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कविता

राम लला की जय” बोलो उदघोष हो रहा “जय श्री राम”

आचार्य डॉ. राधे श्याम द्विवेदी

राम पधार चुके पुर में मन, फूल खिले उर हर्षित जाना।
साध सधी प्रण पूर्ण हुआ जब, मंदिर राम बना पहचाना।
दीप जले हर ओर सखी जग, में बढ़ता अब भारत माना।
रामलला अति सुन्दर शोभित, जन करते उनका जयगाना।।

रूप अनूप सजा अनुरूप अलौकिक दिव्य न जाय बखाना।
रामललासरकार की शोभा विलोकत ही हिय जाय समाना।
आन विराज रहे रघुनाथ पुनीत ये पावन हुआ पर्व सुहाना।
भक्तन के मन मंदिर में इस राम छवि का बना है ठिकाना।।

कोशल के अब भाग्य जगे जब मंदिर निर्मित अद्भुत आज।
शिल्प अनूप मनोहर सुंदर गूँजते हैं गली सरयू तट साज।
राम सुशोभित मंदिर में अब इच्छित स्थापित राम सुराज।
भाग्य जगे अब भारत के सपना सच हो बनते सब काज।।

आज विराजत राम लला पुर,मंदिर सुंदर निर्मित होइगै।
मंडप अद्भुत शिल्प मनोहर,संत उमंगित पूरण कईगौ।
विश्व करे जयकार लगे हर ओर सुहावत राम सुराजै।
ढोल मृदंग बजे चहुँ ओर गँवे नित गीत बजें सब साजै ।।

राम रसायन पान करो नित,उत्तम औषधि आधि मिटे सब।
तारण हार वही बस पालक,जीवन मार्ग यही बस है अब।
मोक्ष मिले भव पाप कटें नित,जाप करो मन नाम यही तब।
सिंधु समान उदार बड़े वह,दीन दयाल पुकार सुने जब।।

हर्षित जन टोली में चलते पहने नव रंग बिरंग परिधान।
पैदल ही आते जाते हैं हुल्लास भरे हुए प्रफुल्लित मान ।
सजी अयोध्या नये लुक में चौड़ी सड़कें हैं स्वच्छ विधान।
“राम लला की जय” बोलो उदघोष हो रहा “जय श्री राम”।।

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