अभी नहीं संभले तो हालात विकट होंगे डॉ. सौरभ मालवीय प्राचीन काल में जल संरक्षण पर विशेष बल दिया जाता था। तालाब बनाए जाते थे एवं कुएं खोदे जाते थे। वर्षा का जल तालाबों आदि में एकत्रित हो जाता था। इन तालाबों से मनुष्य ही नहीं, जीव-जंतु भी लाभान्वित होते थे। मनुष्य का शरीर पंचभूत […]
श्रेणी: पर्यावरण
‘वनस्पति, हानिकारक कीटाणु, जीवाणु इन सब पर यज्ञ के स्थूल स्तर के परिणामों का अध्ययन इससे पूर्व अनेक बार किया गया है; परंतु ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा किए आध्यात्मिक शोधकार्य से यह पाया गया कि मानव, प्राणी, वनस्पति तथा वातावरण पर भी यज्ञ का सकारात्मक परिणाम होता है तथा इस कारण समाज कल्याण […]
योगेश कुमार गोयल दरअसल धरती की सेहत बिगाड़ने और इसके सौन्दर्य को ग्रहण लगाने में समस्त मानव जाति जिम्मेदार है। आधुनिक युग में मानव जाति की सुख-सुविधा के लिए सुविधाओं के हुए विस्तार ने ही पर्यावरण को सर्वाधिक क्षति पहुंचाई है और निरन्तर हो रहा जलवायु परिवर्तन इसी की देन है। इस साल मार्च महीने […]
_____________________________ मोहे सुन- सुन आवे हांसी रे पानी में मीन प्यासी रे…..! भक्ति काल में यह दोहा कबीर ने अज्ञानी मनुष्यो के लिए रचा जो भगवान के पास होते हुए भी भगवान से कोसो दूर है….. ना अब भक्ति काल है और ना भक्ति के सही स्वरूप को कोई समझना चाहता जमाना केवल समझता है […]
उगता भारत ब्यूरो विश्व जल दिवस 22 मार्च पर वेदों में जल कई प्रकार के वर्णित किये गए हैं और उनके सम्बन्ध में यह कहा गया है कि वे सबके लिए प्रदूषणशामक एवं रोगशामक हों: शं त आपो हैमवती: शमु ते सन्तूत्स्या:। शं ते सनिष्यदा आप: शमु ते सन्तु वर्ष्या:।। शं त आपो धन्वन्या: […]
🌸🌸🌸कैलाश पर्वत 🌸🌸🌸 हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत का बहुत महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। लेकिन इसमें सोचने वाली बात ये है कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को अभी तक 7000 से ज्यादा लोग फतह कर चुके हैं, जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है, लेकिन कैलाश […]
अजय कर्मयोगी हमारे यहाँ भी विज्ञान था, परंतु हम उसे समझ नहीं पाए। आज का विज्ञान यह है कि वह कागज बनाता है और बच्चों से कहता है कि इस कागज पर लिखो कि पर्यावरण को कैसे बचाया जाए। बच्चा लिखता है। जो जितना अधिक लिखेगा, वह उतना अधिक अंक पाएगा और उसे अच्छी डिग्री […]
भरत झुनझुनवाला सभी जीवित पदार्थों के जीवन में कार्बन तथा हाइड्रोजन तत्व रहते हैं और उनकी मृत्यु के बाद ये आर्गेनिक पदार्थ सड़ने लगते हैं। यदि आसपास आक्सीजन उपलब्ध हुई तो शरीर का कार्बन, कार्बन डाइआक्साइड बनकर उत्सर्जित होता है और पदार्थ में हाइड्रोजन, पानी बनकर समाप्त हो जाता है। लेकिन यदि सड़ते समय आसपास […]
इंसान ने जबरदस्त उन्नति की है या अवनति यह आप विचार करें । लोहे कंक्रीट के विविध टावरों से धरा को पाट दिया है। पहले विकराल पर्यावरण समस्याएं उत्पन्न करना फिर उनका आंशिक खर्चीला कृत्रिम समाधान प्रस्तुत करना। हमने आपने भूमि आकाश में स्थापित भीमकाय वॉच अर्थात निगरानी टावर ,मोबाइल टावर तो देखे सुने हैं […]
उगता भारत ब्यूरो केरल एक बार पुनः पर्यावरण संकट की चपेट में है। कोट्टायम और इडुक्की में असामान्य भारी बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएँ दर्ज की गई हैं। इससे जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। जीवन की हानि का एक प्रमुख कारण केरल में भूमि उपयोग पैटर्न में आया परिवर्तन है, जिसकी गंभीर समीक्षा […]