राकेश कुमार आर्यभगवान कृष्ण की गीता और हमारे वेद व्यक्ति को निष्काम कर्म का सदुपदेश देते हैं। निष्काम कर्म वे हैं जिन्हें व्यक्ति लोककल्याण के भाव से करता है और करने के बाद भूल जाता है। जब निष्कामता का यह भाव शासन का आधार बन जाता है तो वह शासन लोककल्याण कारी शासन बन जाता […]
Category: महत्वपूर्ण लेख
आचार्य ब्र.नंदकिशोरपिता- ‘पा रक्षणे’ धातु से ‘पिता’ शब्द निष्पन्न होता है। ‘य: पाति स पिता’ जो रक्षा करता है, वह पिता कहलाता है। यास्काचार्य प्रणीत निरूक्त में लिखा है-‘पिता पाता वा पालयिता वा’-नि. 4। 21। ”पिता-गोपिता”-नि. 6। 15 पालक, पोषक और रक्षक को पिता कहते हैं।पिता की महिमा व गरिमावैदिक शास्त्रों, मनुस्मृति वाल्मीकि रामायण, महाभारत […]
राजेश कश्यपआजकल राष्ट्रभाषा हिन्दी बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है। वैश्विक पटल पर अपनी प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए विभिन्न चुनौतियों से जूझ रही हिन्दी के समक्ष भारी धर्मसंकट खड़ा हो चुका है। इस धर्मसंकट का सहज अहसास भारत सरकार के गृह मंत्रालय और राजभाषा विभाग की सचिव वीणा उपाध्याय द्वारा गतवर्ष […]
ढोल का पोल खुल गया है। यह कहावत बिहार में चरितार्थ हो रहा है। नीतीश कुमार के सुशासन के गुब्बारे में लगता है कि पिन लग गई है। ऐसा इसलिए कि मजबूत किलेबंदी के बावजूद नीतीश कुमार की लोकप्रियता के मिथ आजकल राष्ट्रीय मीडिया में टूट कर बिखर चुका है। इसकी पृष्ठभूमि पहले से ही […]
अंग्रेजों के शासन से मुक्ति के लिए जिन स्वदेश प्रेमी राष्ट्रभक्तों ने सतत संघर्ष किया-उनमें महात्मा गांधी, महामना पं. मदनमोहन मालवीय, लाला लाजपतराय, राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन की श्रंखला में ही एक विभूति थे लाला हरदेवसहाय। इस महान विभूति ने अपना सर्वस्व स्वदेश, स्वदेशी व स्वाधीनता के लिए जीवन अर्पित कर भारतीय स्वाधीनता संग्राम के […]
एक सनकी और चिड़चिड़े स्वभाव वाला तुर्क मियां लूटेरा था बख्तियार खिलजी. इसने 1199 इसे जला कर पूर्णत: नष्ट कर दिया। उसने उत्तर भारत में बौद्धों द्वारा शासित कुछ क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था. एक बार वह बहुत बीमार पड़ा उसके हकीमों ने उसको बचाने की पूरी कोशिश कर ली। मगर वह ठीक नहीं […]
प्रमोद भार्गव हमारे देश में बीते चौसठ सालों के भीतर जिस तेजी से कृत्रिम, भौतिक और उपभोक्तावादी संस्कृति को बढावा देने वाली वस्तुओं का उत्पादन बढ़ा है उतनी ही तेजी से प्राकृतिक संसाधनों का या तो क्षरण हुआ है या उनकी उपलब्धता घटी है। ऐसे प्राकृतिक संसाधनों में से एक है पानी। ‘जल ही जीवन […]
दिनेश पंतइस वर्ष देश में उम्मीद से कम और अनियमित वर्षा ने ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे की चिंता को बढ़ा दिया है। विकास और उन्नति के नाम पर औद्योगिकीकरण ने पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। निवेश के बढ़ते अवसर ने गांव को भी तरक्की के नक्षे पर मजबूती से उकेरा है। गांवों […]
19 जुलाई से पूर्वोत्तर के असम प्रांत में जारी हिंसा को लेकर पूरा देश चिंतित है। इस हिंसा को लेकर जहां देश के तमाम राजनीतिक दल तरह-तरह के तर्क प्रस्तुत कर रहे हैं वहीं गैर राजनीतिक संगठनों द्वारा भी अनेक प्रकार की बातें कही जा रही हैं। आखिर इस हिंसा का कारण क्या है? क्या […]
कोयला आवंटन को लेकर संसद में गतिरोध एक सप्ताह से ज्यादा समय से बना हुआ है। एनडीए ने इस गतिरोध को समाप्त करने हेतु प्रस्ताव दिया है कि इन सभी आवंटनों को रद्द कर दिया जाए और इन्हें आवंटित करने वाली स्क्रीनिंग कमेटी की प्रक्रिया की न्यायिक जांच कराई जाए। सरकार इस पर अभी तैयार […]