ब्रह्मा चेलानी दुनिया अब भारत को वैक्सीन के प्रभावी एवं किफायती आपूॢतकर्ता की दृष्टि से देख रही है। दुनिया के अधिकांश इलाके अभी भी कोरोना के चंगुल में फंसे हैं। उससे बचने के लिए कई जगहों पर नए सिरे से लॉकडाउन लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा हर देश कोविड-19 आपदा से निपटने पर ध्यान […]
श्रेणी: महत्वपूर्ण लेख
योगेश कुमार गोयल तीन दिन तक चले एयरो शो में लाखों लोग हुए शामिल हुए, जिनमें 16 हजार से अधिक व्यक्ति प्रत्यक्ष तौर पर जबकि साढ़े चार लाख से ज्यादा वर्चुअल माध्यम से जुड़े। कोविड-प्रोटोकॉल के कारण इस बार एयरो-शो में आम लोगों को आने की अनुमति नहीं थी। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में 3 […]
ललित गर्ग यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि समूचे शासन तंत्र में निचले से लेकर ऊपरी स्तर की जटिल संरचना में एक आम नागरिक अगर कोई शिकायत लेकर पहुंचता है तो वह टालमटोल या फिर संबंधित कर्मचारी या अधिकारी की उदासीनता की वजह से अक्सर हार जाता है, टूट जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र […]
प्रसिद्द लेखक अरुण शौरी ने एक पुस्तक लिखी है जिसका नाम है The World of Fatwas or The shariah in Action.इसका हिंदी अनुवाद वाणी प्रकाशन, दिल्ली से “फ़तवे, उलेमा और उनकी दुनिया” के नाम से प्रकाशित हुआ था। इस पुस्तक में पिछले 100 वर्षों में विभिन्न मुस्लिम संस्थानों से मौलवियों द्वारा दिए गए विभिन्न फतवों […]
विवेक काटजू प्रवासी भारतीय दिवस से जुड़े सम्मेलन में गत 9 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भारतीय लोकतंत्र से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण वास्तविकताओं पर प्रकाश डाला। चूंकि कुछ दिन बाद ही देश अपने गणतंत्र की वर्षगांठ मनाने जा रहा है तो इन तथ्यों की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। मोदी ने […]
राकेश सैन सामान्य परिस्थितियों में, जब चारों ओर हिंसा का वातावरण हो और दंगाई मरने मारने पर उतारू हों तों ऐसे हालात में हुई या जानबूझ कर की गई गलती को तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता। सामान्य घटना व दंगों की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों को इनमें कुछ तो अंतर करना होता है। 26 जनवरी […]
*राष्ट्र-चिंतन* *विष्णुगुप्त* इस बार का केन्द्रीय बजट छह स्तंभों पर आधारित है। पहला स्तंभ है स्वास्थ्य और कल्याण, दूसरा भौतिक-वित्तीय पूंजी, तीसरा समावैशी विकास, चैथा मानव पूंजी का संचार करना , पाचवां नवाचार व अनुंसंधान और छठा न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन। किसानों की खुशहाली की व्यवस्था को केन्द्रीय सरकार अपनी बजट की विशेषताएं बता […]
निर्मल रानी वैसे तो हमारे पौराणिक शास्त्रों में जिस तरह अनेक देवियों,उनके जीवन,उनके कार्यकलापों,अदम्य साहस तथा उनके वैभव का उल्लेख किया जाता उससे तो यही प्रतीत होता है कि महिलायें हमेशा से ही निर्भीक,निडर,साहसी तथा पुरुषों की ही तरह सब कुछ कर गुजरने की क्षमता रखने वाली रही हैं। अन्यथा आज उन देवियों की पूजा […]
अरुण कुमार त्रिपाठी गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हिंसा और तोड़फोड़ किए जाने और लाल किले पर धार्मिक ध्वज फहराए जाने के बाद आजाद भारत के सबसे बड़े किसान आंदोलन की साख को शर्मनाक धक्का लगा है। यही वजह है कि जहां सरकार आंदोलन पर हमलावर हुई है वहीं […]
नवीन कुमार पांडे देश की राजधानी में गणतंत्र दिवस के मौके पर ऐसे दृश्य देखना हर देशवासी के लिए अपमानजनक और पीड़ादायक है। संयुक्त किसान मोर्चे ने बाद में बयान जारी करके पूरे मामले पर लीपापोती करने की कोशिश की। 72वें गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में किसान आंदोलन ने जो रूप दिखाया, वह किसी […]