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प्रमुख समाचार/संपादकीय

आखिर लुप्तप्राय वैदिक सरस्वती मिल ही गई

अशोक “प्रवृद्ध” ऋग्वेदादि वैदिक व पौराणिक ग्रंथों में अब तक सिमटी प्राचीनतम और हजारों वर्ष पूर्व लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी का आदिबद्री के गाँव मुगलवाली (हरियाणा के महेंद्रगढ़ /यमुनानगर जिला का मुगलावाली गाँव) में उद्गम होना ऐतिहासिक, पुरातात्विक और भौगोलिक दृष्टि से एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है और इस खोज से भारतीय इतिहास की […]

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साम्प्रदायिक राजनीति…    

           आज के  समाचारो से ज्ञात हुआ है कि  शब-ए-बरात (2.6.2015) पर मिलने आये मुसलमानों के एक शिष्ट मंडल को मोदी जी ने स्पष्ट कहा है कि “वह ऐसी राजनीति में विश्वास नहीं रखते जो लोगो को साम्प्रदायिक आधार पर बॉटती है और न ही वह कभी साम्प्रदायिक भाषा बोलेंगे।उन्होंने कहा कि […]

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मांगलिकता एवं समृद्धि का प्रतीक है कलश

– ललित गर्ग  भारतीय संस्कृति में विविध मांगलिक प्रतीकों का विशिष्ट महत्व है। विशेषतः हिन्दू धर्म में इन मांगलिक प्रतीकों का बहुत प्रचलन है। हर मांगलिक कार्य चाहे नया व्यापार, नववर्ष का आरंभ, गृह प्रवेश, दिवाली पूजन, यज्ञ, अनुष्ठान, विवाह, जन्म संस्कार आदि सभी में इन मांगलिक प्रतीकों का उपयोग होता है, इनके बिना कोई […]

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विदेश नीति में मौलिकता क्या?

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी गृहमंत्री राजनाथसिंह की तरह आखिरकार पत्रकार परिषद कर ही डाली। सुषमा जैसी प्रखर वक्ता और हाजिर जवाब नेता से उम्मीद यह की जाती थी कि वे इस भाजपा सरकार की सर्वश्रेष्ठ प्रवक्ता होंगी, देश में भी और विदेश में भी लेकिन इसका उल्टा तो पहले ही तय हो चुका […]

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न सूट-बूट, न सूटकेस चाहिए सूझ-बूझ!

नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी तू, तू-मैं-मैं करने की बजाय उपमाओं से काम ले रहे हैं। यदि एक कह रहा है कि यह सूट-बूट की सरकार है तो दूसरा कह रहा है यह आपकी सूटकेस की सरकार से तो अच्छी है। यानि सूट-बूट की सरकार और सूटकेस की सरकार आपस में चोंचे लड़ा रही है। […]

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नेहरू की गंदी मानसिकता

सरदार पटेल: नेहरूजी आइए रिक्शा मे बैठ लीजिए। नेहरू: नही पटेलजी, हम खान साहब से जरूरी बाते कर रहे है। सरदार पटेल: ऐसी क्या जरूरी बाते है? नेहरू: यह पाकिस्तान जाने की जिद किए हुए है हम चाहते है कि भारत मे ही रहे। सरदार पटेल: तो जाने क्यो नही देते, फिर पाकिस्तान बनवाया ही […]

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खौफ या आतंक के उत्सव से दिल्ली को बचाओ

नई दिल्ली जून 2. 2015 मुस्लिम त्योहारों ख़ास कर शब ए बारात के मौके पर मुस्लिम युवकों द्वारा दिल्ली की कानून व्यवस्था को ताक पर रख कर दिल्ली वासियों का जीना दूभर किए जाने की गत कुछ वर्षों की घटनाओं को देखते हुए विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने इस बार एतिहातन कदम उठाए हैं. विहिप […]

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दिल्ली: एक म्यान में दो तलवारें?

डॉ. वेदप्रताप वैदिक दिल्ली को हम साधारण बोलचाल में प्रदेश कहते हैं और इस प्रदेश के चुने हुए मुखिया को मुख्यमंत्री ! दिल्ली न तो अन्य प्रदेशों की तरह प्रदेश है और न ही उसका मुख्यमंत्री अन्य मुख्यमंत्रियों की तरह मुख्यमंत्री है। लेकिन अरविन्द केजरीवाल यदि अपने आप को पूरा मुख्यमंत्री समझते हैं तो इसमें […]

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राजनाथ बोले तो सही

अपनी पत्रकार-परिषद् में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कई ऐसी बातें कही हैं, जो दो–टूक हैं और जो किसी भी सतारूढ़ दल की शक्तियों और सीमाओं, दोनों का परिचय देती हैं। उनकी पत्रकार परिषद् के बारे में पहली बात मुझे यह कहनी है कि उन्होंने पत्रकार परिषद् की, यह भी अपने-आप में बड़ी बात है। […]

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जनसँख्या नियंत्रण क़ानून की आवश्यकता    

आज भारत में “जनसंख्या नियंत्रण क़ानून” की  अत्यंत आवश्यकता है। यह क्यों आवश्यक व अनिवार्य है इसके लिए हमें इतिहास में जाकर समझना होगा कि  100-150 वर्ष पहले अफगानिस्तान , 70-80 वर्ष पहले पाकिस्तान व 35-40 वर्ष पहले कश्मीर में हिन्दू  अपने धार्मिक उत्सव श्रद्धा से मनाते थे ।परंतु सब इस्लाम के शान्ति दूतो ने […]

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