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कविता

अध्याय … 78 समझो अपने देश को ……

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तेज ,क्षमा और धैर्य, वैरभाव का त्याग।
अहंकार से दूर हो, उसका दिव्य स्वभाव।।
उसका दिव्य स्वभाव, आशीष देव का।
मानव वही बना करता , आदर्श देश का।।
राष्ट्रवंदना सिखिलाता है, मेरा भारत देश।
जिसने समझा ‘भारत’, मिला उसी को तेज।।

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समझो अपने देश को, दुनिया का सिरमौर।
रहा बांटता ज्ञान को, बना सभी का ठौर।।
बना सभी का ठौर, बतलाई सबको मानवता।
दे उपदेश निराला हमको,दूर भगाई दानवता।।
देश नहीं- देव है भारत, समझो भारत देश को।
दुनिया में सबसे प्यारा, समझो अपने देश को।।

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वेद विश्व का ग्रंथ है, सबसे पुराना एक ।
सबसे प्यारा देश है, विश्व में भारत एक।।
विश्व में भारत एक ,बड़ी पूंजी का स्वामी।
रखे खजाना वेद का,दुनिया भर में नामी।।
विश्व ने जाना नहीं, भारत का कभी भेद।
दुनिया के सब ग्रंथों से, बड़ा बताया वेद।।

दिनांक : 26 जुलाई 2023

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