भारत की सामरिक शक्ति का लोहा मानता विश्व समाज

- डॉ राकेश कुमार आर्य
भारत ने हाल ही में जिस प्रकार पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक कर अपनी शक्ति का परिचय दिया है, उससे सारा संसार स्तब्ध रह गया है। संसार की बड़ी-बड़ी शक्तियों की आंखें खुल गई हैं उन्हें पता चल गया है कि वह भारत को जितना समझकर आंक।रहे थे , भारत उससे कई गुणा आगे है। आज के भारत को युद्ध क्षेत्र में पराजित करना अब संसार के किसी भी देश के लिए संभव नहीं है। भारत अपने बलबूते पर सैन्य तैयारी कर रहा है और देश की सीमाओं की सुरक्षा करना उसकी प्राथमिकता बन चुकी है। भारत ने बीते हुए कल से शिक्षा ली है और यह समझ लिया है कि आर्थिक उन्नति के साथ-साथ सैनिक उन्नति भी आवश्यक होती है। सोने की चिड़िया हो जाना अपने लिए नई प्रकार की कठिनताओं को आमंत्रित करना होता है। इसलिए अब सोने की चिड़िया के साथ-साथ सैनिक चिड़िया बनना भी भारत ने अपनी प्राथमिकता बना ली है। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि युद्धों को अब परंपरागत स्वरूप में लड़ना संभव नहीं है ।फाइटर जेट मिसाइल और ड्रोन युद्ध लड़ने के लिए अब प्रत्येक देश के लिए आवश्यक आवश्यकता बन चुके हैं। पहली बार संसार ने देखा है कि युद्ध अब भूमि पर नहीं लड़े जाएंगे अपितु अब इनके लिए अंतरिक्ष ही एकमात्र स्थान है। इसलिए अपनी सैनिक तैयारी को नया स्वरूप देने के लिए अब हर देश चिंतित हो उठा है।
भारत ने पहलगाम का प्रतिशोध लेने के लिए जिस प्रकार अपनी युद्ध नीति तैयार की, उससे यह भी संदेश गया है कि युद्ध के लिए तैयारी अचानक नहीं होती है अपितु युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहना पड़ता है । जिसके लिए प्रत्येक पंचवर्षीय योजना में एक निश्चित धनराशि निकाल कर रखनी पड़ती है। देश की सशस्त्र सेनाओं को आधुनिक बनाने के लिए प्रत्येक पल सावधान रहना पड़ता है। सारे विश्व के देश तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति के चलते युद्ध के स्वरूप में आते हुए परिवर्तनों को स्पष्ट अनुभव कर रहे हैं। इसलिए नये युग की नई आवश्यकताओं के साथ अपने आपको ढालने के लिए प्रयास करने लगे हैं। एआई रोबोटिक्स हाईपरसोनिक जैसी नई तकनीकें युद्ध कौशल में अकल्पनीय परिवर्तन करती हुई दिखाई दे रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी की युद्ध नीति ने यह भी स्पष्ट किया है कि शत्रु को झुकाने के लिए कुछ दूसरे उपाय भी हो सकते हैं। इनमें आर्थिक प्रतिबंध के साथ-साथ जल प्रतिबंध भी एक माध्यम हो सकता है । सिंधु जल समझौते को स्थगित कर भारत सरकार ने यह स्पष्ट संकेत कर दिया है कि वह शत्रु के साथ किसी भी प्रकार का व्यवहार करने के लिए तत्पर है । क्योंकि भारत परंपरा से ही जो जैसा व्यवहार करता है उसके साथ वैसा ही व्यवहार करने का समर्थक राष्ट्र रहा है। यदि हमारे साथ कोई शत्रुता का व्यवहार करेगा और हमारी राष्ट्रीय अस्मिता को अपमानित करने का प्रयास करेगा तो हम उसके साथ ऐसा ही व्यवहार करेंगे। आज की हमारी विदेश नीति का यह एक मजबूत आधार बन चुका है। जिसे सारे संसार ने बहुत सही दृष्टिकोण और संदर्भ से ग्रहण कर लिया है। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह देश के रक्षा तंत्र को सुदृढ़ करने के स्पष्ट संकेत देते रहे हैं। वह देश को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर ही नहीं उससे आगे एक हथियार निर्यातक देश के रूप में देखना चाहते हैं। उसी का परिणाम है कि हमारा देश इस समय सैन्य उपकरणों के निर्यातक देश के रूप में उभर कर सामने आया है। पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के बाद बड़े-बड़े देश भारत की ओर देख रहे हैं, उन्हें भारत से हथियार चाहिए।
