प्राचीनकाल से ही भारत में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को प्रधानता प्रदान की गई है । भारत की यह शिक्षा प्रणाली आचार्य केंद्रित हुआ करती थी। जिसमें आचार्य को इस बात की खुली छूट दी जाती थी कि वह जिस प्रकार चाहे बच्चों की प्रतिभा को निखारते हुए उनका निर्माण कर सकता है। इसके लिए उसे […]
श्रेणी: समाज
इस प्रकार की पदों की राजनीति में कुत्तों की भाति लड़ते हुए ऐसे लोग भी देखे जाते हैं जिनके माता या पिता में से कोई कभी उक्त आर्य समाज का प्रधान रहा था। वह केवल इस बात के दृष्टिगत लड़ाई कर रहे होते हैं कि कभी मेरे पिता ने इस आर्य समाज के अमुक पद […]
आज देश में अधिकांश ऐसी आर्य समाजें हैं जिनमें घटिया स्तर की राजनीति हो रही है । लोग पदों के लिए कुत्तों की भांति लड़ रहे हैं। एक दूसरे की टांग खींचना , एक दूसरे के प्रति जहर उगलना और ओच्छी मानसिकता से उपजी अभद्र भाषा का प्रयोग करना , आर्य समाज में बैठे लोगों […]
राजनीति के क्षेत्र में तो हमने मैदान पर उनका अधिकार स्वीकार किया ही जिनका अधिकार नहीं होना चाहिए था। हमने धर्म के क्षेत्र में भी उन पाखंडियों और अंधविश्वासियों को खुला मैदान सौंप दिया जिन्होंने सदियों से देश के समाज का पाखंडीकरण किया था। इन सब बातों को देखकर आज यह कहने में कष्ट होता […]
आर्य समाज ऋषि दयानंद जी की विचारधारा का ध्वजवाहक है। पिछले लगभग डेढ़ सौ वर्ष में इस संस्था ने भारत को ही नहीं संपूर्ण भूमंडल के निवासियों को बहुत कुछ दिया है। देश-विदेश के अनेक विद्वानों ने इस क्रांतिकारी संगठन के महत्वपूर्ण योगदान की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। भारत की लुप्त वैदिक संपदा […]
आर्य राष्ट्र और हिंदू राष्ट्र ऊपरी तौर पर एक हैं, परंतु एक मौलिक अंतर इन दोनों में है और वह अंतर है विचारधारा का अंतर। यद्यपि हम इन दोनों शब्दों को लेकर किसी प्रकार के विवाद के पक्षधर नहीं है, परंतु फिर भी बता देना चाहते हैं कि आर्य राष्ट्र हमारे देश के सत्य सनातन […]
भारत के स्वाधीनता आंदोलन को गांधीजी के नाम करने वाले कांग्रेसियों ने तो देश के इतिहास का विकृतिकरण किया ही है साथ ही उन वामपंथी इतिहासकारों ने भी देश के इतिहास के तथ्यों के साथ गंभीर छेड़छाड़ की है, जिन्होंने आर्य समाज जैसे क्रांतिकारी संगठन को पीछे धकेलने के उद्देश्य से प्रेरित होकर अपनी – […]
इस अवसर पर अपना ओजस्वी वक्तव्य देते हुए दंडी स्वामी बिरजानन्द जी महाराज ने लोगों का आवाहन किया था कि वे सब देश के लिए एक होकर काम करें । राष्ट्र की उन्नति के लिए सबके संयुक्त प्रयास से ही विदेशी सत्ता को देश से उखाड़ फेंकने में सफलता मिल सकती है। उपरोक्त पुस्तक से […]
स्वामी दयानंद जी महाराज के इतिहास संबंधी ज्ञान के आदि स्रोत के रूप में उनके 79 वर्षीय गुरु बिरजानंद जी, बिरजानंद जी के 129 वर्षीय गुरु पूर्णानंद जी और पूर्णानंद जी के 160 वर्षीय गुरु आत्मानंद जी थे। इन तीनों ही महान विभूतियों से स्वामी जी का साक्षात्कार हुआ था। बात को समझने के दृष्टिकोण […]
अपनी पुस्तक “लाल किले की दर्द भरी दास्तां” में डॉ मोहनलाल गुप्ता ने स्पष्ट किया है कि दिल्ली का मुगल बादशाह नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह रंगीला बहुत ही अय्याश किस्म का बादशाह था। जिसने 1719 ईस्वी में गद्दी पर बैठते ही दरबार को ही अय्याशी का केंद्र बना दिया था। ऐसा नहीं है कि इससे पहले […]