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कविता

गीत : ‘राम आए हैं’

 

 

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं,

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं।

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं,

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं।

 

 

तम घोर था निराशा का

दीप बुझा था आशा का

अब देखो चहुँ ओर सब

दिव्य-दीप जगमगाए हैं

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं,

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं।

 

 

थी सबकी बस एक चाह

निकले कहीं से कोई राह

राम की कृपा से देखो

राम खुद ही राह दिखाए हैं

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं,

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं।

 

 

काल-ग्रह सब भारी थे 

दिवस सभी अंधकारी थे 

अशुभ जो था बीत गया

शुभ दिन सब फिर पाए हैं  

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं,

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं।

 

 

तप रही थी भूमि सारी

सूखी पड़ी थी हर इक क्यारी

प्यास बुझाने को मिट्टी की

अब मेघ घिर-घिर छाए हैं

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं,

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं।

 

मन में छाई थी उदासी

अँखियाँ थीं दर्शन की प्यासी

राम भक्तों के प्रयासों से 

रामलला फिर घर आए हैं 

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं,

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं।

 

 

दुष्टों का पलड़ा था भारी

सत्ता भी थी अत्याचारी 

दुष्ट-दमन करके प्रभु राम

भक्तन को हर्षाए हैं 

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं,

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं।           

 

दुष्टों ने गोली चलवाई

मंदिर की राह में टांग अड़ाई 

राम विरोधी थे जो सब 

अब दर्शन को अयोध्या आए हैं 

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं,

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं।

 

अयोध्या के भाग जागे 

तेजी से बढ़ रही है आगे 

राम अपने साथ देखो 

विकास-लहर ले लाए हैं 

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं,

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं।

 

संतोष अब सबको मिला 

चेहरा भक्तों का खिला-खिला 

दिन दुख के सब बीत गए

सुख-शांति अब सब पाए हैं

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं,

राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं।

 

– डॉ. शैलेश शुक्ला, मझगवाँ, पन्ना, मध्य प्रदेश 

 

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