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भारतीय संस्कृति

भोजन से पूर्व बोलने का मंत्र

*ओ३म् अन्नपतेऽन्नस्य नो देह्यनमीवस्य शुष्मिणः* *प्र प्रदातारं तारिष ऊर्जं नो धेहि द्विपदे चतुष्पदे ।।* भावार्थ : हे अन्न के स्वामी परमात्मन् ! हम को रोग रहित और बल दायक अन्न दीजिए ।अन्न का दान करने वाले को सुखी रखिए। हमारे दो पैर वाले तथा चार पैर वाले प्राणियों को यहां अन्न शक्ति देवे। *काव्यमय भाव*🎤 […]

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भारतीय संस्कृति महत्वपूर्ण लेख स्वास्थ्य

केंद्र की मोदी सरकार की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

गाजियाबाद। केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद यह तो मानना पड़ेगा कि विश्व मंचों पर भारत का सम्मान बढ़ा है और भारतीय संस्कृति की धूम विदेशों में मच रही है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को सारी दुनिया में मनवाकर मोदी सरकार ने भविष्य के लिए बहुत बड़ी कार्ययोजना का शुभारंभ किया है। वास्तव में […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति विशेष संपादकीय संपादकीय

विश्वात्मा भाषा: संस्कृत

भारत जब-जब भी भारतीयता की और भारत केे आत्म गौरव को चिन्हित करने वाले प्रतिमानों की कहीं से आवाज उठती है, तो भारतीयता और भारत के आत्मगौरव के विरोधी लोगों को अनावश्यक ही उदरशूल की व्याधि घेर लेती है। अब मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहीं संस्कृत के लिए कुछ करना चाहा […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति राजनीति संपादकीय

आर्य (हिन्दू) की व्याख्या और ऊर्जा का अपव्यय, भाग-2

आर्य ईश्वर पुत्र है। इस प्रकार आर्यत्व एक जीवनशैली है जो जीवन को उत्कृष्टता में ढालती है। उसमें नियमबद्घता, क्रमबद्घता, शुचिता, परोपकारिता, उद्यमशीलता आदि के भाव जागृत कर उसे उच्चता प्रदान करती है। इसीलिए ‘कल्पद्रुम’ में आर्य शब्द का अर्थ पूज्य, श्रेष्ठ, धार्मिक, उदार, कल्याणकारी और पुरूषार्थी कहा है तथा निरूक्त में-‘श्रेष्ठ सज्जन साधव:’ कहकर […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति राजनीति संपादकीय

आर्य (हिन्दू) की व्याख्या और ऊर्जा का अपव्यय

वेद उस घाट का नाम है जहां पूरा हिन्दू समाज जाकर अपनी ज्ञान की प्यास बुझाता है। इस घाट से कोई भी व्यक्ति बिना तृप्त हुए नहीं लौटता। सभी स्नातक होकर लौटते हैं, अर्थात स्नान कर लौटते हैं और यह स्नान आत्मिक ज्ञान का स्नान है। जिसमें आत्मा पूर्णानन्द की अनुभूति करता है। ऐसा स्नान […]

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15 अगस्त सन 1947 और भारत का विभाजन, भाग-3

15 अगस्त सन 1947 और भारत का विभाजन, भाग-3अंग्रेज शासक राष्ट्र की एकता और अखण्डता को निमर्मता से रौंदता रहा और हम असहाय होकर उसे देखते रहे। इनसे दर्दनाक और मर्मांतक स्थिति और क्या हो सकती है? कांग्रेस इस सारे घटनाक्रम से आंखें मूंदे रही। उसकी उदासीनता सचमुच लज्जाजनक है। बर्मा, रंगून और माण्डले की […]

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भारतीय संस्कृति राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

महात्मा गांधी जी की वसीयत

महात्मा गांधी जी की वसीयत महात्मा गांधी की अहिंसा को लेकर आरंभ से ही वाद विवाद रहा है। इसमें कोई संदेह नही कि अहिंसा भारतीय संस्कृति का प्राणातत्व है। पर यह प्राणतत्व दूसरे प्राणियों की जीवन रक्षा के लिए हमारी ओर से दी गयी एक ऐसी गारंटी का नाम है, जिससे सब एक दूसरे के […]

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भारतीय राजनीति का घटिया स्तर

भारत के विश्व स्तर पर बढ़ते सम्मान को देखकर भारत के दो प्रकार के शत्रुओं के पेट में दर्द हो रहा है। इनमें से एक बाहरी शत्रु हैं तो दूसरे भीतरी शत्रु हैं। बाहरी शत्रुओं में सर्वप्रमुख पाकिस्तान और चीन हैं, जबकि भीतरी शत्रुओं में भारत के भीतर बैठे पाक-चीन समर्थक तो हैं ही साथ […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति राजनीति संपादकीय

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-11

पश्चिमी देशों ने भोग के रोग से मुक्ति पाने हेतु भारत के योग को अपनाना आरंभ कर दिया है-इस संकेत से हमें उत्साहित होना चाहिए। हमें मानना चाहिए कि हमारी ग्राहयता यदि कहीं बढ़ रही है, तो निश्चित रूप से कुछ ऐसा हमारे पास है जो उनकी दृष्टि में अनमोल है। हमारी दृष्टि में यह […]

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भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-10

पांच प्रतिशत बनाम पिचानवें प्रतिशत का अनुपात हुआ करता है। किंतु इसके उपरांत भी पिचानवें प्रतिशत लोगों को रास्ता दिखाने और बताने का कार्य ये पांच प्रतिशत लोग ही किया करते हैं।  कहने का अभिप्राय है कि जमाना पिचानवें प्रतिशत लोगों से बनता है, किंतु जमाने को सही दिशा या रास्ता सिर्फ पांच प्रतिशत लोग […]

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