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रूढ़िवादी विचारों से आज़ाद नहीं हुआ ग्रामीण समाज

ममता देवी मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार असमानताएं, रूढ़िवादी विचार, कुरीतियां, अतार्किक परंपराएं और कुप्रथाएं यह आज भी कुछ ऐसी लकीरें हैं जो भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास में बाधक हैं. भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जो विविधताओं से भरा पड़ा है. सभी प्रांतों की वेशभूषा, रूप-रंग, रहन-सहन, भाषा-बोली और यहां तक कि खानपान आदि […]

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कमजोरों की अनदेखी करते रहने से समाज का कभी भला नहीं हो सकता

हर रिश्ते को संवेदना से जीने के लिये जरूरी है प्रेम एवं विश्वास। प्यार एवं विश्वास दिलों को जोड़ता है। इससे कड़वे जख्म भर जाते हैं। प्यार की ठंडक से भीतर का उबाल शांत होता है। हम दूसरों को माफ करना सीखते हैं। इनकी छत्रछाया में हम समूह और समुदाय में रहकर शांतिपूर्ण जीवन जी […]

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मनुष्य इतना क्रूर क्यों होता जा रहा है? कब थमेगा जीव-जंतुओं पर होने वाला अत्याचार ?

ललित गर्ग पशुओं के प्रति क्रूरता रोकथाम अधिनियम भारतीय संसद द्वारा 1960 में पारित एक अधिनियम है जिसका उद्देश्य पशुओं को दी जाने वाली अनावश्यक पीड़ा और कष्ट को रोकना है। पशुओं के साथ निर्दयता का अर्थ है मानव के अतिरिक्त अन्य पशुओं को नुकसान पहुँचाना या कष्ट देना। उत्तर प्रदेश के बदायूं में चूहे […]

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किशोरियों में कुपोषण से गंभीर बीमारियों का खतरा

रेहाना कौसर पुंछ, जम्मू केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती जिला पुंछ की तहसील मंडी के दरहा दीना गांव की निवासी 13 वर्षीय नजमा सातवीं कक्षा की छात्रा थी. एक दिन जब वह स्कूल से घर वापस आई तो उसके पेट में भयानक दर्द होने लगा. इससे उसका पूरा शरीर कांपने लगा. दस दिनों तक […]

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महत्वपूर्ण लेख समाज

क्यों बढ़ रही है देश में आत्महत्या की घटनाएं ?

अशोक भाटिया दरअसल हमारे देश ही नहीं, पूरी दुनिया में अकेलेपन, अवसाद और आत्‍महत्‍या के मामले बढ़ रहे हैं। बल्कि यूं कहना ठीक होगा कि आत्‍महत्‍या एक महामारी का रूप धरती जा रही है। लोग कई वजहों से आत्‍महत्‍या करते हैं, ऐसे में अगर उन्‍हें समय रहते पेशेवर सहायता मिल जाए, दोस्‍त-परिवार वाले उनकी मदद […]

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लिव इन रिलेशनशिप- मानव सभ्यता की महानतम खोज….

डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी पिछली रात मेरे सपने में चमकदार पगड़ी वाले एक बुजुर्ग आए थे। आते ही पूछने लगे, क्या हालचाल है? अपना हिन्दू समाज किस दिशा में जा रहा है? उनकी छवि जानी-पहचानी लग रही थी परन्तु मैंने उन्हें पहचाना नहीं। मेरी स्थिति को पगड़ी वाले बुजुर्ग भांप गए- आपने मुझे पहचाना नहीं। मुस्कुराते […]

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बाल विवाह के विरुद्ध जागृत होती किशोरियां

जैसे जैसे देश में शिक्षा का प्रसार बढ़ता गया, वैसे वैसे अनेकों सामाजिक बुराइयों का अंत होता चला गया. लेकिन बाल विवाह अब भी एक ऐसी सामाजिक बुराई है, जो समाज में पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है. इसका सबसे नकारात्मक प्रभाव किशोरियों के जीवन पर पड़ता है. जो न केवल शिक्षा से वंचित […]

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साइबर अपराध से सतर्क रहना होगा किशोरियों को

माला कुमारी दिल्ली दिल्ली की रहने वाली कविता (बदला हुआ नाम) सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती थी. उसके कई फैन फॉलोवर्स भी थे. लेकिन एक दिन उसे अचानक पता चलता है कि उसका सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो चुका है. कविता कहती है “लॉकडाउन के दौरान मैं इंस्टाग्राम की शॉर्ट रील्स देखकर कुछ सीखने […]

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घर के कामों तक सीमित कर दी गई हैं किशोरियां

रेहाना कौसर पुंछ, जम्मू घरेलू हिंसा न केवल भारत की समस्या है, बल्कि पूरा विश्व इस भयावह स्थिति से गुजर रहा हैं. दुनिया की सबसे गंभीर सामाजिक समस्याओं में घरेलू हिंसा भी शामिल है. शायद ही कोई देश इससे अछूता होगा। यह सभी समाजों, जातियों और वर्गों में आम है. डब्लूएचओ के रिपोर्ट के अनुसार […]

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मुद्दा विविधा समाज

शादी के नाम पर बिकती लड़कियां

शादी के नाम पर पहले बेची गई और फिर कुछ महीनों बाद ही पति के हाथों ही जिस्मफरोशी के दलदल में धकेल दी गई 26 साल की राधा (बदला हुआ नाम) को अपनी 9 साल की बच्ची के जैविक पिता के बारे में नहीं मालूम. अररिया (बिहार का एक अति पिछड़ा जिला) से तकरीबन 1200 […]

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