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धर्म-अध्यात्म

यज्ञ/हवन में मंत्र के अंत में सामग्री यज्ञ कुंड में डालते समय स्वाहा क्यों बोलते है?*

प्रस्तुति: Dr DK Garg दुष्प्रचार: स्वः स्वाहा अग्नि-देवता अग्नि की पत्नी हैं। उनकी दो पत्नियाँ हैं – स्वाहा और स्वधा। प्रत्येक मंत्र के अंत में “स्वाहा” का जाप करता है ताकि अग्नि अपनी पत्नी के साथ चढ़ाए गए अनाज/घी को स्वीकार कर सके। इस प्रकार अनुष्ठान पूरा होता है। अन्य विचार : १)अग्निदेव की पत्नी […]

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धर्म-अध्यात्म

सत्य की खोज*

अष्टावक्र डॉ डी के गर्ग पौराणिक कथा: उद्दालक ऋषि ने अपने शिष्य कहोड़ को सम्पूर्ण वेदों का ज्ञान देने के पश्चात् उसके साथ अपनी कन्या सुजाता का विवाह कर दिया। कुछ दिनों के बाद सुजाता गर्भवती हो गई। एक दिन कहोड़ वेदपाठ कर रहे थे तो गर्भ के भीतर से बालक ने कहा कि पिताजी! […]

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ईश्वर-प्राप्ति का उपाय यम और नियम

प्रियांशु सेठ भाग 1 हमारी उपासना-विधि क्या हो? उपासना का अर्थ है समीपस्थ होना अथवा आत्मा का परमात्मा से मेल होना।महर्षि पतञ्जलि द्वारा वर्णित अष्टाङ्गयोग के आठ अङ्गब्रह्मरूपी सर्वोच्च सानु-शिखर पर चढ़ने के लिए आठ सीढ़ियाँ हैं।उनके नाम हैं- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। यहां प्रत्येक का संक्षिप्त विवेचन प्रस्तुत किया […]

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यज्ञ ( हवन ) करने की सटीक और सही विधि

यज्ञ ( हवन ) करने की सटीक और सही विधि :- हमारे बहुत से आर्य समाज के मित्र या अन्य सनातनी भी बहुत सा यज्ञ करते और करवाते हैं परन्तु यज्ञ का पूरा लाभ जैसा कि शास्त्रों में वर्णित है वैसा लाभ नहीं उठा पाते हैं । इसका कारण है कि बहुत से प्रकार की […]

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फलित ज्योतिष की अमान्य मान्यताओं से मानव जगत् से सबसे बड़ा भ्रामिक वैचारिक शोषण

लेखक- पण्डित उम्मेद सिंह विशारद, वैदिक प्रचारक उन्नीसवीं शताब्दी के सबसे महान् समाजिक सुधारक आर्ष और अनार्ष मान्यताओं का रहस्य बताने वाले युगपुरुष महर्षि दयानन्द सरस्वती जी अपने अमरग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के द्वितीय समुल्लास के प्रश्नोत्तर में लिखते हैं। प्रश्न- तो क्या ज्योतिष शास्त्र झूठा है? उत्तर- नहीं, जो उसमें अंक, बीज, रेखागणित विद्या है, वह […]

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रामानंदाचार्य के शिष्य अनंतानन्द जी महराज एक दिव्य सन्त

✍️ डॉ. राधे श्याम द्विवेदी संत शिरोमणि रामानंदाचार्य के शिष्यों की वास्तविक संख्या कितनी थी, इसके सम्बन्ध में कोई निश्चित मत स्थापति नहीं किया जा सकता। सहज अनुमान किया जा सकता है कि इस युग प्रवर्तक विभूति के शिष्यों की संख्या अत्यधिक रही होगी। भारत भ्रमण के समय में स्थान-स्थान पर लोग उनके व्यक्तित्व एवं […]

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धर्म-अध्यात्म

शिव आख्यान* भाग 6

डॉ डी के गर्ग भाग- 6 ये लेख दस भाग में है , पूरे विषय को सामने लाने का प्रयास किया है। आप अपनी प्रतिक्रिया दे और और अपने विचार से भी अवगत कराये शिवलिंग कथा लोककथाः– इस संदर्भ मे एक पौराणिक लोक कथा है कि एक समय महाराजा शिव नग्न होकर ऋृषि पत्नी के […]

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शिव आख्यान* भाग 5

डॉ डी के गर्ग भाग- 5 ये लेख दस भाग में है , पूरे विषय को सामने लाने का प्रयास किया है। आप अपनी प्रतिक्रिया दे और और अपने विचार से भी अवगत कराये कुछ अलंकारिक शब्दावली कुछ विशेष शब्दों का साहित्यिक भावार्थ : शिव:–शिव नाम परमात्मा का है(शिवु कल्याणे) इस धातु से ‘शिव’ शब्द […]

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शिव आख्यान* भाग 3

शिव आख्यान डॉ डी के गर्ग भाग- 3 ये लेख दस भाग में है , पूरे विषय को सामने लाने का प्रयास किया है। आप अपनी प्रतिक्रिया दे और और अपने विचार से भी अवगत कराये पहले २ भाग में शिव के दो स्वरूप के विषय में लिखा है ,अब करते है तीसरे शिव की […]

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धर्म-अध्यात्म

पानी पीजे छान कर, गुरु कीजै जान कर।

ऋषिराज नागर(एड़वोकेट) भगवत गीता (4-34) में उपदेश है कि तू पूर्ण गुरु के चरणों में गिर कर योग का अभ्यास कर। जो गुरु तत्व के भेद को जानता है, केवल वही तुझे ज्ञान का उपदेश दे सकता है। :- ‘तद्विद्धि प्राणे पातेन परिप्रश्नेन सेवया। उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञान क्षानिनस्तत्त्वदर्शिन।। गुरु के बिना हमें परमार्थ के मार्ग […]

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