Categories
इतिहास के पन्नों से

महर्षि दयानन्द जी के विषय में विभिन्न महापुरुषों के विचार एवं कथन

‘महर्षि दयानन्द जी के विषय में विभिन्न महापुरुषों के विचार एवं कथन 1. महर्षि दयानन्द स्वराज्य के सर्वप्रथम सन्देशवाहक तथा मानवता के उपासक थे।

लोकमान्य तिलक

  1. मैंने सत्यार्थ प्रकाश पढ़ा और उससे मेरे जीवन का लक्ष्य बदल गया। आर्य समाज के सिद्धांत सार्वभौमिक हैं। उन्हें हराने की किसी में शक्ति नहीं है। हुतात्मा रामप्रसाद बिस्मिल
  2. स्वामी दयानन्द के विषय में मेरा मन्तव्य यह है कि वह हिन्दुस्तान के आधुनिक ऋषियों, सुधारकों और श्रेष्ठ पुरूषों में अग्रणी थे। उनका ब्रह्मचर्य, समाज सुधार, स्वातन्त्र्य स्वराज्य, सर्वप्रतिप्रेम, कार्यकुशलता आदि गुण लोगों को मुग्ध करते थे।

महात्मा गांधी

  1. स्वामी दयानन्द के जीवन में सत्य की खोज दिखाई देती है इसीलिए वे केवल आर्य समाजियों के लिये

नहीं अपितु समग्र संसार के लिए पूजनीय हैं।

कस्तूरबा गांधी

उम्

  1. महर्षि दयानन्द सरस्वती उन महापुरूषों में से थे जिन्होंने आधुनिक भारत का विकास किया जो उसके आवार सम्बंधी पुनरूत्थान तथा धार्मिक पुनरूत्थान के उत्तरदाता हैं। हिन्दू समाज का उद्धार करने में आर्य समाज का बहुत बड़ा हाथ है। संगठन कार्य दृढ़ता, उत्साह और समन्वयपालकता की दृष्टि से आर्य समाज की समता कोई और समाज नहीं कर सकता।

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस

  1. स्वामी दयानन्द संस्कृत के बड़े विद्वान् और वेदों के बहुत बड़े समर्थक थे। उत्तम विद्वान् के अतिरिक्त साधु स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके अनुयायी उनको देवता मानते थे और बेशक वे इसी लायक थे। हमसे स्वामी दयानन्द की बहुत मुलाकात थी। हम हमेशा इनका निहायत आदर करते थे। वह ऐसे व्यक्ति थे जिनकी उपमा इस वक्त हिन्दुस्तान में नहीं है। महर्षि के समकालीन- सर सैयद अहमद खाँ (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक)

दादाभाई नौरोजी

  1. मैंने स्वराज शब्द सर्वप्रथम महर्षि दयानन्द के ग्रन्थों से सीखा। 8. स्वामी दयानन्द स्वाधीनता संग्राम के सर्वप्रथम योद्धा और हिन्दू जाति के रक्षक थे।

महान क्रान्तिकारी वीर सावरकर

  1. स्वामी दयानन्द जी का सबसे बड़ा योगदान यह था कि उन्होंने देश को किंकर्तव्यविमूढ़ता के गहरे गडढे में गिरने से बचाया। उन्होंने भारत की स्वाधीनता की वास्तविक नींव डाली। लौहपुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल
  2. महर्षि दयानन्द ने राजनैतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक उद्धार का बीड़ा उठाया। स्वाभी जी ने जो स्वराज्य का पहला सन्देश हमें दिया उसकी रक्षा हमें करनी है। उनके उपदेश सूर्य के समान प्रभावशाली हैं।

सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन

  1. गांधी राष्ट्रपिता हैं तो दयानन्द राष्ट्रपितामह हैं।. प्रथम लोकसभा अध्यक्ष डॉ. श्री अनन्तशयनम् आयंगर 12. मेरा सादर प्रणाम हो उस महान् गुरू दयानन्द को जिन्होंने भारत वर्ष को अविद्या, आलस्य और प्राचीन ऐतिहासिक तत्व के अज्ञान से मुक्तकर सत्य और पवित्रता की जागृति में ला खड़ा किया, उसे मेरा बारम्बार प्रणाम ।

ठा. रविन्द्र नाथ टैगोर

अथर्ववेद (धनोपार्जन) (अंगिरा ऋषि)

Comment:Cancel reply

Exit mobile version