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रक्षा बंधन पर्व पर विशेष

लघु से विराट की ओर जाने का संकल्प लेकर भारतीयता लघुता में विराटता का प्रतिबिम्ब देखती है। लघु से विराट की ओर अग्रसर होने का संकल्प ही धर्म है। धर्म को सद्संकल्पों के बंधन से रक्षित किया गया है। रक्षा बंधन का पर्व उसी संकल्पधार्यता का प्रतीक है।रक्षा बंधन पर्व हमें उस भाव की रक्षा […]

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धर्मनिरपेक्षता अथवा हिंदू जाति का सर्वनाश

भारत सरकार धर्मनिरपेक्षता का बहुत ढिंढोरा पीटती है। सन 1947 से लेकर सन 1993 तक के इन 45 वर्षों के दौरान इस सरकार के आचरण से यह सिद्घ होता है कि यह सरकार वास्तव में धर्मनिरपेक्षता को नही अपना रही है, अपितु इस सरकार के आचरण से यही सिद्घ होता है कि यह हिंदुओं को […]

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दंगों के बारे में सोचा जाए कि ये होते क्यों हैं

1948 के बाद भारत में पहला सांप्रदायिक दंगा 1961 में मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ ! उसके बाद से अब तक सांप्रदायिक दंगो की झड़ी सी लग गयी ! बात चाहे 1969 में गुजरात के दंगो की हो , 1984 में सिख विरोधी हिंसा की हो, 1987 में मेरठ के दंगे हो जो लगभग […]

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साम्प्रदायिक हिंसा कैसे रोकी जाए, कुछ उपाय

राजीव गुप्ताअगर हम बड़े – बड़े साम्प्रदायिक दंगो को छोड़ दे तो भी देश में गत वर्ष हुई सांप्रदायिक हिंसा भड़कने के मूल में किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओ का आहत होना, सहनशीलता और धैर्य की कमी के साथ – साथ और क्रिया का प्रतीकारात्मक उत्तर देना ही शामिल है ! अभी हाल ही […]

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गंगा का अवतरण कैसे हुआ?

अभी हमारे देश में कांवड़ का क्रम पूर्ण हुआ है। पिछले कुछ सालों से कांवडिय़ों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्घि हुई है। भारत की परंपराएं बहुत महान हैं, किंतु अधिकतर परंपराएं रूढि़वाद की जंग से ढकी हुई हैं, जिससे इन परंपराओं के पीछे का सच बहुत कम लोगों को पता होता है। अपने इसी परंपरावादी […]

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शांति निकेतन:उजालों की खुदकुशी का सबूत

गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगौर के भव्य जीवन का भव्य स्मारक है शांति निकेतन। बहुत समय तक लोग जाने वालों की यादों को सहेज कर रखने का प्रयास किया करते हैं। जाने वालों की समाधियों पर स्मारकों पर उनके चित्रों पर और उनकी यादों पर अपने श्रद्घा पुष्प चढ़ाते रहते हैं। यादों को यहां हमने इसलिए […]

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रानी मेरी एंटोनी की याद दिलाते चिदंबरम

इक़बाल हिंदुस्तानीइतिहास के जानकार बताते हैं कि फ्रांस की महारानी मेरी एंटोनी ने भूख से परेशान लोगों द्वारा एक बार बगावत से पहले राजमहल घेर लेने पर आश्चर्य के साथ लोगों से यह सवाल पूछा था कि अगर रोटी नहीं मिल रही तो क्या हुआ वे केक क्यों नहीं खाते? इसी तरह का मासूम दिखने […]

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नीतीश का मोदी पर वार

क्या हम मान्यवर नीतिश जी से पूछ सकते हैं कि उनकी प्रबुद्ध सोच के अनुसार, ‘सेकुलर की परिभाषा क्या है? क्या सेकूलर वही है,1.जो भारत के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का है, की घोषणा करें,2.जो मुस्लिम लड़कियों को तो दसवीं पास करने पर 30,000 रुपये दे और हिन्दू लड़कियों को कुछ न दें,3.जो 25 […]

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अल्पसंख्यक आरक्षण और आन्ध्र उच्च न्यायालय का निर्णय

प्रवीण गुगनानीआरक्षण और पिछ्ले दिनों आन्ध्रप्रदेश उच्च न्यायलय ने एक एतिहासिक और साहसिक फैसले को सुनाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पिछडो के लिये रखे गये 27 त्न आरक्षण में से 4.5 त्न आरक्षण अल्पसंख्यकों को देने का प्रस्ताव गलत है । पिछड़ी जातियों के लिये आरक्षित 27 त्न आरक्षण में 4.5 त्न की […]

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कमियों का पुलिंदा है कश्मीर के वार्ताकारों की रिपोर्ट

शादाब जफर शादाब13 अक्टूबर 2010 को केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पर वार्ताकारों के लिये एक दल का गठन किया। जिस में देश के वरिष्ठ पत्रकार दिलीप पडगांवकर, शिक्षाविद् राधाकुमार और पूर्व केन्द्रीय सूचना आयुक्त एम.एम. अंसारी को रखा गया। पहला सवाल सवाल यह उठता है कि पूरे देश से क्या जम्मू-कश्मीर वार्ता के लिये […]

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