भले ही भारत के सेकुलर इस्लाम को धर्म कहते रहें ,लेकिन जिन विद्वानों ने निष्पक्ष रूप से इस्लामी साहित्य का गहन अध्ययन किया हैं ,उन्होंने इस्लाम को धर्म नहीं माना है क्योंकि इस्लाम के विचार मानवता विरोधी , तर्कहीन , परस्पर विरोधी और कल्पित मान्यताताओं पर आधारित है , और यदि इस्लाम को एक ऐसा […]
