नाराज होकर इन्हें पकड़कर जबरदस्ती दूध पिलाया और जबरदस्ती करने पर दूध इनके फेफड़ों में चला गया ,और एक क्रांतिकारी तड़प-तड़प के शहीद हो गया और इनके शहीद, शरीर को समुन्दर में फेंक दिया गया …
और मृत शरीर के साथ, इस क्रांतिकारी का नाम भी समुन्दर में गायब हो गया.
शहीद महावीर सिंह का दुर्भाग्य ये था, की इनकी सेटिंग किसी संगठन या पार्टी से नहीं थी, जो इन्हें आज याद करें, जो आज इन्हें प्रमोट कर सके…….इसलिए इतना महान
क्रांतिकारी आज गुमनाम है….
(साभार)

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