भारतीय नस्ल के गोवंष संरक्षण, सम्पोशण, संवर्धन एवं गोउत्पादों के विनियोगार्थ केन्द्रीय तथा सभी राज्यों में स्वतन्त्र ” गोपालन मन्त्रालय ” के गठन से ही गोरक्षा एवं गोसेवा के वास्तविक लक्ष्यों की प्राप्ति संभव।-पूनम राजपुरोहित ”मानवताधर्मी”(प्रख्यात गोविषयक-चिन्तक)भारतवर्ष में धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, सामाजिक और व्यवहारिक दृष्टि से पूज्या गोमाता तथा उसके अखिल गोवंश को उनके […]
श्रेणी: महत्वपूर्ण लेख
सचिन शर्माकांग्रेसनीत संप्रग -2 सरकार व छद्म सेक्यूर पार्टियों ने लगता है कि देश से हिंदुओं के सफाये का मन पूरी तरह बना लिया है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तमाम हिंदू विरोधी कार्य किये गये मसलन दंगा रोधी बिल, कश्मीर घाटी से पंडितों की वापसी का प्रयास न करना, असम व पूर्वोत्तर के राज्यों […]
मनमोहन शर्मागतांक से आगे………जहां तक अय्यर का संबंध है, उनका तो क्या, उनके पुरखों तक का देश के स्वाधीनता संग्राम से कभी कोई नाता नही रहा। जब क्रांतिकारी देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे, तो मणिशंकर के पुरखे ब्रिटिश सरकार की चाकरी कर रहे थे। अय्यर कितने देशभक्त हैं, इसका पर्दाफाश विख्यात लेखक […]
राकेश कुमार आर्यगोडसे और गांधीजी दोनों में एक ‘उभयनिष्ठ’ गुण ये था कि वे दोनों गौभक्त थे। गांधीजी की गौभक्ति को कांग्रेस ने मार दिया, और गांधीजी की यह सैद्घांतिक हत्या भी उनके परम शिष्य नेहरू के शासन काल में ही कर दी गयी। गांधीजी की कांग्रेस में सन 1921 से कई बार गोरक्षा को […]
स्वतंत्रता आंदोलन के काल में जो लोग अंग्रेजों की चाटुकारिता करते हुए राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी सक्रियता प्रदर्शित कर रहे थे, उनकी इस दोहरी मानसिकता पर पहला और प्रबल प्रहार करने वाले लोकमान्य तिलक थे। उन्होंने ऐसे लोगों के विषय में कहा था-”यह लोग उत्कट देशभक्त हैं, लेकिन इनकी राष्ट्रीयता ही अराष्ट्रीय है।” ”क्यों?” इसलिए […]
भारत के महापुरूषों ने दूर दूर तक अपनी संस्कृति को फैलाया। वे शस्त्र नही प्रेम को लेकर आगे बढे। उन्हे न रथ की आवश्यकता पडी न धुडसवारों की उनके विचार ही पादातिक थे। वे चींटी को बचाकर चले तथा पशु बल को सदैव नगण्य समझा निपट अन्यों ने उनको अपना और अनन्य गिना। यही संस्कृति […]
1. महाराणा प्रताप का परिचय !जिनका नाम लेकर दिन का शुभारंभ करें, ऐसे नामों में एक हैं, महाराणा प्रताप । उनका नाम उन पराक्रमी राजाओं की सूची में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है, जो देश, धर्म, संस्कृति तथा इस देश की स्वतंत्रता की रक्षा हेतु जीवन भर जूझते रहे ! उनकी वीरता की पवित्र स्मृति […]
भानुप्रताप शुक्लकांग्रेस ही नही, कम्युनिस्ट सहित सभी अल्पसंख्यक परस्त सेकुलरिस्ट पार्टियां देशभक्ति की दौड़ भी सांप्रदायिकता की पटरी पर ही दौड़ाती है। उनके लिए महान वही है जो बहुसंख्यकों की बात बिल्कुल नही, केवल अल्पसंख्यकों की बात करे। जो स्वहित एवं दलहित को राष्ट्रहित से ऊपर रखे और अल्पसंख्यकवाद का नाद करे। कांग्रेस और वामपंथी […]
प्रो. देवेन्द्र स्वरूपपहला 30 अगस्त 1911 को लिखा दूसरा 13 नवंबर 1913 को तीसरा 10 सितंबर 1914 को चौथा 2 अक्टूबर 1917 को पांचवा 24 जनवरी 1920 को छठा 31 मार्च 1920 को। क्या उन्होंने कभी सोचा कि सावरकर के बार बार दया की याचिका करने पर भी अंग्रेज शासकाकें ने उनको जेल से रिहा […]
डा. इन्द्रा देवी शब्दकोश का सबसे मार्मिक शब्द मॉं है। मातृ, मदर, आई बेबे, माती, नैने, अम्मी आदि इसके पर्यायवाची हैं। पृथ्वी को माता और आकाश को पिता कहा जाता है। पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जन इनके पुत्र हैं राष्ट्र भक्ति का परिचय भी भारत माता के रूप मेें ही देते है। स्वामी दयानन्द […]