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आज का चिंतन

महर्षि दयानंद के विचार और वर्तमान विश्व समाज

ऋषि दयानंद जी के विचार।।
चारो वेदों को विद्या धर्मयुक्त श्वरप्रणित संहिता मंत्रभाग को निर्भ्रांत स्वतः प्रमाण मानता हूं, अर्थात जो स्वयं प्रमाणरूप हैं, कि जिस के प्रमाण होने में किसी अन्य ग्रन्थ की अपेक्षा न हो जैसे सूर्य वा प्रदीप स्वयं अपने स्वरूप के स्वतः प्रकाश और पृथिव्यादि के प्रकाश होते हैं वैसे चारो वेद हैं ।
और चारों वेदों के ब्राह्मण छः अंग छः उपांग चार उपवेद और 1127 वेदों की शाखा जो कि वेदों के व्याखानरूप ब्रह्मादि महर्षियों के बनाए ग्रंथ हैं उनको परतः प्रमाण अर्थात वेदों के अनुकूल होने से प्रमाण और जो इन में वेदविरुद्ध वचन है उनका अप्रमाण करता हूं ।
ऋषि ने स्पष्ट लिखा क्या प्रमाण है क्या अप्रमाण है किसे मानना चाहिए और किसे नहीं मानना चाहिए।
इसके अतिरिक्त ईश्वरीय ज्ञान होना अथवा किसी और को ईश्वरीय ज्ञान कहना वेद विरुद्ध है ।
ऋषि ने साफ साफ लिख कर बताया ईश्वरीय ज्ञान कौन सा है, और कौन सा नहीं है ।
इसके बाद भी अगर किसी भी मत,पंथ के ग्रंथ को ईश्वरीय ज्ञान बताना चाहता है वह अमान्य है ।
कारण इन ईश्वरीय ज्ञान में किस्सा कहानी या किसी का वंशा वली नहीं है ।
और न किसी देश का नाम है, न किसी देश की भाषा में है ।
सिर्फ आर्यावर्त देश बताया गया है,कारण इसी देश से सृष्टि उत्पत्ति हुई है ।
अहम भूमिम अद्द्दाम आर्यः शब्द आया है ।
यह भूमि मैने आर्यों को दी।
लेकिन आर्य जो है भूमि में राज्य नहीं चाहते, यह केवल आर्य समाज और आर्य संस्था पर ही राज्य करना चाहते हैं ।
किसी भी प्रकार इस संस्था में कोई और कब्जा न करले।
इस पर काबिज रहने के लिए कोर्ट कचहरी के भी चक्कर काट रहे है ।
सार्वदेशिक का झगड़ा हो किसी भी प्रांतीय सभा का झगड़ा है ।
किसी भी प्रकार हमारा ही कब्जा हो, कोई और इस पर काबिज न हो जाएं इसके लिए सभी हतकंडा को क्यों न अपनाना पड़े।
लेकिन ऋषि ने जो वेदों के संदर्भ में विचार दिया है उसे प्रचारित प्रसारित करने के लिए कोई भी प्रयास इन आर्य समाज के अधिकारियों का नहीं है, ऋषि ने ईश्वरीय ज्ञान किसे मानता हूं,किसे नहीं यह विचार सत्यार्थ प्रकाश तक ही सीमित रह गई ।
जो लोग वेद को ईश्वरीय ज्ञान नहीं मानते उन लोगों में जाकर कोई ऋषि के लिखे विचारों को न कोई प्रस्तुत करता है और न इस पर कहीं कोई चर्चा ।

आज अगर सम्पूर्ण विश्व को इन ऋषि विचारों को जन जन तक पहुंचाने का प्रयास यह लोग 1875 से अब तक करते, तो Dr जाकिर नाइक सड़क पर खड़ा होकर हिन्दू घर के बेटा,बेटी को इन वेद विचारों को छोड़ कुरान के माध्यम से हिंदुओं को मुसलमान कैसे बनाते ?
न ईसाई मिशनरी भारत भर के गांव गांव में घूमकर हिन्दुओं को ईसाई बना सकते थे।
अभी कुछ दिन पहले कतर देश में इन्हीं जाकिर नाइक को बुलाकर उनके द्वारा हिन्दुओं को मुसलमान बनाया गया ।
भारत देश में ताकत नहीं की इसका जवाब वेद को सामने रख कर देते जो ऋषि के विचार थे ।
रही बात सरकार क्या जाने वेद क्या है ?
जो आर्य समाजी कहते हैं अपने को उन्हें तो मालूम है, जब इन्ही प्रधान मंत्री और सभी मंत्रियों को या सरकारी अमला को बुला कर आप मंच साझा करते है, तो उन्हीं सरकार से आप ऋषि के दिए वेद विचार को क्यों नहीं सुनवाते?
अपने मंच पर उन सरकारी तंत्र को बुलाकर विद्वानों के वेद विचार उन्हें सुनाने के बजाय विद्वानों को मूक दर्शक बनाकर बिठा देते है और उन्ही विद्वानों को वेद विरुद्ध विचारों को सुनवाते हैं ।
और विद्वान भी इनके बीके हुए हैं जो अपना वेद विचार उन्हें सुनाने के बजाय उन्ही लोगों के ऋषि विरुद्ध विचारों को सुनते रहते है ।
किसी में यह हिम्मत नहीं की इसका विरोध कर सकें। बहुत बड़ा हो जाएगा सभी बातों को लिखने में, वर्तमान स्थिति मैने आप लोगों को थोड़ा बताया ।
महेंद्र पाल आर्य 16/11/2023

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