लाॅस एंजेलिस ( अमेरिका ) में लेक्चर देने का सपना ऐसे टूटा* *पांच लाख का नुकसान / स्वास्थ्य बना खलनायक*

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आचार्य श्री विष्णुगुप्त

टूटा टूटा एक सपना ऐसे टूटा
जो टूट कर फिर जुड़ न पाया
गिरता हुआ वह आसमान से
आकर गिरा जमीन पर
ख्वाबों में फिर
पीड़ा और बेबशी की राख ही भरी थी

           अमेरिका में सनातन की सुरक्षा और शस्त्र-शास्त्र की अनिवार्यता विषय पर लेक्चर देने का सपना मेरा कैसे टूटा यह बहुत ही दिलचस्प है। हमारे जीवन में कई ऐसे अवसर आते हैं जो किसी न किसी प्रकार से हमसे दूर हो जाते हैं और फिर वे अवसर हमारे लिए धरोहर नहीं बल्कि पीड़ा और बेबशी के विषय ही बन हैं।
                 अनुकूल परिस्थितियों में अवसर मिलते नहीं, या मिलते हैं तो बहुत ही कम। अब मेरे लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं नही ंतो अवसर भी बहुत ही धाकड़ और ख्यातिपूर्ण मिलते हैं, आर्थिक लाभ से भी भरा होता है। ऐसा ही एक अवसर मुझे लाॅस एंजेलिस अमेरिका से मिला। वहां पर मुझे सनातन धर्म की सुरक्षा और शस़्त्र-शास्त्र की अनिवार्यता विषयक लेक्चर के लिए आमंत्रित किया गया। इस आमंत्रण मात्र से मेरी खुशी कैसी होगी, आप कल्पना कर सकते हैं? मैं कभी अमेरिका गया नहीं था। इसलिए मेरे लिए यह आमंत्रण एक यादगार की तरह है, एक धरोहर की तरह है।
                        आमंत्रण कैसे और क्यों मिला? मैं कोई बहुत ज्यादा सनातन का ज्ञाता भी नहीं हूं, कोई विख्यात संत भी नहीं हूं, कोई बड़ी पर्सनालिटी भी नहीं हूं, कोई बही हस्ती भी नहीं हूं, कोई बडे पद पर भी नहीं हूं, कोई धनवान भी नहीं हूं, आम आदमी हूं। लेक्चर देने के लिए वैसे लोगों को बुलाया जाता है जिनकी ख्याति बहुत बड़ी और प्रेरक होती है, आधुनिक युग में लाभ की दृष्टि भी देखी जाती है। अदले-बदले का लाभ भी आमंत्रण में निहित होता है।
              आमंत्रण कर्ताओं से मेरी कोई पुरानी मित्रता भी नहीं थी। आयोजनकर्ताओं की टीम में शामिल एक व्यक्ति गुजरात के अहमदाबाद में मेरा सनातन धर्म पर छोटा पर गंभीर व उत्तेजक स्पीच सुना था। मेरे उस स्पीच पर जोरदार हंगामा हुआ था, मंच संचालकों की बचैनी बढ़ी थी और मेरा स्पीच बीच में ही रोकवा दिया गया था। मुझे नकारात्मक वक्ता और व्यक्ति घोषित कर दिया था। वह स्थिति मेरे लिए कितनी विकट होगी आप उसका अंदाजा लगा सकते हैं, फिर मै ध्यैर्य के साथ अपनी सक्रियता बनाये रखी। पर दर्शक और स्रोता मेरी स्पीच से सहमत थे और प्रभावित थे। उल्लेखनीय यह है कि उस कार्यक्रम से अमेरिका और यूरोप से प्रवासी भारतीय भी आये थे।
            अहमदाबाद में मेरी स्पीच सुनने वाले प्रवासी गुजराती हस्ती ने मुझसे परिचय किया था और अमेरिका में मेरी स्पीच कराने की बात कही थी। इस तरह की मनोरंजक बातचीत होती रहती है। पर उस महानुभव का एक मेल आया और हवाटसप काॅल भी आयी। उपर्युक्त विषय पर लेक्चर देने का आमंत्रण मिला। आमंत्रण के साथ पांच लाख रूपये लेक्चर के बदले में देने का वायदा किया गया। अमेरिका आने जाने और एक सप्ताह रहने की भी व्यवस्था थी, साथ में सुविधानुसार एक अटेंडेंट लाने की भी छूट थी।
               मैंने जाने की और लेक्चर देने की पूरी तैयारी भी कर ली थी। मैंने अपनी शिष्य मंडली से भी चर्चा की। सभी सहमत थे और असहमत होने का कोई कारण भी तो नहीं था। फिर मेरी शिष्ट मंडली के एक सदस्य की एक आपत्ति आयी कि आचार्य जी, आप अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराइये और किसी अच्छे डाॅक्टर से परामर्श लीजिये, देश के लिए आपका जीवन बहुत ज्यादा जरूरी है। मैने अपनी शिष्य मंडली की बात मानी। मैंने एक डाॅक्टर से परामर्श लेना अपरिहार्य माना।
            शुगर और हाई ब्लड प्रेसर की क्रोनिकल बीमारी से ग्रसित हूं। पैर में बहुत ज्यादा समस्या है। पैर लटका कर बैठने मात्र से पैर में सूजन आ जाती है। पैर में असहनीय दर्द होता है। राजधानी जैसी टेन यात्रा तो ठीक रहती है पर दो-तीन घंटे की हवाई यात्रा भी असहनीय होती है और पैर में सूजन घातक तौर पर बढ जाती है।
       मैंने डाॅक्टर से परामर्श लिया, डाॅक्टर ने रिपोर्ट देखने और मुझसे जानकारी लेने के बाद अमेरिका की यात्रा स्थगित करने के लिए कह दिया। डाॅक्टर ने कह दिया कि अमेरिका की बीस घंटे की हवाई यात्रा आपके लिए जानलेवा साबित होगी, आप शायद ही अमेरिका पहुंच पायेंगे। थोड़ा बहुत मुझे डाॅक्टर की ऐसे परामर्श का भान पहले से था। शेष आप समझ सकते है। 
        पांच लाख का नुकसान तो मेरे लिए कोई अर्थ नहीं रखता है पर अमेरिका में सनातन के प्रचार-प्रसार और जागरूकता के विस्तार देने से वंचित रहना असहनीय वेदना है। परमात्मा की जैसी इच्छा। परमात्मा की यह इच्छा शिरोधार्य है।

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आचार्य श्री विष्णुगुप्त
नई दिल्ली

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