कोरोना महामारी के दौर में भारत ही नहीं बल्कि विश्व के लगभग सभी देशों में बेरोजगारी की दर में बेतहाशा वृद्धि दृष्टिगोचर हुई थी। परंतु, भारत ने कोरोना महामारी के द्वितीय दौर के बाद जिस तेजी से अपनी अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी की दर को कम करने में सफलता पाई है, वह निश्चित ही तारीफ के […]
लेखक: प्रहलाद सबनानी
लेखक भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवर्त उप-महाप्रबंधक हैं।
मार्च 2020 के बाद कोरोना महामारी के प्रथम दौर के दौरान पूरे देश में लगाए गए लॉकडाउन के कारण भारत में आर्थिक गतिविधियां, कृषि क्षेत्र को छोड़कर, लगभग ठप्प सी पड़ गई थीं। इसके कारण अप्रेल-जून 2020 में आर्थिक विकास दर ऋणात्मक 25 प्रतिशत रही थी। देश की 60 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्था पर विपरीत […]
प्रह्लाद सबनानी भारत से निर्यात किए जा रहे उत्पादों की टोकरी में शामिल विभिन्न उत्पादों का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि देश से रोजगारोन्मुखी उद्योगों के उत्पाद तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। यह देश के लिए हर्ष का विषय होना चाहिए। कोरोना महामारी की प्रथम एवं द्वितीय लहर के दौरान पूरे […]
प्रह्लाद सबनानी उद्योग क्षेत्र ने कमाल कर दिया है एवं इस क्षेत्र ने अप्रैल-जून 2021 तिमाही के दौरान 46.6 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है। विनिर्माण क्षेत्र ने 49.6 प्रतिशत एवं निर्माण क्षेत्र ने 68.3 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित की है। इसी प्रकार सेवा क्षेत्र ने भी 11.4 प्रतिशत की विकास दर हासिल […]
प्रह्लाद सबनानी पश्चिमी देशों में कृषि क्षेत्र पर केवल लगभग 2 प्रतिशत आबादी ही आश्रित रहती है और शेष आबादी को उद्योग एवं सेवा क्षेत्रों से रोजगार मिलता है। इसके कारण प्रति व्यक्ति आय भी इन देशों में बहुत अधिक रहती है। परंतु भारत में परिस्थितियां कुछ भिन्न हैं। किसी भी देश के आर्थिक विकास […]
प्राचीन समय में भारत में प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध था। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में कृषि के साथ साथ हथकरघा उद्योग भी फल फूल रहा था। इसके कारण ग्रामीणों का गावों से शहरों की ओर पलायन नहीं के बराबर होता था। बल्कि, शहरों की तुलना में ग्राम ज्यादा खुशहाल थे। हथकरघा उद्योग के […]
पश्चिमी देशों में उपभोक्तावाद के धरातल पर टिकी पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं पर आज स्पष्टतः खतरा मंडरा रहा है। 20वीं सदी में साम्यवाद के धराशायी होने के बाद एक बार तो ऐसा लगने लगा था कि साम्यवाद का हल पूंजीवाद में खोज लिया गया है। परंतु, पूंजीवाद भी एक दिवास्वप्न ही साबित हुआ है और कुछ समय […]
कोरोना महामारी की दो लहरों को झेलने के बाद भारत में अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे पटरी पर आती दिख रही है। भारत में, अप्रैल-मई 2021 के महीनों में महामारी की दूसरी लहर का सामना करने के बाद, जून 2021 में आर्थिक गतिविधियां तेज गति से पुनः प्रारम्भ हो गई हैं, जिसका असर अब जुलाई 2021 माह […]
किसी भी देश के आर्थिक विकास को गति देने में तीन क्षेत्रों, कृषि क्षेत्र, उद्योग क्षेत्र एवं सेवा क्षेत्र का योगदान रहता है। विकास के शुरुआती दौर में कृषि क्षेत्र का योगदान सर्वाधिक रहता है परंतु जैसे जैसे देश में विकास की गति तेज होने लगती है वैसे वैसे कृषि क्षेत्र का योगदान कम होता […]
प्रह्लाद सबनानी कोरोना महामारी की दूसरी लहर का असर हालांकि देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा तो है परंतु यह बहुत कम ही रहेगा। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 में आर्थिक समीक्षा के अनुरूप भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 11 प्रतिशत ही रहने की सम्भावना है। इस प्रकार यह वृद्धि दर विश्व की […]