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उगता भारत न्यूज़

अब खुदा के लिए सेकुलरिज्म को भूल जाओ और एकजुट होने का काम करो : आरिफ पठान

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार

नागरिकता संशोधक कानून से देश को महान उपलब्धि प्राप्त हुई है, वह यह कि सेकुलरिज्म के नाम पर देश को भ्रमित कर, हिन्दुओं को गुमराह करने वालों की एक लम्बी सूची सामने आ गयी है। और इनका साथ देने वाले जागे हुए हिन्दू जो सोने का बहाना कर इनके चुंगल में फंस रहे हैं, उन्हें वर्तमान समय का जयचन्द कहा जाएगा। और ये जयचन्दी इन जहरीले मौलानाओं से कहीं ज्यादा खतरनाक हैं।

एक तरफ मुस्लिम हितों के लिए बनी पार्टियां सेकुलरिज्म की बात करती हैं, वहीं दूसरी तरफ, मुसलमानों से सेकुलरिज्म भूल जाने को कहते हैं। कुछ समय पूर्व लिखे शीर्षक “सेकुलरिज्म सिर्फ तब तक, जब तक भारत में इस्लाम की हकूमत नहीं ले आते : अरफ़ा खानुम”, शत-प्रतिशत नागरिकता संशोधक कानून के विरोध की इनकी जहरीली मानसिकता सामने आ रही है।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के पूर्व एमएलए वारिस पठान के भाषण की एक वीडियो सामने आई है। वीडियो गुलबर्ग रैली के दौरान दिए भाषण की है। भाषण में वारिस पठान सीएए के ख़िलाफ़ बोलते हुए वहाँ मौजूद भीड़ को मोदी-शाह के अलावा हिंदुओं के ख़िलाफ़ भड़काते दिख रहे हैं। वीडियो में वारिस को कहते सुना जा सकता है कि उनकी (मुसलमानों की) संख्या अभी 15 करोड़ है, लेकिन ये 15 करोड़ 100 करोड़ पर भारी है। अगर ये 15 करोड़ साथ में आ गए, तो सोच लो उन 100 करोड़ का क्या होगा?

वारिस पठान 15 मिनट की अपनी बातचीत में ओवैसी को शेर बताते हैं और सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही महिलाओं को शेरनियाँ। उन्हें पूरी वीडियो की शुरुआत में ही भीड़ को उकसाने के लिए कहते सुना जा सकता है कि हिंदुओं को हिलाना है न, मोदी-अमित शाह की तख्त को गिराना है न? तो आवाज ऐसी बनानी है कि आवाज यहाँ से निकले और सीधे जाकर दिल्ली के अंदर गिरे।

वीडियो में वारिस पठान मोदी शाह के ख़िलाफ़ जमकर जहर उगलने के बाद ये कहते भी नजर आते हैं कि सीने पर गोली खाएँगे, मगर कागज़ नहीं दिखाएँगे। उन्हें वीडियो में ये भी कहते सुना जा सकता है कि आज जो लोग सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं, वो लोग इस देश के संविधान को बचाने निकले हैं। वे लोग इस देश के लोकतंत्र को बचाने निकले हैं और वे लोग इस देश के सेकुलरिज्म को बचाने निकले हैं।

अपने भाषण में वारिस पठान इस बात को एक सिरे से खारिज करते दिखते हैं कि मदरसों से आतंकवादी नहीं निकलते बल्कि उनके मुताबिक आतंकी तो आरएसएस से आते हैं। उन्हें वीडियो में पूछते देखा जा सकता है कि आखिर महात्मा गाँधी पर गोली चलाने वाला आतंकी गोडसे किस शाखा का था? गुजरात में माँ-बहन की इज्जत लूटी, वो किस शाखा से आते थे? जामिया और शाहीन बाग में जो पिस्तौल लेकर गया, वो किसकी बात सुनकर आया और किस शाखा से आया?

अपनी बात को खत्म करते-करते वारिस पठान वहाँ मौजूद भीड़ को आजादी के मायने बताते हैं और वीडियो की शुरुआत में सेकुलरिज्म की बात करने वाले अपने भाषण के अंत तक 100 करोड़ हिंदुओं पर हावी होने की बात खुलेआम कहते हैं और मुसलमानों से संगठित होने की गुहार लगाते हैं।

वारिस कहते हैं, “आजादी लेनी पड़ेगी..और जो चीज माँगने से नहीं मिलती उसे छीनना पड़ेगा। अब वक्त आ गया है।” वे महिलाओं के प्रदर्शन की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि अभी तो सिर्फ़ शेरनियाँ बाहर निकली हैं। अगर हम लोग बाहर आ गए तो सोचो क्या होगा, हम 15 करोड़ है लेकिन 100 करोड़ पर भारी हैं, ये बात याद रख लेना।

जिस मंच से AIMIM के पूर्व विधायक और वकील वारिस पठान ने मोदी-शाह समेत हिंदुओं के बारे में जमकर जहर उगला, उस मंच पर उनकी पार्टी प्रमुख ओवैसी भी मौजूद थे। जो साल 2018 में सेकुलरिज्म के नाम पर मुसलमानों से अपील करते हैं कि मुसलमान सिर्फ़ मुसलमानों को ही वोट दें, तभी धर्मनिरपेक्षता मजबूत होगी और साल 2019 में मुसलमानों को कहते हैं कि अब खुदा के लिए सेकुलरिज्म को भूल जाओ और एकजुट होने का काम करो।

अरफा खानुम किस प्रकार प्लान बता रही है वो आपको गौर से सुनना चाहिए, इन दिनों कट्टरपंथी तत्व जो तिरंगा लहरा रहे है, राष्ट्रगान गा रहे है वो इनकी स्ट्रेटेजी का हिस्सा है, सुनिए क्या कहती है अरफा।

इस देश में काफी सारे सेक्युलर हिन्दू अरफा खानुम और इनके जैसे लोगों का मोदी विरोध में जमकर साथ दे रहे है, अरफा खानुम इन सेकुलरों के सामने तो भाईचारे, दलित, आदिवासी की बात करती है, पर मुस्लिम भीड़ के आगे वो पूरी प्लानिंग समझाती है।

अरफ़ा की इस बात से देश समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्षों को अपनी आंखें खोलने चाहिए, जो सेकुलरिज्म का हर वक़्त राग अलापते रहते हैं। वास्तव में हिन्दुओं का छद्दम धर्म-निरपेक्षों द्वारा मूर्ख ही बनाया जा रहा, बल्कि ये लोग स्वयं गजवा हिन्द बनाने में इन कट्टरपंथी स्लीपर सैल्स की मदद कर, भारत को पुनः गुलाम बनाने की ओर धकेल रहे हैं, जो अरफ़ा के बयानों से स्पष्ट झलक रहा है।

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