आधुनिक भारत के शिल्पी सरदार वल्लभ भाई पटेल के विचार, कर्म और उनकी स्मृतियां मन को रोमांच और गौरव से भर देती हैं। वे ऐसे राष्ट्रभक्त महापुरुष थे जिनके लिए ‘राष्ट्र सबसे पहले’ था। सरदार सही मायने में राष्ट्रीय एकता के प्रतीक थे और हैं। उनकी जयंती को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाने […]
महीना: नवम्बर 2014
विष्णु गुप्त किया की विपरीत प्रतिक्रिया होती है। हिंसा के विरोध में प्रतिहिंसा भी होती है। दुनिया में कोई सर्वशक्तिमान नहीं होता है? सर्वशक्तिमान समझने वाली शक्ति को भी चुनौती मिलती है। अराजक और अनियत्रित शक्ति, समूह और व्यवस्था की मानसिकता का दमन होता है, पतन भी होता है। यह सब हम बार-बार देखते हैं। […]
पुण्य प्रसून वाजपेयी ४८ मौत, ५०० बीमार, राष्ट्रपति का इंकार और अब प्रधानमंत्री मोदी का इंतजार संसद सदस्य बनने के बाद ऱाष्ट्रकवि दिनकर ने लिखा था, “हो गया एक नेता मैं भी !तो बंधु सुनो, / मैं भारत के रेशमी नगर में रहता हूं, / जनता तो चट्टानों का बोझ सहा करती, / मैं चादंनियों […]
आजकल डिब्बाबंद खान-पान सामग्री का प्रचलन जोर पकड़ता जा रहा है। जब से हमने परिश्रम करना छोड़ दिया है तभी से हम तैयार खान-पान के आदी हो गए हैं।
बहुत पुरानी बात है। हिंदुओं का एक काफ़िला अपने धर्म की रक्षा के लिए पश्चिमोत्तर के पर्वत-प्रदेश से भागा चला आ रहा था। मुद्दतों से उस प्रांत में हिंदू और मुसलमान साथ-साथ रहते चले आये थे। धार्मिक द्वेष का नाम न था। पठानों के जिरगे हमेशा लड़ते रहते थे। उनकी तलवारों पर कभी जंग न […]
नियत में खोट, प्रतिष्ठा पर चोटडॉ.शशि तिवारी कहते है मन चंगा तो कठोती में गंगा’, लेकिन मन अत्यधिक चंचल होता है पल में हां और पल में न कहतेे एवं एक पाले से दूसरे पाले में ढुंलकते देर भी नहीं लगनी लक्ष्मी भी चंचल होती हैं, मन और लक्ष्मी किस पर कृपा बरसा दे ठीक-ठीक […]
जिस प्रकार मंदिर में पुजारी , गुरुद्वारे में ग्रन्थी और चर्च में पादरी होता है उसी प्रकार मस्जिद में इमाम होता है । इमाम,मोटे तौर पर जुम्मा यानि शुक्रवार के दिन मस्जिद में नमाज़ के लिये जो मुसलमान इक्कठे होते हैं , उनकी नमाज़ का मंच से संचालन करता है । नमाज़ के बाद वह […]
जागरण का समय आ ही गया है। जाने कितनी बार नए संकल्पों और नई भोर के साथ जागरण का संदेश देने वाले पर्व-त्योहार और नए-नए अवसर हमारे सामने आते रहते हैं। पर हम इतने आलसी हैं कि हर बार कल्पनाओं में खो जाते हैं, संकल्प लेते हैं, लक्ष्यों में खुद को बाँधते हैं, कुछ नया […]
वो जमाना चला गया जब आदमी अपने और अपने कुटुम्ब के लिए कमाता था और संतोषी जीवन व्यतीत करते हुए जिन्दगी के सारे आनंद प्राप्त करता था, समुदाय को भी आनंदित करता था, सामाजिक सरोकारों और क्षेत्रीय हलचलों में पूरी और पक्की भागीदारी निभाता हुआ अपने जीवन को धन्य करता था। आज पहले के मुकाबले […]
देश में सरदार पटेल की सबसे ऊँची मूर्ति स्थापित करने का निर्णय गुजरात सरकार ने पहले ही कर लिया था । इसके लिये देश के कोने कोने से लोहा भी एकत्रित किया जा चुका है । अब इस प्रकल्प का क्रियान्वयन हो रहा है । सरदार पटेल की १८२ मीटर की इस प्रस्तावित मूर्ति को […]