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कविता

मात पिता का मिलना सचमुच…..

मात पिता का मिलना सचमुच
सौभाग्य हमारा होता है।
हमारे शुभकर्मों के पीछे
संस्कार उन्हीं का होता है।।
अच्छे मात-पिता मिल जाना
सहज सुलभ नहीं होता है।
कोटि-कोटि जन्मों का समझो
पुण्य उदित तब होता है।।

अपने आप तपें भट्टी में ,
पर कष्ट नहीं अनुभव करते।
जीवन हमारा कुंदन बनता ,
व्यंग्य नहीं हम पर करते।।
हमारे हित में करें साधना,
दीपक के सम जल-जलकर,
हमें बढाते जाते आगे,
नहीं कदम पीछे धरते।।

उपकारों की वर्षा करते ,
आशीष सदा देते रहते।
साधु सन्यासी की भांति,
शांत चित्त होकर रहते।।
तपे हुए जीवन का अनुभव ,
हमारे हित सांझा करते,
जाते जाते हाथ उठाकर ,
हृदय की बात हमें कहते।।

डॉ राकेश कुमार आर्य

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