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पटेल और इंदिरा: मोदी के अटपटे बोल

कैसा विचित्र संयोग है? देश के दो महान नेताओं के बड़े दिन एक ही तिथि पर पड़ते हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म-दिन और इंदिरा गांधी की पुण्य-तिथि, दोनों 31 अक्तूबर को आते हैं। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल का जन्म-दिन बड़ी धूमधाम से मनाने की कोशिश की। उन्होंने बहुत अच्छा […]

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इमाम बुखारी का बुखार

जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी को इतना बुखार क्यों चढ़ आया? वे अपनी निजी कार्यक्रम में किसे बुलाते हैं और किसे नहीं, इसकी पूर्ण स्वतंत्रता उनको है लेकिन उनका यह कहना कि प्रधानमंत्री मोदी भारत के मुसलमानों को भारत का नागरिक नहीं समझते, यह दिमागी बुखार नहीं तो क्या है? नरेंद्र मोदी तो क्या, […]

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बाबुओं को शाह नहीं, सेवक कैसे बनाएं?

केंद्र सरकार ने अपने खर्च में से 10 प्रतिशत की कटौती करने की जो घोषणा की है, उसका तो खुले दिल से स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन हम लगे हाथ यह प्रश्न भी पूछ लें तो किसी को बुरा नहीं लगना चाहिए कि सरकार में फिजूलखर्ची क्या सिर्फ 10 प्रतिशत ही होती है? ‘अधिकाधिक सुशासन […]

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हैरान क्यों हैं शैतान कहने पर?

विष्‍णु गुप्‍त किया की विपरीत प्रतिक्रिया होती है। हिंसा के विरोध में प्रतिहिंसा भी होती है। दुनिया में कोई सर्वशक्तिमान नहीं होता है? सर्वशक्तिमान समझने वाली शक्ति को भी चुनौती मिलती है। अराजक और अनियत्रित शक्ति, समूह और व्यवस्था की मानसिकता का दमन होता है, पतन भी होता है। यह सब हम बार-बार देखते हैं। […]

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….अब प्रधानमंत्री मोदी का इंतजार

 पुण्‍य प्रसून वाजपेयी ४८ मौत, ५०० बीमार, राष्ट्रपति का इंकार और अब प्रधानमंत्री मोदी का इंतजार संसद सदस्य बनने के बाद ऱाष्ट्रकवि दिनकर ने लिखा था, “हो गया एक नेता मैं भी !तो बंधु सुनो, / मैं भारत के रेशमी नगर में रहता हूं, /  जनता तो चट्टानों का बोझ सहा करती, / मैं चादंनियों […]

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जेहाद

बहुत पुरानी बात है। हिंदुओं का एक काफ़िला अपने धर्म की रक्षा के लिए पश्चिमोत्तर के पर्वत-प्रदेश से भागा चला आ रहा था। मुद्दतों से उस प्रांत में हिंदू और मुसलमान साथ-साथ रहते चले आये थे। धार्मिक द्वेष का नाम न था। पठानों के जिरगे हमेशा लड़ते रहते थे। उनकी तलवारों पर कभी जंग न […]

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मन चंगा तो कठोती में गंगा

नियत में खोट, प्रतिष्ठा पर चोटडॉ.शशि तिवारी कहते है मन चंगा तो कठोती में गंगा’, लेकिन मन अत्यधिक चंचल होता है पल में हां और पल में न कहतेे एवं एक पाले से दूसरे पाले में ढुंलकते देर भी नहीं लगनी लक्ष्मी भी चंचल होती हैं, मन और लक्ष्मी किस पर कृपा बरसा दे ठीक-ठीक […]

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बहुत सो चुके, अब तो जगें

जागरण का समय आ ही गया है। जाने कितनी बार नए संकल्पों और नई भोर के साथ जागरण का संदेश देने वाले पर्व-त्योहार और नए-नए अवसर हमारे सामने आते रहते हैं। पर हम इतने आलसी हैं कि हर बार कल्पनाओं में खो जाते हैं, संकल्प लेते हैं, लक्ष्यों में खुद को बाँधते हैं, कुछ नया […]

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काले धन की जड़ों में मट्ठा

30 अक्टूबर 2014 : सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को उन लोगों के नाम सौंप दिए हैं, जिनके खाते विदेशों में हैं। यह कार्य स्वागत योग्य है लेकिन विडंबना है कि इसका श्रेय सरकार को नहीं मिलेगा। इसका श्रेय उन न्यायाधीशों को है, जिन्होंने सरकार को सीधी फटकार लगाई। उन्होंने वही कहा, जो राम जेठमलानी कह […]

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औरों पर नहीं विश्वास खुद भी होते हैं अविश्वसनीय

        यह दुनिया विश्वास और अविश्वास के ध्रुवों के बीच चलायमान है। इसमें इंसान की स्थिति उस पेण्डुलम की तरह है जिसमें उसे खुद को यह भरोसा नहीं होता कि सही क्या है। किस पर विश्वास करे और किस पर नहीं।         कुछ लोग विश्वास के सहारे जीते हैं, कुछ इससे भी […]

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