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6 जुलाई जयंती पर विशेष : श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया था भारतीय जनसंघ का गठन, संदिग्ध तरीके से हुई थी मौत

अनन्या मिश्रा

आज ही के दिन यानी की 6 जुलाई को श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय राजनीति के सितारा थे। उन्हें अलग विचारधारा के लिए जाना जाता था। वह आजाद भारत के पहले इंडस्ट्री और सप्लाई मिनिस्टर थे।
भारतीय राजनीति से श्यामा प्रसाद मुखर्जी का गहरा नाता हुआ करता था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अलग विचारधारा के लिए जाना जाता था। बता दें कि आज ही के दिन यानी की 6 जुलाई को श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ था। मुखर्जी भारतीय जनसंघ के फाउंडर होने के साथ आजाद भारत के पहले इंडस्ट्री और सप्लाई मिनिस्टर थे। इन्होंने हिंदुत्व की रक्षा के लिए हमेशा से अपनी आवाज को बुलंद किया था। आइए जानते हैं इनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…

बता दें कि 6 जुलाई 1901 को बंगाली परिवार में श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ था। उनके पिता आशुतोष मुखर्जी कलकत्ता हाईकोर्ट के जज थे। साल 1906 में श्यामा प्रसाद ने भवानीपुर के मित्रा संस्थान से अपनी शुरूआती शिक्षा पूरी की। जिसके बाद वह मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। इस दौरान वह साल 1916 में इंटर-आर्ट्स परीक्षा में 17वें स्थान पर रहे। फिर साल 1921 में प्रथम स्थान के साथ अंग्रेजी में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।

साल 1924 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के लिए अच्छा और बुरा समय साथ लेकर आया। साल 1924 में जहां एक ओर वह कलकत्ता हाईकोर्ट में एडवोकेट के रूप कार्य करने लगे। तो इसी दौरान उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद साल 1934 में वह कलकत्ता यूनिवर्सिटी के सबसे कम उम्र के वाइस- चांसलर बनें। श्यामा प्रसाद एक क्वालिफाइड बैरिस्टर थे। उनको शिक्षा के प्रति काफी जुनून था।

साल 1929 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी का राजनीतिक सफर शुरू हुआ। इस दौरान कांग्रेस की तरफ से बंगाल विधान परिषद में कलकत्ता विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया गया था। जिसके एक साल बाद उन्होंने इस परिषद से इस्तीफा से दिया। हालांकि स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मुखर्जी को फिर से निर्वाचित किया गया। बता दें कि वह इंडियन नेशनल कांग्रेस से जुड़े थे। लेकिन देश की आजादी के बाद मुखर्जी को अंतरिम केंद्र सरकार में उद्योग और आपूर्ति मंत्री बनाया गया था। लेकिन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ विचारों के टकराव के कारण श्यामा प्रसाद मुखर्जी पार्टी से अलग हो गए।

कांग्रेस से अलग होने के बाद श्यामा प्रसाद RSS यानी की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए। वहीं श्री गोलवलकर गुरुजी के परामर्श से उन्होंने साल 1951 में भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन किया। पार्टी बनाने के साथ ही वह भारतीय जनसंघ के प्रथम अध्यक्ष बने। साल 1952 में भारतीय जनसंघ ने लोकसभा चुनावों में भाग लिया और 3 सीटों पर जीत हासिल की। वर्तमान में इस पार्टी को हम सभी भारतीय जनता पार्टी यानी की बीजेपी के नाम से जानते हैं। जो इस समय देश की सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में जानी जाती है।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर राज्य का अलग संविधान बनाने के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी। बता दें कि वह इस राज्य के लिए अलग संविधान बनाए जाने के पक्ष में नहीं थे। इसी कारण उन्होंने जम्मू-कश्मीर का दौरा भी किया था। साल 1953 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर ने अंतिम सांस ली थी। श्य़ामा प्रसाज मुखर्जी ने बिना इजाजत के जम्मू-कश्मीर में एंट्री ली थी। जिसके कारण उनको हिरासत में ले लिया गया था। गिरफ्तारी के 40 दिन बाद 23 जून 1953 में श्रीनगर में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी।

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