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‘बिना दूध देती चार गायों से कमाता हूं 40 हजार महीना’

(राजस्थान पहले से ही गौ-भक्त और राष्ट्र भक्त लोगों की जन्मभूमि और कर्मभूमि रहा है। आज भी वीर भूमि में गौ-भक्तों की कमी नही है। ऐसे ही ऐ गौ-भक्त हैं रामेश्वर लाल माहेश्वरी। जो कि जिला बीकानेर की तहसील कोलायत के गांव गजनेर के निवासी हैं। पिछले दिनों श्री माहेश्वरी से हमारी मुलाकात हुई तो […]

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‘योग भूमि’ बनाओ कश्मीर को

राकेश कुमार आर्यजो कश्मीर कभी जीवन मुक्त होने के लिए हमारे ज्ञानी महात्माओं की ‘योगभूमि’ हुआ करती थी, विडंबना देखिए कि वही कश्मीर मुगल काल में बादशाहों के लिए सैर सपाटे का स्थान बन कर ‘भोगभूमि’ बन गयी और इसी परंपरा को अंग्रेजों ने भी अपने शासन काल में यथावत बनाये रखा।पर स्वतंत्र भारत में […]

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टूटना शाख से एक सुर्ख गुलाब का

जब सत्ताधीशों के अपनी गलत नीतियों के कारण मस्तिष्क सठिया जाते हैं और जब देश किन्हीं भी कारणों से सामाजिक, आर्थिक राजनीतिक और धार्मिक आदि मोर्चों पर मार्गदर्शन की मांग करने लग जाता है, तब एक राष्ट्रसाधक लेखक अपनी लेखनी से नवसृजन की नींव रखता है और भटके हुए राजनीतिज्ञों को सही राह दिखाकर अपनी […]

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होती है नर से भारी नारी

डा0 इन्द्रा देवीलम्बे समय से एक सी मुद्रा, भंगिया एवं तेवर में प्रचलित होने के कारण नारी सशक्ति शब्द धिस पिट सा गया है। इसकी स्थिति उस अप्रचलित नोट या सिक्के की भॉंति है जो मूल्य और उपयोगिता को खो देने के पश्चात भी एक लोभ के वशीभूत बटुए में एक और अपना स्थान सुरक्षित […]

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क्यों है आवश्यक गाय को ”राष्ट्र माता”घोषित करना

भारतीय नस्ल के गोवंष संरक्षण, सम्पोशण, संवर्धन एवं गोउत्पादों के विनियोगार्थ केन्द्रीय तथा सभी राज्यों में स्वतन्त्र ” गोपालन मन्त्रालय ” के गठन से ही गोरक्षा एवं गोसेवा के वास्तविक लक्ष्यों की प्राप्ति संभव।-पूनम राजपुरोहित ”मानवताधर्मी”(प्रख्यात गोविषयक-चिन्तक)भारतवर्ष में धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, सामाजिक और व्यवहारिक दृष्टि से पूज्या गोमाता तथा उसके अखिल गोवंश को उनके […]

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अपने ही देश में बेगाने हिंदू

सचिन शर्माकांग्रेसनीत संप्रग -2 सरकार व छद्म सेक्यूर पार्टियों ने लगता है कि देश से हिंदुओं के सफाये का मन पूरी तरह बना लिया है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तमाम हिंदू विरोधी कार्य किये गये मसलन दंगा रोधी बिल, कश्मीर घाटी से पंडितों की वापसी का प्रयास न करना, असम व पूर्वोत्तर के राज्यों […]

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सावरकर जी के त्याग की बराबरी कौन कर सकता है?

मनमोहन शर्मागतांक से आगे………जहां तक अय्यर का संबंध है, उनका तो क्या, उनके पुरखों तक का देश के स्वाधीनता संग्राम से कभी कोई नाता नही रहा। जब क्रांतिकारी देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे, तो मणिशंकर के पुरखे ब्रिटिश सरकार की चाकरी कर रहे थे। अय्यर कितने देशभक्त हैं, इसका पर्दाफाश विख्यात लेखक […]

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गाय, गांधीजी और कांग्रेस

राकेश कुमार आर्यगोडसे और गांधीजी दोनों में एक ‘उभयनिष्ठ’ गुण ये था कि वे दोनों गौभक्त थे। गांधीजी की गौभक्ति को कांग्रेस ने मार दिया, और गांधीजी की यह सैद्घांतिक हत्या भी उनके परम शिष्य नेहरू के शासन काल में ही कर दी गयी। गांधीजी की कांग्रेस में सन 1921 से कई बार गोरक्षा को […]

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‘अराष्ट्रीय राष्ट्रीयता’ का दूषित परिवेश

स्वतंत्रता आंदोलन के काल में जो लोग अंग्रेजों की चाटुकारिता करते हुए राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी सक्रियता प्रदर्शित कर रहे थे, उनकी इस दोहरी मानसिकता पर पहला और प्रबल प्रहार करने वाले लोकमान्य तिलक थे। उन्होंने ऐसे लोगों के विषय में कहा था-”यह लोग उत्कट देशभक्त हैं, लेकिन इनकी राष्ट्रीयता ही अराष्ट्रीय है।” ”क्यों?” इसलिए […]

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भारतीय नारियों की भारत भूमि: डा0 इन्द्रा देवी

भारत के महापुरूषों ने दूर दूर तक अपनी संस्कृति को फैलाया। वे शस्त्र नही प्रेम को लेकर आगे बढे। उन्हे न रथ की आवश्यकता पडी न धुडसवारों की उनके विचार ही पादातिक थे। वे चींटी को बचाकर चले तथा पशु बल को सदैव नगण्य समझा निपट अन्यों ने उनको अपना और अनन्य गिना। यही संस्कृति […]

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