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संपादकीय

जयराम और जय जय राम

एक समय था जब राजनीतिक लोगों की झलक पाने के लिए लोग आतुर रहा करते थे। बड़ी मुश्किल से लोगों की अपने नेताओं और जनप्रतिनिधियों से नजदीकियां विकसित हो पाती थीं। नेता के लिए सब अपने होते थे और कोई अपना नही होता था। इसलिए नेता सबके प्रति समानता का भाव बरतते थे, वह अपने […]

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