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आज का चिंतन

वायरस , बंद परिवेश और यज्ञ

* भारतीय संस्कृति की महानता*
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दुनिया में 120 जगह पर 70 से ज्यादा कंपनियां कोरोना वायरस की वैक्सीन पर काम कर रही है| ऑस्ट्रेलिया अमेरिका ब्रिटेन भारत चीन सहित पांचों देशों में वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल भी चल गया है| कोविड-19 वैश्विक महामारी अर्थात कोविड-19 वायरस 6 महीने की उम्र पूरी कर चुका है | दुनिया के चोटी के संक्रमण रोग विशेषज्ञ ,वायरोलॉजिस्ट कोरोना वायरस की प्रकृति अर्थात जेनेटिक मैटेरियल इसके व्यवहार को अभी पूरी तरह से नहीं जान पाए हैं लेकिन इस वायरस के वातावरण में प्रसार संक्रमण के तरीके को लगभग समझ लिया गया है| वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो कोई भी संक्रामक बीमारी के लिए जिम्मेदार वायरस एकाकी साधन विहीन होता है कुछ माध्यम होते हैं जिनके माध्यम से वह प्रचार प्रसार करता है अपने शिकार को शिकार बनाता है |वह माध्यम मानव रक्त बलगम म्यूकस सलाइवा या कोई अन्य बॉडी फ्लूड भी हो सकता है जिन पर सवार होकर यह वायरस संक्रमण फैलाते हैं| United States Centre for Disease Control के मुताबिक जब हम खासते या छींकते है तो 1 एमएम से लेकर 1000 एमएम आकार की श्वसन बूंद हमारे नथुने व मुख से निकलकर वातावरण में फैल जाती है | एक छींक में ऐसी बूंदों की संख्या 4000 तक होती है…. 5 माइक्रोन से छोटी स्वसन बूंद वह बहुत देर तक वातावरण में तैरती रहती है| 40 के लगभग ऐसी बूंदों में व्यक्ति को गंभीर तौर पर संक्रमित करने लायक पूरा वायरस का जेनेटिक मैटेरियल होता है| यह respiratory droplet बूंदें जमीन या किसी अन्य surface से आसानी से नहीं चिपकती वातावरण में निलंबित अर्थात सस्पेंडेड रहती है| पृथ्वी पर इतना हुमन रिसोर्स नहीं है कि पूरे वायुमंडल को सेनीटाइज स्टरलाइट किया जा सके…. यही मनुष्य लाचार होता है… महामारी ,वैश्विक महामारी बन जाती है|

कोरोना जैसे वायरस स्वसन बूंद के केंद्र में छुपे रहते जलीय अंश को खोल बनाकर फलते फूलते हैं, बाहरी वातावरण के प्रभाव से जब तक इन बूंदों का निर्जलीकरण नहीं होता यह वातावरण से नष्ट नहीं होती| अंदरूनी बंद इंडोर परिसर कमरे आदि में यह संक्रामक ड्रॉपलेट वातावरण में बहुत देर तक टिकी रहती है| इन बूंदों को नष्ट किए बगैर वातावरण से कोरोना वायरस को नष्ट नहीं किया जा सकता है इसका प्रमुख सहज सुलभ हथियार केवल और केवल अग्निहोत्र/ हवन /यज्ञ ही है |वातावरण चाहे बाहरी हो या अंदरूनी यज्ञ के माध्यम से उसका पूरी तरह निर्जलीकरण किया जा सकता है….| पवित्र यज्ञ अग्नि से बनने वाली धूम जो यज्ञ में डाली गई रोग नाशक सुगंधी कारक सामग्री का सुक्ष्म प्रचंड स्वरूप है वह भौतिक रसायन की प्रक्रिया द्वारा वातावरण की नमी को संतुलित करता है| पवित्र यज्ञ वेदी यज्ञ अग्नि के चारों ओर का त्रिविमीय आकार परीक्षेत्र आलोकित दिव्य होता है|

जहां कोई भी मानव सुख शांति स्वास्थ्य आरोग्य में बाधा डालने वाला अवांछित तत्व प्रवेश नहीं कर सकता चाहे कोरोना जैसा वायरस या कोई प्रदूषक पोल्यूटेंट हो|

यज्ञ ब्रह्मास्त्र है जो कभी खाली नहीं जाता मानव विश्वकल्याण करके ही शांत होता है | वैश्विक महामारी के दौरान प्रतिदिन ना सही साप्ताहिक अपने घर के बंद परिसर में हवन करें आपको हवन की विधि नहीं आती मंत्र कंठस्थ नहीं है आप केवल गायत्री मंत्र से यज्ञ कर सकते हैं बगैर पुरोहित के भी यज्ञ किया जा सकता है प्राचीन भारत गृहस्थ ऐसा ही करते थे |

महामारी वायरस किसी पर रहम नहीं करते हैं | यह ना गरीब को ना अमीर को ना शायर को ना पत्रकार को न कलाकार को न साहित्यकार को उसके लिए सब हाड मांस के पुतले हैं, टारगेट हैं| भोगी को यह छोड़ेगी नहीं योगी यज्ञ प्रेमी को यह छू तक नहीं पाएगी|

आगे आप अभीष्ट विचार करें|

आर्य सागर खारी ✍

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