1971 का भारत-पाक युद्ध और शिमला समझौता जब 1971 में भारत-पाक का तीसरा युद्ध हुआ तो उसमें भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कराने में सफलता प्राप्त की। इस युद्ध के पश्चात बांग्लादेश नाम का एक नया देश विश्व मानचित्र पर स्थापित हुआ। इसके पश्चात 1972 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
जब 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरिसिंह ने जम्मू कश्मीर रियासत का भारत में विलय कर दिया तो 27 अक्टूबर 1947 से जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया ।हमें इस संदर्भ में यह भी ध्यान रखना चाहिए कि 1947 में भारत के साथ विलय पत्र पर जिन – जिन राजाओं ने अपनी- अपनी […]
मॉडर्न जर्नलिज्म की एक प्रमुख शाखा है war journalism/ Repoorting ( युद्ध पत्रकारिता) बड़े ही साहसी होते हैं यह युद्ध पत्रकार अपनी जान पर खेलकर आधुनिक वियतनाम वार, द्वितीय विश्व युद्ध ,इराक- अमेरिकी युद्ध में प्रमुख भूमिका निभाई है अपने क्षेत्र में पत्रकारों ने| इस समय जर्मनी रूस अमेरिका के वार रिपोर्टों का दबदबा है […]
अंकित सिंह महाराजा का निधन लक्ष्मी बाई के लिए किसी सदमे से कम नहीं था। बावजूद इसके लक्ष्मीबाई घबराई नहीं, उन्होंने अपना विवेक नहीं खोया। राजा गंगाधर राव ने अपने जीवन काल में ही अपने परिवार के बालक दामोदर राव को दत्तक पुत्र मानकर अंग्रेजों को सूचना दे दी थी। भारत का इतिहास महान विभूतियों […]
जो व्यक्ति पहले दिन से ही ‘मुकम्मल आजादी’ की बात करता आ रहा था और जिसका दृष्टिकोण भारतभक्ति न होकर निजी स्वार्थ और अपने दीन की खिदमत करना रहा हो, उससे यह कैसे अपेक्षा की जा सकती थी कि वह कश्मीर में शांति बहाली के लिए काम करेगा ? उसने बड़ी चालाकी से अपने मित्र […]
हितेश शंकर भाजपा ने नुपूर शर्मा का निलंबन और नवीन जिंदल का निष्कासन कर ठीक नहीं किया। दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय की ओर से अतिरेकी टिप्पणियां थीं। भाजपा द्वारा कार्रवाई के बाद इस प्रकरण का पटाक्षेप हो गया, यह नहीं मानना चाहिए। यहां हमें देखना चाहिए कि राजनीति तो अपने तरीके से काम करती है […]
जब महाराजा हरि सिंह को अपमानित करके नेहरू और शेख अब्दुल्लाह ने उन्हें मुंबई निर्वासन पर भेज दिया तब अब्दुल्लाह ने भारत के संविधान में सबसे विवादित धारा 370 को स्थापित करने के लिए अपने मित्र नेहरू को तैयार किया। इस धारा को भारत के संविधान में स्थापित करवाकर शेख अब्दुल्लाह इस बात को सुनिश्चित […]
पढ़ाई, टेलीविजन, सिनेमा और आपसी बातचीत से सच्चे इतिहास को नहीं जाना जा सकता। इसके लिए पुस्तकें पढ़ना सर्वश्रेष्ठ साधन है। अपने और अपने बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए अवश्य पढ़िए। _________________ 1-इस्लाम के दीपक ₹200 2-चौदहवीं का चाँद ₹150 3-मालाबार और आर्यसमाज ₹60 4-भारत में मुस्लिम आक्रांताओं का इतिहास ₹120 चारों पुस्तकें ₹550 […]
-प्रियांशु सेठ (आज 18 जून, महारानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर विशेष रूप से प्रकाशित) स्वराज्य की रक्षा में अपना सर्वस्व निछावर कर देने वाली महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन की स्मृतियों का स्मरण कर प्रत्येक देशप्रेमियों का मन पुलकित हो उठता है। उनकी जीवनी से हम इस बात की प्रेरणा ग्रहण करते हैं कि यदि स्वराज्य […]
डा. राधे श्याम द्विवेदी आज ही के दिन कांग्रेस ने 1947 में 14-15 जून को नयी दिल्ली में हुए अपने अधिवेशन में बंटवारे के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।इसे देश के बंटवारे को इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में शुमार किया जाता है। यह सिर्फ दो मुल्कों का नहीं बल्कि घरों का, परिवारों का, रिश्तों […]