ललित गर्ग केन्द्रीय गृहमन्त्री श्री अमित शाह ने एक बार फिर जटिल एवं अशांत होते जम्मू-कश्मीर राज्य के हालातों के बीच तीन दिवसीय दौरा करके अशांति पैदा करने वालों को न केवल चेताया है, बल्कि वहां के हिन्दुओं एवं सिखों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आश्वासन भी दिया है। उनकी यह कश्मीर यात्रा इसलिए भी […]
लेखक: ललित गर्ग
ललित गर्ग आजादी के अमृत महोत्सव मनाते हुए हमारे देश, समाज और मनुष्यता तीनों के सामने ही प्रश्नचिन्ह खड़े हैं। किसी भी समाज और राष्ट्र के विकास में विचार एवं सृजनात्मक लेखन की महत्वपूर्ण भूमिका है। विचार एवं लेखन ही वह सेतु है, जो व्यक्ति-चेतना और समूह चेतना को वैश्विक, राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों […]
ललित गर्ग सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने स्पष्ट किया है कि यह माफीनामा नहीं था बल्कि जेल में बंद यह सभी क्रांतिकारियों के लिए एक दया-याचिका थी। दूसरी बात इसे महात्मा गांधी के कहने पर लिखा गया था। गांधीजी सावरकर को अपना छोटा भाई मानते थे। दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में केंद्रीय सूचना […]
ललित गर्ग दशहरा का पर्व बुराइयों से संघर्ष का प्रतीक पर्व है, यह पर्व देश की सांस्कृतिक चेतना एवं राष्ट्रीयता को नवऊर्जा देने का भी पर्व है। आज भी अंधेरों से संघर्ष करने के लिये इस प्रेरक एवं प्रेरणादायी पर्व की संस्कृति को जीवंत बनाने की जरूरत है। प्रश्न है कौन इस संस्कृति को सुरक्षा […]
ललित गर्ग लोकनायक जयप्रकाशजी का सबसे बड़ा आदर्श था जिसने भारतीय जनजीवन को गहराई से प्रेरित किया, वह था कि उनमें सत्ता की लिप्सा नहीं थी, मोह नहीं था, वे खुद को सत्ता से दूर रखकर देशहित में सहमति की तलाश करते रहे और यही एक देशभक्त की त्रासदी भी रही थी। हिन्दुस्तान के इतिहास […]
ललित गर्ग समूची दुनिया में कानूनों के बावजूद आंधी धड़ल्ले से चल रही है, इसमें जिन सैंकड़ों लोगों के नाम सामने आए हैं उनमें प्रभावशाली राजनेताओं, अरबपतियों, मशहूर व्यक्तियों और धार्मिक हस्तियों ने खरबों डॉलर की संपत्ति का कर बचाने के लिये ऑफशोर विदेशी कंपनियों के खातों का उपयोग किया है। दुनिया में कठोर कानूनों […]
ललित गर्ग जब कल-कारखाने बंद रहने और उसके बाद भी बहुत सारे रोजगार सुचारू रूप से बहुत दिनों तक नहीं चल पाने की स्थिति में बच्चों के साथ काम की जगहों पर दुर्व्यवहार की घटनाएं नहीं होने पाईं, इसलिए आंकड़े पहले की तुलना में कुछ घटे हुए दर्ज हुए। कोरोना काल के पूर्णबंदी के दौरान […]
ललित गर्ग हिंसा और आतंकवाद की स्थितियों ने जीवन में अस्थिरता एवं भय व्याप्त कर रखा है। अहिंसा की इस पवित्र भारत भूमि में हिंसा का तांडव सोचनीय है। अहिंसा ताकतवरों का हथियार है। दमनकारी के खिलाफ वही सिर उठाकर खड़ा हो सकता है, जिसे कोई डर न हो, जो अहिंसक हो एवं मूल्यों के […]
ललित गर्ग देश में किसान आन्दोलन हो या ऐसे ही अन्य राजनैतिक आन्दोलन, उनमें हिंसा का होना गहन चिन्ता का कारण बना है। हिंसा और आतंकवाद की स्थितियों ने जीवन में अस्थिरता एवं भय व्याप्त कर रखा है। अहिंसा की इस पवित्र भारत भूमि में हिंसा का तांडव सोचनीय है। अहिंसा ताकतवरों का हथियार है। […]
ललित गर्ग आंदोलन से उपजी समस्याओं से सुप्रीम कोर्ट भी अवगत है, लेकिन समझना कठिन है कि वह कोई फैसला सुनाने से क्यों बच रहा है? वह न तो किसान संगठनों की ओर से सड़कों को बाधित किए जाने का संज्ञान ले रहा है और न ही कृषि कानूनों की समीक्षा करने वाली समिति की […]