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कविता

कुंडलियां … 37 यज्ञ रूप भगवान से ……

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त्याग में आनंद है, राम लियो वनवास।
त्याग दियौ संसार को, छाय गयौ मधुमास।।
छाय गयौ मधुमास , निरंतर हो अमृत वर्षा।
महावीर हनुमंत मिलें, देख-देख दिल हर्षा।।
लेकै वानर सेना ,रावण कियौ खत्म मतिमंद।
धरती महकी सारी, बताया त्याग में आनंद।।

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कृष्ण ने संसार को, दियौ अनोखा ज्ञान।
निष्काम कर्म करते चलो, मिल जाए भगवान।।
मिल जाए भगवान, और जीवन बनता प्यारा।
संसार उतारे आरती, और नतमस्तक हो सारा।।
सब हाथ पकड़ नृत्य करें,और होते भव से पार।
यज्ञ भावना प्रकट हो,समझाया कृष्ण ने संसार।।

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यज्ञ रूप भगवान से , जो मिलता हर रोज।
पूरण हों सभी कामना, बढ़े तेज और ओज।।
बढ़े तेज और ओज , मनुज की होय तरक्की।
जीवन की बगिया महके, बात यही है पक्की।।
जीवन दीप जलाओ , समझो वेदों का विज्ञान।
जीवन है अनमोल , रचाता यज्ञ रूप भगवान।।

दिनांक : 11 जुलाई 2023

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक उगता भारत

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