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आम चुनाव में क्या भाजपा के हिन्दुत्व पर भारी पड़ेगा विपक्ष का नया मण्डल फॉर्मूला

अजय कुमार जातिवाद के नाम पर लोग अलग-अलग दलों के लिए वोट करने लगे थे। पिछड़े मुलायम के साथ चले गए और दलित मायावती के साथ हो लिए। भाजपा मात्र अगड़ों की पार्टी बनकर रह गई, जिनकी समाज में भागीदारी काफी कम थी। भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव […]

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चुनावी मौसम और जनहित योजनाएं

चुनावी रथ में ही क्यों सवार होती हैं जन-हित योजनाएं ललित गर्ग निश्चित ही राजस्थान में लोकलुभावनी योजनाओं का जनता को लाभ मिला है, राजस्थान का कायाकल्प भी हुआ। गहलोत अपने राजनीतिक जीवन की सबसे चुनौतीपूर्ण पारी खेलते हुए एक कद्दावर नेता के रूप में सामने आ रहे हैं। लेकिन मतदाता के मन में ये […]

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वोट बटोरने का शॉर्टकट ‘रेवड़ी की राजनीति’

मुफ्तखोरी की संस्कृति इतने खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है कि कुछ राजनीतिक दलों का अधिकांश चुनावी एजेंडा, एक सोची-समझी रणनीति के तहत केवल मुफ्त की पेशकशों पर आधारित है, जो मतदाताओं को स्पष्ट रूप से एक संदेश भेज रहा है कि यदि राजनीतिक दल जीतता है तो उन्हें ढेर सारी मुफ्त चीजें मिलेंगी। इससे […]

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भाजपा के कुछ बड़े नेताओं की हो सकती है छुट्टी

रमेश सर्राफ धमोरा कभी चाल, चरित्र व चेहरा की बात करने वाली भाजपा में अब बड़े बदलाव की बयार चल रही है। इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नई भाजपा बन रही है। पार्टी के सभी पुराने छत्रपों को एक-एक कर किनारे लगाया जा रहा है। प्रदेशों में भाजपा के बड़े नेताओं […]

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राजा भैया की दबंगई और यूपी की राजनीति

अजय कुमार यहीं से शुरू होती है मायावती और राजा भैया के बीच राजनीतिक अदावत की कहानी। साल 2002 में जब फिर से बीजेपी और बीएसपी की सरकार बनी तो गठबंधन सरकार फिर हिचकोले खाने लगी। इसी बीच मायावती ने पांच साल पुरानी सियासी रंजिश का बदला राजा भैया से ले लिया। हर ‘दल’ अजीज […]

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राजनीति और महिलाएं

निर्मला – विनायक फीचर्स आजादी की लड़ाई में अनेक महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया और आजादी के बाद भी महिलाओं का राजनीति में उल्लेखनीय योगदान रहा। राजनीति में महिलाओं का प्रवेश एक अ’छी बात है। लेकिन, तब के और आज के राजनीतिक माहौल में जमीन-आसमान का फर्क है। आज […]

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गांधी के उत्तराधिकारी-नाम से नहीं कर्म से तय होंगे*

-विष्णुदत्त शर्मा – विनायक फीचर्स अखिल विश्व में स्वयं के अहिंसावादी मूल्यों के लिए विख्यात महात्मा गांधी आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने वह अपने जीवनकाल में थे। दो अक्टूबर को बापू की 154वीं जयंती के अवसर पर भारत ही नहीं अपितु विश्व के अनेक देश मानवता और मानवीय मूल्यों के लिए आजीवन संघर्ष […]

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सामूहिक नेतृत्व और मोदी फेक्टर होगा 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा का मुख्य लक्ष्य

अंकित सिंह राजस्थान में भी भाजपा ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि वह सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी। इससे वसुंधरा राजे की उम्मीदों पर एक पानी फिरता दिखाई दे रहा है। वसुंधरा राजे दो बार राजस्थान में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -16 क इतिहास लेखन और सावरकर जी का दृष्टिकोण

भारतवर्ष में युद्ध में भी नियमों का अर्थात धर्म का पालन करने की बहुत ही प्रशंसनीय परंपरा रही है। इस परंपरा की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। पर जब सामना उन मुस्लिमों से हुआ जो युद्ध में नियम या धर्म की परंपरा को जानते तक नहीं थे उनका प्रत्येक आक्रमण अधर्म और अनीति […]

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इंडिया महागठबंधन के लिए दुखदाई हो सकता है आम आदमी पार्टी का हठीला दृष्टिकोण

ललित गर्ग आज की राजनीति सत्ताकांक्षी अधिक है, जबकि उसका मूल लक्ष्य राष्ट्र-निर्माण एवं राष्ट्र उन्नति कहीं गुम हो गया है। हर राजनैतिक दल राष्ट्रहित नहीं, अपने स्वार्थ की सोच रहा है। जैसे-जैसे पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव एवं अगले वर्ष आम चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, हर दल येन-केन-प्रकारेण ज्यादा-से-ज्यादा वोट प्राप्त करने […]

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