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तिब्बत : चीखते अक्षर, भाग – 10

(5) चीनी सैनिकों और घुसपैठियों का अंत:प्रवाह बाकी तिब्बत से काट दिये गये मध्य तिब्बत में जो कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र नाम से जाना जाता है, लगभग 5 लाख चीनी सैनिक तैनात हैं और जैसा कि बताया गया है, चीनियों के अनुसार इस क्षेत्र की तिब्बती जनसंख्या 11.9 लाख है। इसका अर्थ यह हुआ कि […]

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तिब्बत : चीखते अक्षर, भाग- 9

दलाई लामा ने बताया है कि 1950 के पहले तिब्बत में लगभग 600000 बौद्ध भिक्षु थे। अधिकांश को जेल में डाल दिया गया, यातनायें दी गईं या वे सामूहिक नरसंहार का शिकार हुये। बौद्ध मठों जैसे द्रेपुंग, सेरा, गादेन, लिथांग, दर्जे, बाथांग, चाम्डो, ताशि क्यिल, कुबुम आदि से भारी संख्या में भिक्षु ग़ायब हो गये […]

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तिब्बत : सीखते अक्षर, भाग – 8

जनसंख्या विस्थापन और असंतुलन निश्चित रूप से यह बताना सम्भव नहीं है कि पिछले 30 वर्षों में कितने तिब्बती मर मरा गये लेकिन इस संख्या के दस लाख तक होने की सम्भावना है। शांति हेतु एशियाई बौद्ध सम्मेलन(1982) के अंतरराष्ट्रीय सचिवालय के दलजीत सेन अदेल ने अनुमान लगाया कि पिछले तीन दशकों में कम्पूचिया और […]

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तिब्ब्त : चीखते अक्षर , भाग – 7

सांस्कृतिक क्रांति जैसा कि बताया जा चुका है सांस्कृतिक क्रांति के पहले ही तिब्बती संस्कृति का अधिकांश ध्वस्त किया जा चुका था। यह दौर तिब्बतियों द्वारा झेले गये मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न की चरम गहराई को चिह्नांकित करता है। धर्म का पालन एकदम असम्भव बना दिया गया, व्यक्तिगत सम्बन्ध, केश-सजा, वेश भूषा, व्यक्तिगत आदतें और यहाँ तक […]

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तिब्बत : चीखते अक्षर , भाग- 6

युद्ध के दौरान चीनियों के अत्याचार इतने वीभत्स थे कि कई वर्षों तक तिब्बती कम्युनिस्ट नेता और तिब्बती राजनीतिक सलाहकार समिति के महत्त्वपूर्ण उपाध्यक्ष पद पर रहे फुंत्सोक वांग्याल को भी उन अत्याचारों का विरोध करने और तिब्बती स्वतंत्रता आन्दोलन से सहानुभूति प्रदर्शित करने के लिये बन्दी बना लिया गया। ल्हासा में पी एल ए […]

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तिब्ब्त : चीखते अक्षर – भाग -5

गत पोस्ट से आगे… बीस वर्षीय युद्ध – चीनी सामान्यत: यह दावा करते हैं कि तिब्बतियों द्वारा उन के विरुद्ध लड़ा गया युद्ध मुख्यत: तिब्बती शासक वर्ग का था जिसे आसानी से 1959 में कुचल दिया गया। अब यह बात असत्य साबित हो गई है। इसके विपरीत वह ल्हासा की तिब्बती सरकार ही थी जो […]

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इतिहास के पन्नों से देश विदेश

तिब्बत: चीखते अक्षर ,भाग – 3

चीनियों ने यह भी दावा किया कि चीन पर आक्रमण हेतु विदेशी शक्तियाँ तिब्बत को शस्त्रास्त्र सज्जित कर रही थीं। वस्तुत: तिब्बत में पश्चिमी जगत के बहुत कम नागरिक थे और तिब्बतियों को प्रधानमंत्री नेहरू वाली नवगठित स्वतंत्र (भारत) सरकार द्वारा अत्यल्प शस्त्रास्त्र मुहैया कराये गये थे। नेहरू तब तक शांत और प्राय: असुरक्षित रही […]

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नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की टीम में एक और भारतीय का नाम जुड़ा- नीरा टंडन

  अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन की टीम में भारतीय मूल के लोगों का दबदबा बढ़ता ही जा रहा है। अब नीरा टंडन का ‘ऑफिस ऑफ मैनेजमेंट एंड बजट (OMB)’ का निदेशक नियुक्त किया जाना तय माना जा रहा है। ये व्हाइट हाउस के भीतर एक बड़ा पद है। प्रशासन के बजट के पूरे प्रबंधन […]

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तिब्बत : चीखते अक्षर, भाग- 1

तिब्बत भूमि तिब्बत क्षेत्र तीन प्रांतों आम्दो (Amdo), खाम (Kham) और सांग (U-Tsang) से मिल कर बनता है। यह तिब्बती भाषा बोलने वाले और अपनी पारम्परिक संस्कृति को जीने वाले लोगों का देश है। इसका क्षेत्रफल लगभग 25 लाख वर्ग किलोमीटर है जो भारत के क्षेत्रफल के दो तिहाई से भी अधिक है। समुद्र तल […]

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तिब्बत, चीखते अक्षर : अपनी बात

मार्क्सवाद चिंतन की एक द्वन्द्ववादी, भौतिकवादी पद्धति है जिसका उद्देश्य सामंतवाद-पूँजीवाद-समाजवाद से आगे साम्यवादी समाज की स्थापना है जहाँ ‘सब बराबर’ होते हैं। अपनी सुव्यवस्थित, निर्मम और बराबरी की रोमान्टिक अवधारणा के कारण मार्क्सवाद सदा से ही युवा वर्ग को आकर्षित करता रहा है और रहेगा। भाववादी चिंतन के विपरीत यह मनुष्य के विकास और […]

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