भारत के पहले राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद विशुद्ध राजनीतिज्ञ थे, तो दूसरे राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन विशुद्ध शिक्षा प्रेमी थे। उनके नाम पर कई लोगों को इसीलिए आपत्ति रही थी कि एक राजनीतिज्ञ की वजाय शिक्षाविद को राष्ट्रपति क्यों बनाया जा रहा है? लेकिन नेहरू की इच्छा के आगे किसी की नहीं चली और 13 मई 1962 को भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। इन्होंने राष्ट्रपति के रूप में अपने वेतन को घटाया और उसे 2000 तक ला दिया। इनके पास डा. राजेन्द्र प्रसाद जैसा लंबा राजनैतिक अनुभव तो नहीं था, लेकिन इनकी ख्याति उस समय एक लब्ध प्रतिष्ठित दार्शनिक की अवश्य थी? दूसरे डा. राजेन्द्र प्रसाद के कार्यकाल में ये भारत के उपराष्ट्रपति भी रह चुके थे। 40 वर्ष तक अध्यापन कार्य करने के कारण इनके जन्मदिवस 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की परंपरा का श्रीगणेश हुआ। 1967 में इनका कार्यकाल समाप्त हुआ तो कांग्रेस ने इन्हें पुन: राष्ट्रपति का दायित्व संभालने का अनुरोध किया। लेकिन इन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया। 1967 में ये अपने गृह नगर मद्रास (चेन्नई) लौट गये।
क्रमश:
डॉ राकेश कुमार आर्य