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इतिहास के पन्नों से

25 मानचित्रों में भारत के इतिहास का सच, भाग …4

सिकंदर के आक्रमण के पश्चात चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की । सिकंदर जैसा कोई अन्य व्यक्ति भारत की ओर आंखें उठाकर देखने का फिर साहस न कर सके , इसलिए चंद्रगुप्त मौर्य और उनके गुरु चाणक्य ने भारत की पश्चिम की सीमाओं का गहनता से अध्ययन किया और अपने साम्राज्य को विशेष शक्ति संपन्न बनाकर उस ओर ही विस्तृत करने का सराहनीय, ऐतिहासिक और देशभक्ति पूर्ण कार्य किया। एक विशाल साम्राज्य खड़ा करके भारत की सीमाओं की सुरक्षा का तंत्र इन दोनों महान नायकों ने उस समय इतनी मजबूती से खड़ा किया कि अगले कई सौ वर्ष तक विदेशी आक्रमणकारी इस ओर झांक भी नहीं सके।
उस समय भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा बने छोटे-छोटे राज्यों को इन दोनों इतिहास पुरुषों ने समाप्त कर विशाल साम्राज्य खड़ा करके भारत में राष्ट्रवाद की पुरानी परंपरा को सफलतापूर्वक स्थापित किया। इन दोनों महापुरुषों के इस प्रयास से हमें इस भ्रम से बाहर निकलना चाहिए कि भारत में राष्ट्रवाद की भावना कभी नहीं रही और राष्ट्रीय एकता स्थापित करने में मुगलों या किसी अन्य विदेशी शक्ति सत्ता का विशेष योगदान रहा है। इन दोनों के पुरूषार्थ से यह पता चलता है कि उन्होंने भारत के आर्य शासकों की पुरानी परंपरा को स्थापित कर भारत में चक्रवर्ती सम्राटों की परंपरा को आगे बढ़ाया।
316 ईसा पूर्व तक मौर्यवंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक के राज्य में मौर्यवंश का वृहद स्तर पर विस्तार हुआ। सम्राट अशोक के कारण ही मौर्य साम्राज्य सबसे महान एवं शक्तिशाली बनकर विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ। यद्यपि अशोक ने जिस प्रकार बौद्ध धर्म की अहिंसा को अपनाया, उससे भारतीय क्षत्रिय धर्म की परंपरा को क्षति भी उठानी पड़ी।

मेरी पुस्तक “25 मानचित्र में भारत के इतिहास का सच” से

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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