Categories
धर्म-अध्यात्म

प्रार्थनाएं धर्म की नहीं, भारतीयता की प्रचारक

देश के लगभग एक हजार केंद्रीय विद्यालयों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को संस्कृत और हिंदी में प्रार्थना कराई जाती हैं। वर्षों से यह प्रार्थनाएं हो रही हैं। परंतु, आज तक देश में कभी विद्यालयों में होने वाली प्रार्थनाओं पर विवाद नहीं हुआ। कभी किसी को ऐसा नहीं लगा कि प्रार्थनाओं से किसी धर्म विशेष का प्रचार […]

Categories
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-84

गीता का सोलहवां अध्याय श्रीकृष्णजी की यह सोच वर्तमान विश्व के लिए हजारों वर्ष पूर्व की गयी उनकी भविष्यवाणी कही जा सकती है जो कि आज अक्षरश: चरितार्थ हो रही है। स्वार्थपूर्ण मनोवृत्ति के लोगों ने जगत के शत्रु बनकर इसके सारे सम्बन्धों को ही विनाशकारी और विषयुक्त बना दिया है। अल्पबुद्घि नष्टात्मा करें भयंकर […]

Categories
राजनीति संपादकीय

पूर्वोत्तर में भगवा की जीत के अर्थ

पूर्वोत्तर के तीन छोटे छोटे प्रान्तों त्रिपुरा, नागालैंड व मेघालय के चुनाव परिणाम आ गए हैं। इन चुनाव परिणामों ने स्पष्ट कर दिया है कि पूर्वोत्तर भी अब भाजपा के भगवा रंग में रंग गया है और कॉंग्रेस को यहाँ से भी चलता कर दिया गया है। त्रिपुरा विधानसभा की कुल 60 सीटों में से […]

Categories
पर्व – त्यौहार

होली कोरा पर्व ही नहीं, संस्कृति भी है

भारत जैसे धर्मप्रधान और तीज-त्योहारों वाले देश में होली अनूठा एवं अलौकिक त्योहार है, यह लोक पर्व है, मनुष्यता का पर्व है, समाज का पर्व है, संस्कृति का पर्व है एवं यह बंधनमुक्ति का पर्व है। इसमें आप समाज को सर्वोपरि मनाने की घोषणा करते हैं। यह विशुद्ध मौज-मस्ती व मनोरंजन का सांस्कृतिक त्योहार है। […]

Categories
समाज

चलती फिरती जेल या अँधा-इंसाफ़ ?

 चार चार बेगमों का, हक मर्दों को. और चलती-फिरती जेल,*बेगम को . मूँद कर आँख इक रोज़ बेगम बन जा. पहन कर बुरका ज़रा संसद* हो आ. अण्डे* से बाहर निकल कर देख. आँखों से, हरा चष्मा उतार कर देख. (अण्डा= दकियानूसी रुढियाँ) बुरका नहीं, है ये, चलती फिरती जेल है; हिम्मत है, चंद रोज़ […]

Exit mobile version