भारत की रक्षा नीति की यदि समीक्षा की जाए तो एक स्पष्ट संदेश बड़ी मजबूती के साथ इस समय विश्व पटल पर तैरता हुआ दिखाई दे रहा है कि अब भारत रुकने वाला नहीं है और वह अपने देश की सीमाओं के साथ छेड़छाड़ करने वाले किसी भी शत्रु देश को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। भविष्य में सामरिक चुनौतियों का सामना करने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) कार्यक्रम के कार्यान्वयन मॉडल को अपनी स्वीकृति प्रदान की है। यह भारत का पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। पांचवीं पीढ़ी के इस विमान को प्राप्त कर हमारी वायु सेना संसार की अजेय सेना कहलाएगी। इसके बारे में विचार कर अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों को भी पसीना आने लगा है। पाकिस्तान के तो एक बड़े अधिकारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत की सैन्य शक्ति से प्रतिस्पर्धा करने से यदि पाकिस्तान बाज नहीं आया तो उसका विनाश निश्चित है।
इस समय भारत पर यह दबाव है कि वह पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान अमेरिका या रूस से खरीदे , परंतु भारत इस प्रकार के दबाव में नहीं आ रहा है और उसने अपने बलबूते पर पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाने का निर्णय ले लिया है। इससे भारत ‘स्वदेशी’ की अपनी पुरानी अवधारणा को मजबूत कर रहा है और संसार भर को यह स्पष्ट संदेश दे रहा है कि उसके लिए ‘स्वदेशी’ का अभिप्राय केवल ‘स्वदेशी’ ही है। यह इसलिए भी बहुत आवश्यक है कि भविष्य में यदि भारत का कभी किसी इस्लामी संघ या इसाई संघ की किसी काल्पनिक शक्ति से संघर्ष हुआ तो उस स्थिति में उसे न केवल हथियार मिलने कठिन हो जाएंगे अपितु अपने देश की सीमाओं की रक्षा करना भी उसके लिए कठिन हो जाएगा। ऐसी स्थिति में भारत को अभी से प्रत्येक क्षेत्र में अपनी तैयारी करनी होगी। हमारे देश के वामपंथी तो आज भी कह रहे हैं कि भारत विश्व में अकेला पड़ गया है। जबकि इस समय अनेक बड़ी शक्तियां भारत के साथ खड़ी दिखाई दे रही हैं। वामपंथियों को भारत का आगे बढ़ना अच्छा नहीं लगता, इसी कारण वह इस प्रकार का दुष्प्रचार कर रहे हैं।
पांचवी पीढ़ी का यह विमान अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होगा, जैसे कि रडार से बचने की क्षमता, उन्नत हथियार प्रणाली और आधुनिक सेंसर। इस परियोजना का लक्ष्य भारतीय वायुसेना की शक्ति को बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर भारत को एक मजबूत रक्षा शक्ति के रूप में स्थापित करना है। रक्षा मंत्रालय के इस फैसले से न केवल रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी को प्रोत्साहन मिलेगा, अपितु यह भारतीय उद्योगों को भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में सहायता करेगा। कुल मिलाकर सारा विश्व समाज इस समय भारत की सामरिक शक्ति का लोहा मान रहा है, जिसे एक शुभ संकेत मानना चाहिए।
डॉ राकेश कुमार आर्य
(लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं।)

लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है