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बिखरे मोती

जैसी जिसकी वृत्तियां, वैसे ही मिलते मीत

बिखरे मोती-भाग 84 गतांक से आगे….रजत रेखा बर्दाश्त है,सुख दुख के दरम्यान।मनरंजन भंजन बनै,अज्ञानता से नादान ।। 865 ।। इस संसार का यह शाश्वत नियम है कि कोई भी वस्तु अथवा विचार तभी तक अच्छा लगता है जब तक अपनी सीमा का उल्लंघन नही करता है। यह एक रजत रेखा (स्द्बद्य1द्गह्म् रुद्बठ्ठद्ग) है इसे लांघते […]

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