ओ३म् ============ मनुष्य जिन गुण, कर्म व स्वभाव को धारण करने से मनुष्य कहा जाता है उनमें से एक गुण दया भी है। दया दूसरे मनुष्यों व प्राणियों पर दया, प्रेम, सहानुभूति, हित कामना रखने को कहते हैं। दया करना सह-अनुभूति प्रकट करना होता है तथा उसी के अनुरूप दूसरों की सहायता, सेवा-शुश्रुषा, दुःख निवारण […]
लेखक: मनमोहन कुमार आर्य
चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ईश्वर द्वारा सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को दिया गया वह ज्ञान है जिससे मनुष्य अपना समस्त जीवन ईश्वर की सच्ची उपासना एवं सत्कर्मों को करता हुआ व्यतीत कर सकता है। जीवन में सुखी, निरोग, दीर्घायु रहकर अपने परजन्म को भी सुधार […]
ओ३म् =========== संसार में सबसे प्राचीन धर्म व संस्कृति वेद वा वैदिक है। वेद ईश्वर का सृष्टि की आदि में दिया गया ज्ञान है। इस वेदज्ञान के अनुसार जो मत व धर्म प्रचलित हुआ उसी को वैदिक धर्म कहा जाता है। वैदिक धर्म उतना ही पुराना है जितना पुराना हमारा संसार है। न केवल हमारे […]
संसार में सबसे प्राचीन धर्म व संस्कृति वेद वा वैदिक है। वेद ईश्वर का सृष्टि की आदि में दिया गया ज्ञान है। इस वेदज्ञान के अनुसार जो मत व धर्म प्रचलित हुआ उसी को वैदिक धर्म कहा जाता है। वैदिक धर्म उतना ही पुराना है जितना पुराना हमारा संसार है। न केवल हमारे अपितु संसार […]
ओ३म् ============ वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है और धर्म का आदि मूल है। महाभारत तक वेद फलता फूलता रहा। महाभारत युद्ध व उसके बाद के 2,500 वर्षों तक तक पूरे विश्व का धर्म एकमात्र वेद ही था। महाभारत युद्ध की भीषण हानि के कारण सभी व्यवस्थायें अस्त-व्यस्त व भंग हो र्गइं। इस कारण धर्म के […]
ओ३म् -कोरोना को देश से भगाने के लिये आर्यसमाज शक्तिनगर, अमृतसर की प्रेरणा- ============= आर्यसमाज शक्तिनगर, अमृतसर समर्पित ऋषिभक्तों से युक्त जीवन्त समाज है। इस समाज में समय समय पर अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं सराहनीय आयोजन किये जाते रहते हैं। उच्च भावनाओं से युक्त हमारे एक सुहृद मित्र ऋषिभक्त श्री मुकेश आनन्द जी इस समाज के […]
ओ३म् ============= वैदिक धर्म मनुष्य निर्मित नहीं अपितु परमात्मा से प्रेरित व प्राप्त धर्म है। वैदिक धर्म का आरम्भ चार वेदों से हुआ। यह वेद वा वेदज्ञान सृष्टि उत्पत्ति के साथ, सृष्टि के आरम्भ में ही चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को प्राप्त हुआ था। चार ऋषि थे अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा। […]
ओ३म् =========== ऋषि दयानन्द एक सत्यान्वेषी सत्पुरुष थे। वह सच्चे ईश्वर को प्राप्त करने तथा मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के लिये अपनी आयु के बाईसवें वर्ष में अपने घर से निकले थे। उन्होंने देश के अनेक भागों में जाकर धार्मिक पुरुषों के दर्शन करने सहित उनसे उपदेश ग्रहण किये थे। इसके साथ ही उन्होंने […]
ओ३म =========== मनुष्य के अनेक कर्तव्य होते हैं। आर्यसमाज का वैदिक सिद्धान्तों के अनुकूल एक नियम है ‘सब मनुष्यों को सामाजिक सर्वहितकारी नियम पालने में परतन्त्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतन्त्र रहें।’ इस नियम में कहा गया है कि सामाजिक व सर्वहितकारी नियम पालने में देश के सब नागरिकों को परतन्त्र […]
ओ३म्