लाला लाजपत राय ने आज से 100 साल पहले ही कुरान के खिलाफ हिंदुओं को सावधान किया था ।
– 17 नवंबर 1928 को लाला लाजपत राय का निधन हुआ था ।
– लाला लाजपत राय ने देशबंधु चितरंजन दास को एक चिट्ठी लिखी थी । इस चिट्ठी का जिक्र भीम राव अंबेडकर ने अपनी किताब पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन में किया है । (फोटो उन्हीं की किताब से ली गई है)
– कुरान और हदीस को पढ़ने के बाद चिंता से ग्रस्त होकर लाल लाजपत राय ने चिट्ठी में लिखा… कि अगर मान भी लिया जाए कि कोई मुसलमान बहुत सज्जन हो तो भी क्या वो कुरान और हदीस की निषेधाज्ञा (काफिरों को मित्र ना बनाओ) के खिलाफ जाएगा ?
– उस चिट्ठी में लाला लाजपत राय लिखते हैं…
“एक बात ओर मुझे बहुत दिनों से कष्ट दे रही है जिसे मैं चाहता हूँ कि आप बहुत ध्यान से सोचें और वो है हिंदू-मुस्लिम एकता । मैंने पिछले 6 महीने में अपना अधिकांश समय मुस्लिम इतिहास और मुस्लिम कानून को पढ़ने में लगाया है और मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि यह ना तो संभव है और ना ही व्यवहारिक है । हकीम अजमल खां साहब से बेहतर कोई मुसलमान हिंदुस्तान में नहीं है लेकिन क्या कोई अन्य मुस्लिम नेता कुरान के खिलाफ जा सकता है । मैं तो केवल यही सोचता हूँ कि इस्लामिक कानून के बारे में मेरा ज्ञान सही नहीं है और ऐसा ही सोचकर मुझे राहत मिलती है । मुझे आशंका ये है कि हिंदुस्तान के 7 करोड़ मुसलमान और अफ़ग़ानिस्तान, मध्य एशिया, अरब और मेसोपोटामिया और तुर्की के हथियारबंद गिरोह मिलकर अप्रत्याशित स्थिति पैदा कर देंगे । मैं मुस्लिम नेताओं पर भी पूरी तरह से विश्वास करने को तैयार हूँ लेकिन कुरान और हदीस की निषेधाज्ञा की मेरे पास कोई काट नहीं है ।”
– लाल लाजपत राय आर्य समाज से जुड़े हुए बहुत विद्वान नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे लेकिन उनकी मृत्यु के बाद अंग्रेजों के एजेंट गांधी ने पूरे आंदोलन पर कब्जा कर लिया और मुस्लिम लीग और अंग्रेजों की कठपुतली बनकर देश को तोड़ने का काम किया । गांधी ने जिहादियों की जो चापलूसी की… पाकिस्तान उसी का परिणाम है । लाखों हत्याओं और लाखों हिंदू महिलाओं के बलात्कार और मर्डर का गुनाह गांधी के सिर पर है ।