( हम अपने गायत्री मंत्र में शुद्ध बुद्धि की उपासना करते हैं । यदि व्यक्ति की बुद्धि शुद्ध है तो वह प्रत्येक विषम परिस्थिति से तो निकल ही जाएगा बल्कि जीवन को भी उत्तमता से जीने का अभ्यासी बन जाएगा। एक प्रेरणास्पद व्यक्तित्व तभी बनता है जब व्यक्ति की बुद्धि शुद्ध, पवित्र और निर्मल होती […]
श्रेणी: कहानी
मुनि कहते जा रहे थे कि “सुख के चाहने वाले मनुष्य को धन कमाने की ओर वैराग्य के भाव से ही आगे बढ़ना चाहिए। धन कमाने की चेष्टा में डूबना नहीं चाहिए। संसार में रहकर असंग भाव पैदा करना चाहिए और उसी का अभ्यास करना चाहिए। जितना जितना संगभाव अपनाया जाएगा , उतना – उतना […]
( भीष्म ने युधिष्ठिर के लिए प्राचीन काल के अनेक ऐतिहासिक प्रसंगों और संवादों को बड़ी सहज और सरल भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया। ऐसा करने के पीछे उनका उद्देश्य केवल एक ही था कि उनका प्रिय धर्मराज युधिष्ठिर प्रजा पर शासन करते हुए धर्म, न्याय और नीति के अनुसार आचरण करे। यद्यपि […]
बालक ने कहा कि नदियों का प्रभाव सदा आगे की ओर ही बढ़ता है। वह कभी पीछे की ओर नहीं लौटता । उसकी निरंतर साधना का राज आगे बढ़ने में छिपा है। इसी प्रकार रात और दिन भी मनुष्य की आयु का अपहरण करके मानो उसे खाते जा रहे हैं। यह बार-बार आ रहे हैं […]
( भीष्म ने युधिष्ठिर के लिए प्राचीन काल के अनेक ऐतिहासिक प्रसंगों और संवादों को बड़ी सहज और सरल भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया। ऐसा करने के पीछे उनका उद्देश्य केवल एक ही था कि उनका प्रिय धर्मराज युधिष्ठिर प्रजा पर शासन करते हुए धर्म, न्याय और नीति के अनुसार आचरण करे। यद्यपि […]
( धर्मराज युधिष्ठिर भीष्म पितामह के दीर्घकालिक अनुभवों के मोतियों को बातों – बातों में ज्ञानोपदेश के माध्यम से लूट रहे थे। यह एक अद्भुत और दुर्लभ वार्तालाप है। ज्ञान मोतियों को लूटने की बड़ी भयंकर डकैती थी यह। सचमुच , एक ऐसी डकैती जिस पर प्रत्येक राष्ट्रवासी को गर्व की अनुभूति होती है। संसार […]
राजा के शोक निवारण के प्रति गंभीर हुए ब्राह्मण ने राजा को समझाते हुए आगे कहा कि “राजन! इस समय तुम्हें यह विचार करना चाहिए कि संसार में प्रत्येक मनुष्य किसी न किसी प्रकार के दु:ख में फंसा रहता है। प्रत्येक प्राणी दु:खों में ग्रस्त हो रहा है। ऐसा नहीं है कि यह दु:ख केवल […]
( मृत्यु शय्या पर पड़े भीष्म से राजधर्म का उपदेश लेते हुए युधिष्ठिर ने अनेक प्रकार के प्रश्न किए। धर्म और नीति में निपुण गंगानंदन भीष्म ने भी अपनी निर्मल बुद्धि से युधिष्ठिर के प्रत्येक प्रश्न का शास्त्रसंगत उत्तर देने का सफल प्रयास किया । युधिष्ठिर प्रश्न पूछते जा रहे थे और भीष्म पितामह अपने […]
अपनी पत्नी के प्रति कबूतर की इस प्रकार की आत्मीयता भरी बातों को सुनकर सभी पक्षी जिज्ञासा भाव से बड़े भावविभोर से दिखाई दे रहे थे। कबूतर जिस निश्छल भाव से अपनी बात को व्यक्त किये जा रहा था वे सब उन पक्षियों को अच्छी लग रही थीं। कबूतर कह रहा था कि “यदि घर […]
(यह कहानी महाभारत के ‘शांति पर्व’ में आती है। जिस समय भीष्म पितामह युधिष्ठिर को राजधर्म का उपदेश कर रहे हैं, उस समय युधिष्ठिर ने उनसे पूछा कि “सभी शास्त्रों के मर्मज्ञ पितामह! आप मुझे यह बताइए कि शरणागत की रक्षा करने वाले प्राणी को किस प्रकार का फल प्राप्त होता है ?” भीष्म जी […]