पाकिस्तान के नए सेना अध्यक्ष मुनीर और भारत

रिचा वाजपेई

पाकिस्‍तान में नए आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर (Pakistan Army Chief Genral Asim Munir) ने 29 नवंबर को अपना कार्यकाल संभाल लिया है। जनरल मुनीर ने कमर जावेद बाजवा के हाथों कमान ग्रहण। वह हमेशा से जनरल बाजवा के फेवरिट रहे हैं। अब जबकि मुनीर सेना प्रमुख बन गए हैं तो यह देखना दिलचस्‍प होगा कि भारत के लिए उनका रवैया कैसा रहता है।

पाकिस्‍तान के रावलपिंडी में इन दिनों काफी हलचल है। 29 नवंबर को यहां स्थित आर्मी हेडक्‍वार्ट्स को जनरल आसिम मुनीर के साथ ही नया बॉस मिला है। जनरल मुनीर हमेशा से लो प्रोफाइल रहे और उनके बारे में बहुत ज्‍यादा जानकारी उपलब्‍ध है। लेकिन जब अक्‍टूबर 2018 में इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई के मुखिया बने तो फिर सुर्खियों में रहने के आदी हो गए। जनरल मुनीर वही शख्‍स हैं जिनके आईएसआई चीफ रहते भारत ने फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमला झेला था। ऐसे में उनका सेना प्रमुख बनना निश्चित तौर पर भारत के लिए बड़ी खबर है। वह ऐसे समय में जनरल बने हैं जब उनके एक्‍स बॉस बाजवा ने भारत के साथ युद्धविराम समझौते को बहाल किया था। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्‍प होगा कि नए जनरल भारत के लिए कैसा रवैया रखते हैं।

क्‍या होगा युद्धविराम का
विशेषज्ञों के मुताबिक जनरल मुनीर, बाजवा का तुलना में भारत के लिए ज्‍यादा मुश्किलें पैदा करने वाले साबित होंगे। उनका ऐसा कोई बयान सार्वजनिक तौर पर तो उपलब्‍ध नहीं है जिससे पता लग सके कि वह भारत के बारे में क्‍या सोचते हैं लेकिन यह समझ लेना चाहिए कि उनका रवैया परेशान करने वाला हो सकता है। वह ऐसे समय में पाकिस्‍तान के सेना प्रमुख बने हैं जब घरेलू मोर्चे पर उन्‍हें अपनी योग्‍यता और प्राथमिकताओं को साबित करना है। ऐसे में यह हरगिज नहीं सोचना चाहिए कि वह भारत को एक दोस्‍त कभी समझेंगे या फिर उनका रवैया नरम होगा। भारत और पाकिस्‍तान के बीच साल 2003 में युद्धविराम समझौता हुआ था। करीब डेढ़ साल पहले इस समझौते को बाजवा ने नया रूप दिया था। जनरल मुनीर इस युद्धविराम का सम्‍मान तो करेंगे लेकिन वह भी बड़े ही सधे हुए तरीके से।

युद्ध की होगी बड़ी कीमत
हाल ही में जब भारतीय सेना के नॉर्दन आर्मी कमांडर ने पीओके पर बयान दिया तो पाकिस्‍तान मिलिट्री की मीडिया शाखा आईएसपीआर की तरफ से प्रेस रिलीज जारी कर इसकी आलोचना की गई। रक्षा मामलों के जानकारों की मानें तो ऐसे में जब पाकिस्‍तान की सेना को नया मुखिया मिल गया है तो वह किसी भी तरह से खुद को कमजोर दिखाने की गलती नहीं करेगी। भारत को निश्चित तौर पर खुद को तैयार रखने की जरूरत है। वहीं जनरल मुनीर यह बात भी जानते हैं कि उनके देश की आर्थिक स्थिति क्या है तो वह किसी भी तरह के टकराव से बचेंगे। अगर इस स्थिति में भारत के पाकिस्‍तान ने कोई भी टकराव मोल लिया तो फिर पाक को उसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

सेना का दबदबा बरकरार

पाकिस्‍तान की आजादी को 75 साल हो चुके हैं। भारत के बंटवारे से अलग होकर बना यह देश तीन बार सैन्‍य तानाशाही से गुजर चुका है। सेना ने तीन दशकों से ज्‍यादा देश पर राज किया और भारत के साथ तीन युद्ध भी लड़े हैं। भले ही इस समय देश में सरकार शहबाज शरीफ की हो लेकिन जनरल का दबदबा आज भी कायम है। जनरल से सलाह म‍शविरे के बिना पीएम शहबाज सुरक्षा मामलों और विदेश मामलों में कोई फैसला नहीं ले सकते हैं। जनरल मुनीर पर पड़ोसी के साथ रिश्‍तों को संभालने का जिम्‍मा होगा।

जम्‍मू कश्‍मीर से वाकिफ जनरल
मुनीर वही शख्‍स हैं जिनके आईएसआई चीफ रहते भारत ने फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमला झेला था। ऐसे में वह भारत के लिए कैसा रुख रखते हैं, यह बात भी काफी दिलचस्‍प होगी। जनरल मुनीर आईएसआई चीफ बनने से पहले नॉर्दन एरिया के कमांडर और मिलिट्री इंटेलीजेंस के डायरेक्‍टर जनरल भी रहे हैं। वह जम्‍मू कश्‍मीर के चप्‍पे-चप्‍पे से वाकिफ हैं। जब बाजवा के कहने पर उन्‍हें आईएसआई चीफ बनाया गया तो सैन्‍य विशेषज्ञों ने इसे भारत के खिलाफ बड़ी साजिश का हिस्‍सा करार दिया। मुनीर को कश्‍मीर का एक्‍सपर्ट तक कहा जाता है।

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