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विशेष संपादकीय

ना ‘जयचंद’ बचे और ना ‘गौरी’

बात 10 मई 1907 की है। देश उस दिन अपने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम अर्थात 1857 की क्रांति की 50वीं वर्षगांठ मना रहा था। सारा देश उस दिन ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने का संकल्प ले रहा था। दिल्ली भी उस संकल्प से अछूती रहने वाली नहीं थी। उस समय दिल्ली देश की राजधानी नहीं थी, […]

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